Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Dec, 2017 02:30 AM
एक बार फिर राज्य में स्वाइन फ्लू के प्रकोप की संभावना को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के निदेशक ने राज्य के सभी सिविल सर्जनों, सरकारी मैडीकल कालेजों के प्रिंसीपलों तथा अस्पतालों के मैडीकल सुपरिंटैंडैंटों को पत्र लिखकर चौकस रहने को कहा गया है। सेहत...
लुधियाना(सहगल): एक बार फिर राज्य में स्वाइन फ्लू के प्रकोप की संभावना को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के निदेशक ने राज्य के सभी सिविल सर्जनों, सरकारी मैडीकल कालेजों के प्रिंसीपलों तथा अस्पतालों के मैडीकल सुपरिंटैंडैंटों को पत्र लिखकर चौकस रहने को कहा गया है।
सेहत विभाग के उच्चाधिकारियों के अनुसार स्वाइन फ्लू के वायरस में बदलाव आने के बाद सर्दियों की उपेक्षा गर्मियों में स्वाइन फ्लू ने अपना घातक असर दिखाया और पुराने रिकार्ड तोड़ दिए। चूंकि सर्दियां शुरू हो चुकी हैं, ऐसे में हर बार अपना प्रकोप दिखाने वाला यह रोग इस बार क्या रूप लेकर आता है, इस पर गौर करने और हर परिस्थितियों के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है।
हर अस्पताल में बनेंगे फ्लू कॉर्नर
स्वास्थ्य निदेशक ने हर सरकारी अस्पतालों की ओ.पी.डी. में फ्लू कॉर्नर बनाने के निर्देश दिए हैं, जहां फ्लू के लक्षणों वाले हर मरीज की जांच होगी। फ्लू कॉर्नर पर तैनात डाक्टर व पैरा-मैडीकल स्टाफ की वैक्सीन करने उन्हें मास्क व ग्लब्स उपलब्ध करवाने के साथ उन्हें स्वाइन फ्लू की गाइडलाइन के प्रति जागरूक करवाने को कहा है, ताकि वे लक्षणों आदि के आधार पर मरीज की पहचान कर सकें।
क्या हैं मुख्य लक्षण?
-खांसी एवं जुकाम, नाक बहना, शरीर में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, गले में दर्द, तेज बुखार व दस्त लगना।
क्या न करें
-मरीजों के साथ हाथ न मिलाएं व गले न मिलें।
-बिना डाक्टर से जांच करवाए दवा न लें।
क्या करें
-तुरंत डाक्टर की सलाह लें।
-खांसते व छींकते समय अपना मुंह व नाक ढंककर रखें।
-अपनी नाक, आंख, मुंह को छूने से पहले व बाद में हाथ धो लें।
-भीड़ वाले स्थानों पर न जाएं।
-खांसी, जुकाम के मरीजों से दूरी बनाकर रखें।
क्या कहते हैं स्वास्थ्य निदेशक डा. राजीव भल्ला?
-मरीजों का उपचार करने वाले स्टाफ व डाक्टरों की वैक्सीन जरूरी।
-ओ.पी.डी. व इनडोर मरीजों की देखभाल करने वाले मैडीकल व पैरा-मैडीकल स्टाफ की वैक्सीन हो चुकी हो तथा ऐसा ही एमरजैंसी में तैनात स्टाफ के लिए किया जाए।
-मरीज की जांच के बाद आशंका होने पर मैडीकल अफसर को सूचित किया जाए। स्वाइन फ्लू की आशंका होने पर मरीज की कैटागरी निर्धारित करें तथा उसके अनुरूप उसका उपचार शुरू किया जाए।
-हर अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड तथा वैंटीलेटर का प्रबंध हो। ऑक्सीजन सप्लाई तथा सैक्शन मशीन का प्रबंध हो।
-कैटागरी ए के मरीजों को घर पर रहकर उपचार करवाने को कहा जाए।
-लोगों को जागरूक करने के लिए पर्चे बांटकर स्वाइन फ्लू के प्रति जागरूक किया जाए।
देश में किस माह, कितने मरीज सामने आए
देश में अब तक 25,864 मरीज सामने आ चुके हैं। इनमें 1268 मरीजों की स्वाइन फ्लू से मौत हो चुकी है। सबसे अधिक मरीज अगस्त माह में सामने आए। इस माह देश में 10,488 मरीज सामने आए तथा 509 मरीजों की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई। इस आंकड़े ने सरकार को चौंका दिया, क्योंकि इससे पहले गत वर्ष गर्मियों में स्वाइन फ्लू के मरीज काफी कम सामने आते रहे हैं। वैज्ञानिकों व शोधकत्र्ताओं ने इसे वायरस में बदलाव आने की बात कही। जुलाई माह में 3772 मरीज सामने आ चुके थे। इनमें 187 की मौत हो गई। मार्च में 3355 व 113 मरीजों की मौत, अप्रैल में 1859 तथा मई में 1687 स्वाइन फ्लू के मरीज सामने आने की बात कही गई है।
पंजाब में 236 मरीजों में 72 की हो चुकी है मौत
राज्य में नैशनल वैक्टर बोर्न डिजिज कंट्रोल के प्रोग्राम अफसर डा. गगनदीप सिंह ने बताया कि पंजाब में अब तक 236 स्वाइन फ्लू के मरीज सामने आ चुके हैं। इनमें से 72 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि लुधियाना में 55 स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई और इनमें 18 मरीजों की मौत हो चुकी है।
सरकारी अस्पतालों में डर का माहौल, 9 हजार ने करवाया टीकाकरण
स्वाइन फ्लू के दिशा-निर्देशों व गर्मियों में सामने आए स्वाइन फ्लू के मामलों को देखते हुए राज्य के सरकारी अस्पतालों में 9 हजार डाक्टरों, पैरा-मैडीकल स्टाफ के अलावा क्लर्कों यूनियन के नेताओं, दर्जा चार कर्मचारियों ने अपना टीकाकरण करवा लिया है कि कहीं जाने-अनजाने में वे स्वाइन फ्लू के मरीज के सम्पर्क में न आ जाएं। अब तक 9 हजार कर्मचारी अपना टीकाकरण करवा चुके हैं।
किन्हें है स्वाइन फ्लू का खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि दूध पीते बच्चों, गर्भवती महिलाओं, युवा तथा बुजुर्ग हाई रिस्क क्षेत्र में आते हैं।
-छाती व हृदय रोगों के मरीज।
-जिन्हें सांस की तकलीफ हो के अलावा क्रोनिक न्यूरोलॉजिक कंडीशन वाले मरीज।
-क्रोनिक मैटाबोलिक रोगों तथा गुर्दा रोग से पीड़ित व्यक्ति।
-जिनकी शारीरिक प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो।
अधिकतर मरीज कर देते हैं रैफर
सरकारी अस्पतालों में अधिकतर स्वाइन फ्लू के मरीजों को निजी अस्पतालों में रैफर कर दिया जाता है, जबकि टीकाकरण सिर्फ अपने बचाव के लिए करवाया जाता है।
सरकारी अस्पतालों में सिर्फ 19 वैंटीलेटर
राज्य के सरकारी अस्पतालों में 19 वैंटीलेटर लगाए गए हैं। इनमें आधे खराब अथवा इन्हें चलाने के लिए प्रशिक्षित टैक्नीशियनों की कमी बताई जा रही है। निजी अस्पतालों में 226 वैंटीलेटर स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए रखे गए हैं।
टैस्ट व दवा मुफ्त, उपचार लाखों में
राज्य में स्वाइन फ्लू की जांच व दवा सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही है, जो नि:शुल्क है, जबकि इसके बावजूद निजी अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के उपचार के लिए लाखों रुपए का बिल मरीज को थमा दिया जाता है।