उपचुनाव में करारी हार के साथ माझा क्षेत्र में आम आदमी पार्टी को एक और झटका

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Oct, 2017 08:34 AM

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गुरदासपुर लोकसभा हलका में आम आदमी पार्टी की बेहद कमजोर कारगुजारी सामने आने के बाद इस पार्टी के माझा जोन से संबंधित ऑब्जर्वर चरनजीत सिंह चन्नी ने पार्टी के अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। पद छोडऩे के इस बड़े फैसले का ऐलान करते हुए चन्नी ने...

गुरदासपुर (हरमनप्रीत): गुरदासपुर लोकसभा हलका में आम आदमी पार्टी की बेहद कमजोर कारगुजारी सामने आने के बाद इस पार्टी के माझा जोन से संबंधित ऑब्जर्वर चरनजीत सिंह चन्नी ने पार्टी के अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। पद छोडऩे के इस बड़े फैसले का ऐलान करते हुए चन्नी ने पार्टी के काम करने के ढंग पर सवाल उठाते हुए पार्टी की लीडरशिप खिलाफ कई गंभीर आरोप भी लगाए। जिक्रयोग्य है कि उपचुनाव दौरान ही माझा जोन के प्रधान कंवलप्रीत सिंह काकी भी साथियों सहित इस्तीफा देकर पार्टी छोड़ गए थे। 

पिछले साल सितम्बर में शामिल हुए थे आप में
चरनजीत सिंह चन्नी 1997 में नवांशहर से बतौर आजाद उम्मीदवार चुनाव जीत कर विधायक बने थे। बाद में 1999 की लोकसभा चुनाव दौरान वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ कर होशियारपुर से लोकसभा मैंबर चुने गए। विधानसभा संबंधी मतदान से पहले चन्नी सितम्बर 2016 में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे। पार्टी ने उनको माझा से पार्टी का ऑब्जर्वर बनाया था। 

फैसले लेने की प्रक्रिया पर उठाए सवाल
‘पंजाब केसरी’ के साथ बातचीत करते हुए चन्नी ने कहा कि उपचुनाव के लिए उम्मीदवार के नाम का ऐलान करने से पहले पार्टी ने एक बार भी उनके साथ बात करनी जरूरी नहीं समझी और न ही वालंटियरों की भावनाओं और विचारों को समझने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि पहले उनकी किसी भी तरह की सहमति और सलाह लिए बगैर उम्मीदवार के नाम का ऐलान किया गया और बाद में चुनाव प्रचार दौरान भी उनकी सलाह लेनी तो दूर बल्कि उनको पार्टी उम्मीदवार की चुनाव प्रचार मुहिम सम्बन्धी बनाए गए प्रोग्रामों बारे भी कोई जानकारी नहीं दी गई। इस कारण उन्होंने चुनाव प्रचार दौरान अपने स्तर पर पार्टी उम्मीदवार की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए पूरी कोशिश की, परन्तु सीनियर लीडरशिप की तरफ से कोई सहयोग और जानकारी न मिलने कारण वह कुछ दिन पहले ही यह हलका छोड़ कर चले गए थे। 

सीनियर नेताओं पर लगाए गंभीर आरोप
चन्नी ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल और उनके साथियों की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। उपचुनाव का नतीजा तो आज आया है, परन्तु उनको यह समझ नहीं लगी कि हाईकमान ने नतीजे से 2 दिन पहले ही गुरदासपुर, पठानकोट और अमृतसर की जिला इकाइयां भंग क्यों कर दीं थीं। उन्होंने कहा कि इन इकाइयों के गठन को करीब 2 महीने ही हुए थे और इतनी जल्दी इनको भंग करने की कार्रवाई ने पार्टी के फैसलों पर अपने आप ही सवाल पैदा कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी ने उनको बतौर ऑब्जर्वर तैनात किया था, परन्तु वास्तविकता यह थी कि पार्टी के अहम फैसलों की जानकारी उनको भी अखबारों से ही मिलती थी क्योंकि पार्टी के तानाशाह नेता किसी को कु छ बताने या पूछने की जरूरत ही नहीं महसूस करते थे, इसलिए उन्होंने यह महसूस किया है कि जिस पार्टी के लिए वह कु छ कर ही नहीं सकते तो यहां रहने का कोई अर्थ नहीं है। भविष्य के फैसले सम्बन्धी जवाब में उन्होंने कहा कि समय आने पर वह अगला फैसला लेंगे। 

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