Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Sep, 2017 01:41 PM
माझा बैल्ट की हॉट सीट गुरदासपुर संसदीय क्षेत्र से चिरप्रतीक्षित उप-चुनाव राजनीतिक दलों के सिर पर आ पहुंचा है।
पठानकोट (शारदा): माझा बैल्ट की हॉट सीट गुरदासपुर संसदीय क्षेत्र से चिरप्रतीक्षित उप-चुनाव राजनीतिक दलों के सिर पर आ पहुंचा है। चुनावी बिगुल बजते ही राजनीतिक दलों की सरगर्मियां भी शिखर पर आ पहुंची हैं। पहली कवायद पार्टी प्रत्याशियों की घोषणा की है जिसमें फिलहाल नूराकुश्ती चल रही है।
टिकट के दावेदारों में चल रही नूराकुश्ती ने भाजपा हाईकमान के लिए मुश्किलें बढ़ाईं
प्रदेश भाजपा के प्रभारी प्रभात झा अपनी हर बैठक में कहते रहे हैं कि उप-चुनाव की घोषणा होते ही संसदीय क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी की घोषणा कर दी जाएगी जबकि अब 12 सितम्बर को चुनाव आयोग ने इस हॉट सीट के लिए उप-चुनाव की तिथि 11 अक्तूबर तय की है। इस घोषणा को हुए भी सप्ताह बीतने को है परन्तु भाजपा हाईकमान चुनावी समर में उतारने के लिए अभी तक अपने ‘बाहुबली’ का चयन नहीं कर पाई।
अब प्रदेश भाजपा प्रभारी दावा कर रहे हैं कि 21 सितम्बर तक पार्टी प्रत्याशी की घोषणा कर दी जाएगी। ऐसे में स्पष्ट है कि जिस प्रत्याशी चयन व घोषणा को लेकर राज्य की सत्ता से बाहर चल रही भाजपा को बढ़त बनानी थी, उसमें वह पहले चरण में पिछड़ गई है। राज्य की सत्ता से बाहर हुए किसी भी राजनीतिक दल के लिए उप-चुनाव जैसे छोटे चुनाव में जीत दर्ज करना राजनीतिक रणक्षेत्र में हमेशा टेढ़ी खीर साबित होता है।
नामांकन पत्र दाखिल करने की तिथि सिर पर आ पहुंची है, ऐसे में पार्टी द्वारा अभी तक विजयी क्षमता वाला प्रत्याशी न ढूंढ पाने से वर्करों में ऊहा-पोह की स्थिति बनी हुई है तथा दावेदारों के समर्थक अपने-अपने नेता के चुनाव में उतरने के दावे कर रहे हैं जोकि भ्रम की स्थिति पैदा किए हुए हैं।
ऐसे में भाजपा हाईकमान को उप-चुनाव में अपनी विजय की डगर आसान बनाने के लिए किसी सशक्त एवं नए चेहरे की तलाश करनी होगी जो युवा भी हो व स्थानीय संसदीय स्तर पर उसकी मजबूत पैठ भी हो। वहीं आर.एस.एस. समॢथत प्रत्याशी उप-चुनाव के लिए विजयी व अधिक कारगर साबित हो सकता है।
गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव में होगा वी.वी.पी.ए.टी. का इस्तेमाल : जिलाधीश
गुरदासपुर (विनोद, दीपक): पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा सीट पर 11 अक्तूबर को होने वाले उपचुनाव में वी.वी.पी.ए.टी. का इस्तेमाल होगा।
जिला चुनाव अधिकारी गुरदासपुर गुरलवलीन सिंह सिद्धू ने बताया कि गुरदासपुर जिले की 6 विधानसभा सीटों दीनानगर, गुरदासपुर, डेरा बाबा नानक, फतेहगढ़ चूडिय़ां, बटाला और कादियां तथा पठानकोट जिले के 3 विधानसभा क्षेत्रों पठानकोट, सुजानपुर और भोआ को वी.वी. पी.ए.टी. इकाइयां मुहैया करवाई जाएंगी। पंजाब में पहली बार वी.वी.पी.ए.टी. का इस्तेमाल होगा।
उप-चुनाव से पूर्व कांग्रेस में व्याप्त गुटबंदी पर अंकुश लगाना चुनौती
उम्मीदवार चयन को लेकर कांग्रेस भी कशमकश में है। हाईकमान के लिए उप-चुनाव से पूर्व पार्टी में व्याप्त गुटबंदी पर अंकुश लगाना जहां चुनौती है वहीं गुटों में बंटे कार्यकत्र्ताओं के लिए समान पसंद का विजयी क्षमता वाला प्रत्याशी देना भी कड़ी मशक्कत है। बेशक संसदीय क्षेत्र के अधीन आते अधिकांश निर्वाचन क्षेत्रों के मौजूदा विधायक दावा कर रहे हैं कि प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ सशक्त प्रत्याशी हो सकते हैं। इसके बावजूद कुछेक नेताओं द्वारा स्थानीय व बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा उप-चुनाव के ऐन पहले उठाने से पार्टी वर्करों में कोई सुखद संदेश नहीं गया है। इससे पार्टी की स्थिति को आंशिक ही सही आघात पहुंचा ही है।
बेशक गुरदासपुर संसदीय क्षेत्र के 9 वि.स. हलकों में 7 पर राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी काबिज है। बावजूद इसके प्रत्याशी के लिए किसी एक व्यक्ति के नाम पर शत-प्रतिशत सहमति बनाना हाईकमान के लिए टेढ़ी खीर है। चूंकि यह उप-चुनाव परम्परागत राजनीतिक दलों के लिए 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों की हार-जीत का मार्ग प्रशस्त करेगा वहीं इसका असर राज्य से सटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के होने वाले वि.स. चुनावों पर भी पड़ेगा। ऐसे में पार्टी हाईकमान टिकट चयन के लिए फूंक-फूंककर कदम रख रही है।
‘आप’ के लिए दिल्ली लॉबी का साया उप-चुनाव से दूर रखना बड़ी चुनौती
वि.स. चुनावों में राज्य में सरकार बनाते-बनाते रह गई आम आदमी पार्टी के लिए इस उप-चुनाव में खोने के लिए कुछ अधिक नहीं है। ‘आप’ अगर पिछले लोकसभा चुनाव में मिले मतों की संख्या का आंकड़ा बरकरार रखने में सफल रहती है तो उसका वजूद बना रहेगा। अगर ‘आप’ उप-चुनाव में अन्य परम्परागत दलों की उठी सुनामी में बह गई तो भविष्य में उसके राजनीतिक बेड़े पर सवार होने से कोई वर्कर सौ बार सोचेगा, वहीं रहा-सहा कैडर भी तहस-नहस हो जाएगा। ‘आप’ के लिए उप-चुनाव में दिल्ली लॉबी का साया दूर रखना बड़ी चुनौती है, कि पिछले वि.स. चुनावों में ‘आप’ के आब्जर्वर ऐसे-ऐसे कांड कर चुके हैं कि उनका स्थानीय नेताओं-वर्करों पर अब भी खौफ कायम है। उधर ‘आप’ ने मेजर जनरल रैंक के अधिकारी को प्रत्याशी बनाकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रत्याशी उतारा है, वह भी लोकल। ऐसे में ‘आप’ ने अन्य परम्परागत दलों से लोकल (स्थानीय) का मुद्दा छीनते हुए प्रारम्भिक बढ़त लेने का प्रयास किया है।