Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Aug, 2017 11:13 AM
हर वर्ष जिला प्रशासन व नगर कौंसिल गुरदासपुर शहर में बरसातें आने से पहले बरसाती व गंदे पानी के निकास संबंधी कई तरह के दावे करते हैं, परंतु जब बरसात होती है तो दोनों ही विभागों के दावे खोखले ही प्रमाणित नहींं होते बल्कि बरसात का पानी लोगों का हर साल...
गुरदासपुर (विनोद): हर वर्ष जिला प्रशासन व नगर कौंसिल गुरदासपुर शहर में बरसातें आने से पहले बरसाती व गंदे पानी के निकास संबंधी कई तरह के दावे करते हैं, परंतु जब बरसात होती है तो दोनों ही विभागों के दावे खोखले ही प्रमाणित नहींं होते बल्कि बरसात का पानी लोगों का हर साल लाखों रुपए का नुक्सान कर जाता है।
मामूली बरसात के चलते सीवरेज प्रणाली ठप्प हो जाती है। जानकार सूत्रों के अनुसार जब लगभग 30 वर्ष पहले शहर में सीवरेज डाला गया था, उसके बाद शहर चारों तरफ बहुत अधिक फैल चुका है लेकिन सीवरेज प्रणाली का आधुनिकीकरण नहींं किया गया।
43 करोड़ की योजना के लिए मिले 3 करोड़
शहर में लगभग 110 किलोमीटर सीवरेज सिस्टम है। वर्ष 2015 तथा 2016 में लगभग 13 किलोमीटर सीवरेज ऐसे इलाकों में बिछाया गया जिन इलाकों में सीवरेज सुविधा नहींं थी। गत समय में शहर के साथ लगते कुछ इलाके गांव मानकौर सिंह, शहजादा नंगल, घराला, पाहड़ा, औजला, नबीपुर आदि को नगर कौंसिल अधीन लाया गया।
इन इलाकों में सीवरेज बिछाने के लिए वर्ष 2012 में सीवरेज विभाग ने एक योजना बनाई थी। वर्ष 2016 में कुछ परिवर्तन करके यह योजना लगभग 43 करोड़ रुपए की बना दी गई, परंतु अभी तक इस योजना अधीन मात्र 3 करोड़ रुपए ही मिले हैं जिससे नबीपुर कालोनी में सीवरेज डाला गया है।
आधे से अधिक लोग नहीं देते सीवरेज का बिल
शहर में इस समय लगभग 6,100 सीवरेज कनैक्शन चल रहे हैं, परंतु इनमें से नगर कौंसिल को बिल राशि मात्र 2,400 कनैक्शनों का ही मिल रहा है, जबकि बाकी सभी कनैक्शन 5 मरले से कम के मकानों अधीन आते हैं जिन्हें सरकार ने सीवरेज बिल माफ कर रखा है। इसके अतिरिक्त अधिकतर लोगों ने सीवरेज का कनैक्शन तो ले रखा है परंतु नगर कौंसिल के पास उनका रिकार्ड नहींं है, जिस कारण नगर कौंसिल को राजस्व का घाटा हो रहा है।
घरों का पानी भी डाला जाता है सीवरेज में
शहर में जो सीवरेज डाला जा चुका है, वह शहर के लिए तो काफी था, परंतु अब नई आबादियां शहर के साथ जोड़ दी गई हैं जिसमें जेल रोड नगर सुधार ट्रस्ट कालोनी, बाजवा कालोनी, रामशरणम कालोनी, हरदोछन्नी रोड का प्रेम नगर का सारा इलाका इसी सीवरेज के साथ जोड़ा गया है।
इसी तरह ज्यूडीशियल कॉम्पलैक्स तथा नया बना प्रशासनिक कॉम्पलैक्स भी इसी सीवरेज प्रणाली से जोड़ा गया है। शहर में अधिकतर लोगों द्वारा अपने घरों की छतों का पानी तथा प्रतिदिन घर में प्रयोग होने वाले पानी का निकास भी सीवरेज में डाल दिया है। नालियों को बंद कर दिया गया है तथा सीवरेज की क्षमता कम होने कारण बरसात के मौसम में सीवरेज बैक मारना शुरू कर देता है व गंदा पानी ओवरफ्लो होकर सड़कों पर फैल जाता है।
प्लास्टिक के लिफाफे भी बनते हैं ब्लॉकेज का कारण
शहर में जितने भी बरसाती या गंदे पानी के निकासी नाले हैं, वे सभी गीता भवन सड़क मोड़ पर आकर समाप्त होते हैं। उसके आगे सभी नालों का पानी सीवरेज में डाल दिया गया है़। नालों में बह कर आए प्लास्टिक के लिफाफे आदि सीवरेज में चले जाते हैं। गीता भवन सड़क के मोड़ पर बेशक चैम्बर बनाया गया है ताकि प्लास्टिक या अन्य सामान सीवरेज में न जाए, परंतु कचरा व प्लास्टिक चैम्बर से सीवरेज में चला जाता है जिससे सीवरेज ब्लॉक हो जाते हैं।
मियाद से भी दशक पुरानी हैं पेयजल पाइपें
शहर में सीवरेज प्रणाली तो 1987-88 में बिछाई गई थी जबकि वाटर सप्लाई पाइपें वर्ष 1970-71 में बिछाई गई थीं। वाटर सप्लाई के लिए बिछाई पाइपें लोहे की होने कारण वे जंग लगने से लगभग गल चुकी हैं। इन पाइपों की मियाद 25 वर्ष मानी जाती है लेकिन इन्हें 35 वर्ष से अधिक बीत चुके हैं। कुछ स्थानों पर सीवरेज तथा वाटर सप्लाई की पाइपें साथ-साथ बिछाई गई हैं। इनकी लीकेज होने से वाटर सप्लाई में सीवरेज का गंदा पानी मिल जाता है। इस संबंधी कई बार नगर कौंसिल के ध्यान में केस आए हैं, परंतु स्थायी समाधान की बजाय मामूली मुरम्मत करवाकर काम चलाया जा रहा है।