Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Dec, 2017 04:49 PM
‘हैंडीकैप सर्टीफिकेट बनाने वाला विभाग खुद अपाहिज’, यह वाक्य यहां बिल्कुल सटीक बैठता है कि दिव्यांगों को कई तरह की सुविधाएं देने का दावा करने वाली पंजाब सरकार के राज में जिला कपूरथला के कई अस्पतालों में हैंडीकैप सर्टीफिकेट (स्वास्थ्य विभाग पंजाब की...
कपूरथला (मल्होत्रा): ‘हैंडीकैप सर्टीफिकेट बनाने वाला विभाग खुद अपाहिज’, यह वाक्य यहां बिल्कुल सटीक बैठता है कि दिव्यांगों को कई तरह की सुविधाएं देने का दावा करने वाली पंजाब सरकार के राज में जिला कपूरथला के कई अस्पतालों में हैंडीकैप सर्टीफिकेट (स्वास्थ्य विभाग पंजाब की ओर से हैंडीकैप सर्टीफिकेट को डिसेबिलटी का नाम दिया गया है) बनवाने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पंजाब सरकार व स्वास्थ्य विभाग द्वारा हैंडीकैप (दिव्यांग) सर्टीफिकेट बनाने के लिए सप्ताह में सिर्फ एक ही दिन रखा गया है। जिले में दिव्यांगों की अधिक संख्या के कारण उन्हें सप्ताह में एक दिन सर्टीफिकेट बनवाने व पूरी कार्रवाई करने के लिए काफी दिक्कतों व परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं कुछ अस्पतालों में स्टाफ की कमी के चलते दिव्यांगों को मजबूरन जिला अस्पताल में सर्टीफिकेट बनाने के लिए आना पड़ता है। भीड़ के कारण उन्हें कई-कई घंटे अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है।
किसी कारण अगर डाक्टर छुट्टी पर या सीट पर न हो तो सर्टीफिकेट बनवाने वाले आवदेनकत्र्ता दिव्यांग को अगले सप्ताह दोबारा आना पड़ता है। ऊंचा सुनने वाले व बहरेपन के शिकार व्यक्तियों को अपने हैंडीकैप सर्टीफिकेट बनाने के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि सिविल अस्पताल प्रशासन उन्हें अमृतसर के लिए रैफर कर देता है।