टूटे मकान के खौफ में जीने को मजबूर है अपाहिज परिवार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Aug, 2017 10:23 AM

handicapped family

जनता के लिए सरकारी योजनाएं आती हैं पर जाती कहां हैं इनका शायद ही कोई जवाब है। जरूरतमंदों को अव्वल तो लाभ मिलता ही नहीं अगर मिले

तलवाड़ा (अनुराधा): जनता के लिए सरकारी योजनाएं आती हैं पर जाती कहां हैं इनका शायद ही कोई जवाब है। जरूरतमंदों को अव्वल तो लाभ मिलता ही नहीं अगर मिले भी तो दर-दर भटक कर। इसी भटकन में भटके हुए हैं गांव फतेहपुर के वीरेंद्र शास्त्री जोकि एक टांग से अपाहिज भी हैं।

सरकारी मकान के जो 2 कमरे बनाए जाते हैं उनका निवेदन उन्होंने कई वर्षों से सरकार को किया है जिसकी अभी तक सुनवाई नहीं हुई। वीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि वह अपने बाबा के बनाए हुए मकान में अपने परिवार सहित रहते हैं। यह मकान दरवाजे की दीवारों वाला पूरी तरह से मिट्टी का बना हुआ है जो अब पूरी तरह खोखला होकर गिर रहा है। हर बारिश के बाद कोई न कोई हिस्सा टूट कर गिर जाता है। वह जैसे-तैसे ईंटें चिन कर अपना सिर ढंक रहे हैं। सिर्फ पंडिताई के कार्य पर निर्भर पंडित वीरेंद्र शास्त्री की इतनी आमदन नहीं होती कि वह नया घर बनवा सकें। ऊपर से घर के जो 2 बच्चे और बीवी है, वह भी असाधारण हैं। 

उनका कहना है कि कुछ समय पहले उनकी दूसरी टांग भी टूट गई थी जिस कारण अब वह वाकर के बिना एक कदम भी नहीं चल पाते ऊपर से जगह-जगह से गिरता घर, टूटते बाले न जाने कब मलबा बन कर उनके ऊपर आ गिरें और वे बेमौत मारे जाएं।उन्होंने कहा कि उन्होंने पिछली सरकारों के समय से कई चक्कर काटे परन्तु उनका काम नहीं हुआ। अब वह पूरे परिवार के साथ अपने बड़े भाई के एक कमरे में रात को सोते हैं और दिन टूटे-फूटे मकान में व्यतीत करते हैं। उन्होंने मौजूदा प्रशासन से निवेदन किया है कि मुझ अपाहिज की जल्द से जल्द सहायता की जाए और सिर छुपाने को दो कमरे मुहैया करवाए जाएं।
 

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