Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Nov, 2017 01:04 PM
नशा तस्करी के मामले में 11 साल की सजा पूरी करने वाली पाकिस्तान की महिला फातिमा की बेटी हिना अपने जन्म के बाद आज पहली बार अपने पिता फैज-उल-रहमान की सूरत देखेगी। हिना की मां फातिमा व मौसी मुमताज करीब 11 साल पहले भारत आई थीं और इस दौरान हिना की नानी...
लुधियाना: नशा तस्करी के मामले में 11 साल की सजा पूरी करने वाली पाकिस्तान की महिला फातिमा की बेटी हिना अपने जन्म के बाद आज पहली बार अपने पिता फैज-उल-रहमान की सूरत देखेगी।
हिना की मां फातिमा व मौसी मुमताज करीब 11 साल पहले भारत आई थीं और इस दौरान हिना की नानी राशिदा बीबी भी इनके साथ थीं लेकिन इन तीनों को नशा तस्करी के मामले में अटारी सीमा पर गिरफ्तार कर लिया गया था। जिस समय इन तीनों की गिरफ्तारी हुई उस समय फातिमा गर्भवती थी और लुधियाना की जेल में ही फातिमा ने हिना को जन्म दिया। इस पूरे परिवार की रिहाई से पहले पंजाब केसरी के संवाददाता रिमांशु गाबा ने हिना और उसकी मां फातिमा व मौसी मुमताज के साथ बातचीत की।
पापा इंतजार कर रहे हैं, जीजू ने फोन, घड़ी व फ्रॉक खरीद रखी है
प्रश्र: पाकिस्तान में कौन इंतजार कर रहा है?
हिना: मेरे पापा, मेरी बहनें, मेरे भाई, मेरे मामू और मेरे जीजू मेरा लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। वे मुझे जाने-जिगर और दिल का टुकड़ा कहकर याद करते हैं।
प्रश्र: आपको पाकिस्तान में कौन-से तोहफे मिलेंगे?
हिना: मेरे जीजू ने मेरे लिए फोन और घड़ी लेकर रखी है और मेरी बहनों ने मेरे लिए फ्राकें खरीदी हुई हैं। वे मेरा इंतजार कर रहे हैं और मुझे जाते ही ये सारे तोहफे दिए जाएंगे।
प्रश्र: कभी पापा या अन्य रिश्तेदारों से बात की है?
हिना: नहीं, मैंने उन्हें सिर्फ तस्वीरों में देखा है। मेरी मां जेल से मेरी तस्वीरें चिट्ठी के साथ पापा को भेजती रही है और वहां से मेरे पापा मेरी बहनों, भाइयों, जीजू व बाकी रिश्तेदारों की तस्वीरें मुझे भेजते रहे हैं। इन तस्वीरों के जरिए ही मुझे अपने अब्बू व अन्य रिश्तेदारों की पहचान हुई है।
प्रश्र: बड़ी होकर क्या बनोगी?
हिना: मैं डाक्टर बनूंगी, पुलिस नहीं बनूंगी। पुलिस बनी तो लोगों को जेल में डालना पड़ेगा, उन्हें परिवार से अलग करना पड़ेगा, लोग बददुआएं देंगे। डाक्टर बनी तो लोगों का इलाज करूंगी, उनकी दुआ लगेगी।
प्रश्र: भारत में क्या-क्या सीखा?
हिना: मैंने यहां पंजाब की संस्कृति सीखी। मुझे बोलियां आती हैं, गिद्दा आता है।
प्रश्र: कोई बोली सुनाओ?
हिना: हरे-हरे घा उत्ते सप फूकां मारदा, भज्जो वीरो वे बापू कल्ला मज्जां चारदा।
प्रश्र: दोबारा भारत आना चाहोगी?
हिना: नहीं, मेरा परिवार पाकिस्तान में है, मैं भारत नहीं आऊंगी। मेरे यहां पर बहुत सारे दोस्त हैं। मैं चाहूंगी कि वे मुझे मिलने पाकिस्तान आएं।
जेल में रहते 2 बेटियों की शादी, पोतियों से पहली बार मिलेगी फातिमा
फातिमा जब भारत आई तो गर्भवती होने के साथ-साथ पाकिस्तान में उसके 2 बेटे व 4 बेटियां थीं। बेटियों की उम्र 2 साल, 8 साल, 9 साल व 10 साल थी जबकि बेटों की उम्र 3 व 5 साल थी। फातिमा के जेल में रहते हुए इनमें से 2 बेटियों की शादी हो गई है। फातिमा की बड़ी बेटी ने 2 व छोटी बेटी ने एक बेटी को जन्म भी दे दिया है परन्तु फातिमा ने अपनी पोतियों का मुंह भी नहीं देखा। फातिमा आज पहली बार पाकिस्तान में जाकर अपनी पोतियों का मुंह देखेगी। लिहाजा वह भी रिहाई से पहले भावुक हो गई।
फातिमा के जेल में रहते ही भारत में उसकी मां राशिदा बीबी की मौत हुई और जब इशिता की लाश पाकिस्तान पहुंची तो हार्ट अटैक से फातिमा के पिता की भी मौत हो गई। फातिमा कहती है कि भारत की जेल में उसके साथ बहुत अच्छा सलूक हुआ लेकिन उसकी जिंदगी का एक हिस्सा भारत की जेल में कट गया और इस दौरान उसने अपने मां-बाप को भी गंवा दिया। लिहाजा मैं दोबारा भारत नहीं आना चाहूंगी। फातिमा ने अपनी बेटी हिना को जेल में साथ रखने के लिए सहयोग देने वाली एडवोकेट नवजोत कौर चब्बा और सजा के साथ हुए जुर्माने की रकम अदा करने वाले नवतेज सिंह गग्गू का भी धन्यवाद किया और कहा कि इन लोगों की मदद के बिना उनकी जेल से रिहाई बहुत मुश्किल थी।
रिहा हों दोनों तरफ के कैदी: मुमताज
फातिमा और हिना के साथ जेल काटने वाली उसकी मौसी मुमताज ने कहा कि यहां सीमा पर एक कंटीली बाड़ तो लगी है लेकिन खून दोनों तरफ एक जैसा है, लिहाजा दोनों देशों के रिश्ते सुधरने चाहिएं। दोनों देशों की जेलों में बंद ऐसे कैदी रिहा किए जाने चाहिएं जिनकी सजा पूरी हो चुकी है ताकि वे अपने परिवारों से मिल सकें।
नवतेज अदालत में लड़ी ताकि मां के साथ रहे बच्ची
जेल में अपनी मां के साथ रहने वाली हिना की उम्र जब 5 साल की हुई तो जेल प्रशासन ने उसको चाइल्ड केयर सैंटर में भेजने की तैयारी कर ली। ऐसे में एडवोकेट नवजोत कौर चब्बा ने इस मामले में केस लड़ा और हिना को अपनी मां के साथ रहने के लिए अदालत से आदेश हासिल किया। नवतेज चब्बा ने दलील दी कि एक मां को उसकी बेटी से जुदा नहीं किया जाना चाहिए। भारत के अन्य कैदियों की तुलना में इस मामले को अलग नजरिए से देखा जाना चाहिए।
जेल प्रशासन ने हिना को पढ़ाया
हिना 5वीं क्लास तक की पढ़ाई कर चुकी है और इस मामले में जेल प्रशासन ने हिना के प्रति सदभावनापूर्ण रवैया अपनाते हुए उसकी पूरी मदद की। जेल प्रशासन ने ही मामले को विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाया और इस पाकिस्तानी परिवार की रिहाई सुनिश्चित हो सकी।