Edited By Updated: 17 Jan, 2017 09:24 AM
समय-समय की सरकारों द्वारा हर वर्ग के लिए नीतियां बनाई जाती हैं व चुनावों के समय एजैंडे में उन्हें स्थान दिया जाता है लेकिन अंगहीनों की तरफ किसी सरकार व दल का ध्यान नहीं है
कपूरथला (गुरविन्द्र कौर): समय-समय की सरकारों द्वारा हर वर्ग के लिए नीतियां बनाई जाती हैं व चुनावों के समय एजैंडे में उन्हें स्थान दिया जाता है लेकिन अंगहीनों की तरफ किसी सरकार व दल का ध्यान नहीं है। अंगहीनों के शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक पुनर्वास व उनको आने वाली मुश्किलों पर विचार करने के लिए व उनको पहल के आधार पर दूर करके पूरे अंगहीन वर्ग को देश के विकास में शामिल करने के लिए यू.एन.ओ. की जनरल एकैडमी में 1982 में पूरे विश्व को हर वर्ष 3 दिसम्बर का दिवस अंगहीन वर्ग को समर्पित करना घोषित किया गया था। इससे पहले 1981 का पूरा वर्ष अंगहीनों को समर्पित किया था, इसी प्रकार 1992 भी सभी देशों द्वारा अंगहीनों के लिए घोषित किया गया था।
हादसों के कारण बढ़ रही संख्या
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देशभर में अंगहीनों की गिनती 2.68 करोड़ के लगभग है जबकि 2001 में यह गिनती 2.19 करोड़ के लगभग थी। चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता लगता है कि अंगहीनों की आबादी में लगभग 2.4 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इसका बड़ा कारण सड़क हादसे व फैक्टरियों में होने वाले एक्सीडैंट हैं जबकि पोलियो का प्रभाव अब न के बराबर कहा जा सकता है।
बढऩे की बजाय घट रही हैं सहूलियतें
अंगहीनों के तीन पहिया स्कूटर पर 1992 में बेअंत सिंह सरकार ने सेल टैक्स भी माफ कर दिया था पर बाद में फिर पंजाब सरकार ने उनके स्कूटर पर वैट लगाकर यह सहूलियत छीन ली। सरकार को सहूलियतें कम करने की बजाय उन्हें अधिक से अधिक सहूलियतें देनी चाहिएं ताकि उनका आर्थिक स्तर ऊंचा हो सके।
पंजाब सरकार के एजैंडे में कभी नहीं रहे अंगहीन
हमेशा ही समय की सरकारों ने अंगहीनों के हितों व हकों को अनदेखा किया है। अंगहीनों को मिलने वाली सोशल सिक्योरिटी पैंशन-1979 में 50 रुपए प्रति माह शुरू की गई थी जो अब जाकर 2 जनवरी 2016 से 500 रुपए की गई है। ऐसे इस पैंशन को 50 से 500 होने के लिए लगभग 37 वर्ष लगे जबकि मंत्रियों, एम.एल.ए., एम.पीज को अपने भत्ते बढ़ाने में सिर्फ 15-20 मिनट ही लगते हैं। अंगहीनों की पैंशन कम से कम 5000 रुपए प्रति माह होनी चाहिए। इसके अलावा पंजाब सरकार के एजैंडे में अंगहीनों को कभी वरीयता नहीं दी गई।
सरकार के एक्ट कागजों तक ही सीमित
अंगहीन कुलदीप राज व अजय ने बताया कि सरकार ने कभी भी अंगहीनों की खबर नहीं ली। सरकार के एक्ट कागजों तक ही सीमित होकर रह गए हैं। उन्होंने कहा कि 1995 का एक्ट अभी तक लागू नहीं हो सका। इस एक्ट के 14 चैप्टर व 72 सैक्शन हैं। नोटबंदी चाहे अंगहीनों के लिए ठीक भी हो सकती है पर सरकार द्वारा अंगहीनों को नोटबंदी दौरान कोई राहत नहीं दी गई।
ड्राफ्ट बिल 2014 आज भी पैंडिंग
यू.एन.ओ. व जनरल असैम्बली के एक फैडरेशन के अनुसार भारत सरकार ने 23 दिसम्बर 1995 को इस वर्ग के लिए इक्वल अपॉच्र्युनिटी प्रोटैक्शन आफ राइट एडं फुल पार्टीसिपेशन एक्ट-1995 पास किया गया। इस एक्ट में रह गई कमियों को दूर करने के लिए इसमें 95 आवश्यक संशोधनों का ड्राफ्ट बिल 2014 से लोकसभा में पास होने के लिए पैंडिंग पड़ा है। इस बिल में अंगहीनों की 7 कैटागरियों को बढ़ाकर 19 किया गया व सरकारी नौकरियों में मौजूदा रिजर्वेशन 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया गया था।