Edited By Updated: 10 Feb, 2017 04:37 PM
मौसम द्वारा लगातार करवट बदलने के साथ ठंड में कोई कमी नहीं आ रही, जिसके चलते इस बार फरवरी महीने में भी स्वाइन फ्लू के मरीज सामने
नवांशहर (मनोरंजन): मौसम द्वारा लगातार करवट बदलने के साथ ठंड में कोई कमी नहीं आ रही, जिसके चलते इस बार फरवरी महीने में भी स्वाइन फ्लू के मरीज सामने आ रहे हैं।लुधियाना में स्वाइन फ्लू के तीन मरीजों में से एक मरीज की मौत के बाद इलाका निवासी सजग हो गए हैं। साथ ही सेहत विभाग भी अलर्ट हो गया है। सेहत विभाग की ओर से लोगों को इस बारे में जागरूक भी किया जा रहा है।
साबुन से धोएं हाथ
स्वाइन फ्लू से पीड़ित मरीज के छींकने और खांसी के चलते इसका वायरस हवा में फैल जाता है। एक पीड़ित व्यक्ति 20 लोगों को संक्रमित करता है इसलिए नाक और मुंह पर मास्क का कपड़ा बांध कर रखें। अक्सर लोग छींक या खांसी आने पर मुंह पर हाथ रखते हैं फिर उस हाथ से कई लोगों को स्पर्श करते हैं, इससे भी बीमारी फैलती है इसलिए साबुन से नियमित हाथ की सफाई करें। चादर (बैड शीट) और तकिए के कवर की सफाई भी नियमित करें।
ये हैं बीमारी के लक्षण
स्वाइन फ्लू का वायरस सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करता है।
यह पहले नाक, गले व फेफड़े को प्रभावित करता है।
जुकाम, खांसी, नाक से पानी आना और बार-बार छींक आने की समस्या होती है।
बुखार, गले में दर्द, सिर में दर्द, पेट में दर्द और उल्टी, थकान महसूस होती है।
मांसपेशियों में अकडऩ जैसा महसूस होता है।
इसके अलावा सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती महिलाएं रहें ज्यादा सजग
सिविल अस्पताल नवांशहर के एम.डी. मैडीसिन डा. गुरपाल कटारिया का कहना है कि वैसे तो स्वाइन फ्लू की चपेट में कोई भी व्यक्ति आ सकता है लेकिन बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को विशेष सजग रहना चाहिए। इसके अलावा छोटे बच्चों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। निमोनिया के मरीजों को भी सावधान रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को स्वाइन फ्लू का कोई लक्षण दिखाई दे तो तुरंत अस्पताल आकर अपना उपचार करवाए। डा. गुरपाल कटारिया ने बताया कि लोगों को इसके बारे में सेहत विभाग की ओर से जागरूक भी किया जा रहा है।
क्या है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू के एच.एन.-1 वायरस से संक्रमित होने से होता है। इसके दो से चार दिन में बीमारी के लक्षण दिखने लगते हैं। इस लिए तुरंत इलाज कराना चाहिए। लक्षण दिखने पर 48 घंटे के भीतर दवा जरूर लेनी चाहिए, 49 घंटे बाद दवा का अधिक असर नहीं होता।