Edited By Updated: 22 May, 2017 07:55 AM
कई सरकारें आईं और चली गईं लेकिन किसी ने भी बटाला की इंडस्ट्री की तरफ विशेष तवज्जो नहीं दी। कभी एशिया के नक्शे पर नम्बर-1 पर रही बटाला की इंडस्ट्री आज तबाही के कगार पर पहुंच चुकी है। किसी भी सरकार ने बॉर्डर एरिया में पड़ती .........
बटाला (बेरी): कई सरकारें आईं और चली गईं लेकिन किसी ने भी बटाला की इंडस्ट्री की तरफ विशेष तवज्जो नहीं दी। कभी एशिया के नक्शे पर नम्बर-1 पर रही बटाला की इंडस्ट्री आज तबाही के कगार पर पहुंच चुकी है। किसी भी सरकार ने बॉर्डर एरिया में पड़ती इस इंडस्ट्री को ऊंचा उठाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए और न ही उद्योगपतियों को किसी प्रकार की रियायतें दी गईं जिस कारण उद्योगपतियों के मन में सरकार प्रति भारी रोष है। यहां से इंडस्ट्री दूसरे राज्यों में पलायन कर चुकी है और बची-खुची इंडस्ट्री के इंडस्ट्रियलिस्ट, जो अपने परिवारों को छोड़कर नहीं जा सके, महज समय बिता रहे हैं। इस संबंध में जब बटाला के कुछ नामवर इंडस्ट्रियलिस्टों से बात की गई तो उन्होंने कैसे इंडस्ट्री को प्रफुल्लित करके मॉडर्न इंडस्ट्री में तबदील किया जा सकता है, बारे बताया।
सरकार लाए नई इंडस्ट्रीयल पॉलिसी : अरुण अग्रवाल
विश्व प्रसिद्ध क्रिकेट बैट बनाने वाली इंडस्ट्री डीलक्स स्पोर्ट्स बटाला के मालिक अरुण अग्रवाल ने बताया कि मंदी की मार झेल रही पंजाब की इंडस्ट्री को प्रफुल्लित करने के लिए पिछली राज्य सरकार ने एन.आर.आईज को भी पंजाब में निवेश करने का निमंत्रण दिया था, लेकिन उन्होंने निवेश नहीं किया। इसका कारण या तो उन्हें सरकार की पॉलिसी पर विश्वास नहीं था या फिर वे पंजाब में निवेश करने से डरते थे, इसलिए जब तक इंडस्ट्री के लिए कोई विशेष पैकेज या रियायत नहीं दी जाती, तब तक इंडस्ट्री प्रफुल्लित नहीं हो सकती। उन्होंनेे कहा कि यू.पी. में सी.एस.टी. नहीं लगता जबकि पंजाब में स्पोर्ट्स इंडस्ट्री पर 2 प्रतिशत सी.एस.टी. लगता है जिसके चलते खिलाड़ी यू.पी. से सामान खरीदने को पहले देते हैं। बटाला बारे बात करते हुए अरुण अग्रवाल ने कहा कि सरकार को नई इंडस्ट्रियल पॉलिसी लानी होगी। बिजली के रेट घटाने पड़ेंगे जिससे महंगाई की मार उद्योगों पर कम पड़े। इसके साथ-साथ सरकार इंडस्ट्री को अधिक से अधिक सबसिडी दे।
पुरानी फ्रेट इक्वलाइजेशन पॉलिसी लागू हो: भारत भूषण अग्रवाल
प्रसिद्ध उद्योगपति भारत भूषण अग्रवाल ने कहा कि मंदी की मार से गुजर रही बटाला की इंडस्ट्री के लिए सरकार को चाहिए कि वह पुरानी फ्रेट इक्वलाइजेशन पॉलिसी लागू करे, क्योंकि प्रत्येक स्टेट में फ्रेट की बढ़ौतरी व कटौती से जहां उद्योगपतियों को काफी फर्क पड़ता है वहीं, साथ ही महंगाई की मार भी उन्हें पड़ती है। सरकार को चाहिए कि वह इंडस्ट्रीयल पॉलिसी को सरल बनाए और बटाला के आसपास कोई बड़ा उद्योग लगाया जाए ताकि उसके आसपास लघु उद्योग लगाकर अपनी रोजी-रोटी कमाई जा सके जिसकी मिसाल कपूरथला में लगी रेल कोच फैक्टरी से मिलती है। इससे जहां छोटे उद्योगों को काम मिलेगा वहीं, साथ ही बड़ी संख्या में रोजगार के साधन भी पैदा होंगे।
अफसरशाही को जवाबदेह बनाया जाए : हरिकृष्ण त्रेहन
बटाला चैम्बर ऑफ इंडस्ट्री के प्रधान हरिकृष्ण त्रेहन ने कहा कि जी.एस.टी. क्लीयर होने के बाद ही पता चल सकेगा कि पंजाब सरकार के पास इंडस्ट्री के लिए क्या पॉलिसी है। उन्होंने कहा कि मार्कीट में जब रॉ-मटीरीयल का दाम बढ़ता है तो जो सौदा उद्योगपतियों से किया होता है, उसे पूरा करना मुश्किल हो जाता है, इसलिए जितनी देर तक कोई राजनीतिक नेता सरकार तक बात नहीं पहुंचाता, उतनी देर तक इंडस्ट्री सरवाइव नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि उद्योगपतियों को काम करवाने के लिए सरकारी दफ्तरों में चक्कर काटने पड़ते हैं जिससे उद्योगपतियों को भारी दिक्कतें पेश आती हैं। अफसरशाही को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए ।
सरकार जल्द ला रही है नई इंडस्ट्रियल पॉलिसी : डी.आई.सी. मैनेजर बलविन्द्रपाल सिंह
डी.आई.सी. के मैनेजर बलविन्द्रपाल सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि रॉ-मैटीरीयल पर केवल 18 प्र्रतिशत जी.एस.टी. लगाई गई है। इसके अलावा डी.आई.सी. द्वारा विभिन्न रियायतें, जिनमें वैट, स्टाम्प ड्यूटी, बिजली ड्यूटी आदि से छूट शामिल है, इंडस्ट्री को मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि डी.आई.सी. द्वारा कोई भी सरकारी कागजी काम का बोझ उद्योगपतियों पर नहीं डाला जाता, जबकि यह दूसरे विभागों का हो सकता है। बलविन्द्रपाल सिंह ने कहा कि सरकार जल्द ही नई इंडस्ट्री पॉलिसी लाने जा रही है जिससे और अधिक रियायतें उद्योगपतियों को मिलेंगी।
सिस्टम को ठीक करने की जरूरत : राकेश गोयल
बटाला स्माल स्केल इंडस्ट्री के प्रधान राकेश गोयल ने कहा कि बटाला का उद्योग जगत सरकार की बेरुखी का सबसे अधिक शिकार हुआ है क्योंकि सहयोग न मिलने से इन्फ्रास्ट्रक्चर नाममात्र है जबकि रूल्ज एंड रैगुलेशन अधिक हैं। बैंकों में ब्याज दर्ज सबसे अधिक 10 से 12 प्रतिशत है। सारा सिस्टम ओवरबर्डन होने के चलते इंडस्ट्रियलिस्ट असमंजस में पड़ा हुआ है क्योंकि बिजली का खर्चा, पैट्रोल खर्च, सी.एस.टी., लागत, ई.एस.आई., बैंक आदि के खर्चे निकालकर यदि कोई पैसा बचेगा तो एक बिजनैसमैन अपने घर का गुजारा चलाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को उद्योगपतियों को पहल के आधार पर रियायतें देनी चाहिएं। कोई नई पॉलिसी बनाने की बजाय सिस्टम को ठीक करने की जरूरत है।