Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Aug, 2017 10:07 AM
हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड की किताबों के प्रकाशन को लेकर एक बार फिर से विवाद छिड़ गया है। मामले को लेकर पंजाब के प्रिंटर्ज ने सीधे तौर
जालंधर (पाहवा): हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड की किताबों के प्रकाशन को लेकर एक बार फिर से विवाद छिड़ गया है। मामले को लेकर पंजाब के प्रिंटर्ज ने सीधे तौर पर हिमाचल शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए सी.बी.आई. जांच की मांग की है। जालंधर प्रिंटर्ज एसोसिएशन के सदस्य सतिंद्र कुमार रल्हन, कलभूषण सूरी, राजेश कपूर, राजेश कोहली, रवि चोड्डा ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड के पुस्तकों के प्रकाशन को लेकर पंजाब के प्रिंटर्ज पिछले 3 वर्ष से बोर्ड के पुस्तक प्रकाशन में हो रहे घोटाले को उठा रहे हैं लेकिन कोई उस पर गौर नहीं कर रहा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड के अधिकारी 3 वर्ष से पेपर के साथ पुस्तकों की खरीद में बोर्ड व सरकार का वित्तीय नुक्सान कर अपनी जेबें भर रहे हैं।
प्रिंटर्ज एसोसिएशन के सदस्य ने कहा कि हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड जो पुस्तकें लगभग 97 रुपए प्रति किलो (20-27 सैंटीमीटर) व 115 रुपए किलो (17-24 सैंटीमीटर) की दर पर खरीद रहे हैं वही पुस्तकें दूसरे राज्यों के शिक्षा बोर्ड लगभग 69 रुपए प्रति किलो (20-27 सैंटीमीटर) व 63 रुपए किलो (17-24 सैंटीमीटर) की दर से खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह दर प्रिंटिंग सहित है जबकि पेपर की लागत करीब 52 से 56 रुपए प्रति किलो तक है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड चेयरमैन से लेकर हिमाचल प्रदेश के सी.एम. तक को पिछले वर्ष भी चल रहे इस घपले के बारे जानकारी दी थी। तब कहा गया था कि बोर्ड महंगी पुस्तकें खरीद रहा है। हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन ने तब पत्र भेज कर कहा था कि अगले वर्ष पंजाब के प्रिंटर्ज को पुस्तकें सप्लाई करने का अवसर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष नए सिरे से टैंडर लगाने की बजाय पुराने सप्लायरों को ही आगे का ठेका दे दिया गया है तथा पुरानी व्यवस्था के तहत महंगी पुस्तकें खरीदी जा रही हैं जिससे सरकार को चपत लग रही है तथा करोड़ों रुपए का घपला हो रहा है।
बीते वर्ष जो टैंडर प्रक्रिया अपनाई गई थी उसमें काफी खामियां थीं लेकिन उन्हें दरकिनार कर कुछ चहेतों को तथाकथित सैटिंग के साथ टैंडर जारी किए गए। वही टैंडर अब भी चलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि महंगी पुस्तकें मिलने के कारण वही महंगी पुस्तकें हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड से संबंधित स्कूलों के बच्चों को खरीदनी पड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार बच्चों की शिक्षा पर जोर दे रही है लेकिन हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड के कुछ अधिकारी अपनी तथाकथित कमाई के लिए महंगी पुस्तकें खरीद कर बेच रहे हैं। बीते वर्ष इस मामले को उठाए जाने पर बाद में टैंडर भरने वाली फर्मों ने रेट 25 प्रतिशत तक कम कर दिए थे। इसके बावजूद हिमाचल बोर्ड 40 प्रतिशत महंगी पुस्तकें खरीद रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि मामले को सी.बी.आई. के हवाले किया जाए तथा गहन जांच हो जिससे कि हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड में चल रहे इस बड़े घपले को सामने लाया जा सके।