गुरदासपुर में भी भाजपा के सामने मजबूत चेहरा ढूंढने की चुनौती

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Dec, 2017 09:59 AM

gurdaspur also faces the challenge of finding a strong face in front of bjp

पंजाब की लोकसभा सीटों के विश्लेषण की इस सीरीज में आज हम बात करेंगे गुरदासपुर लोकसभा सीट की।अमृतसर के बाद यह पंजाब की दूसरी ऐसी सीट होगी जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए दमदार चेहरा ढूंढने की चुनौती होगी।

जालंधरः पंजाब की लोकसभा सीटों के विश्लेषण की इस सीरीज में आज हम बात करेंगे गुरदासपुर लोकसभा सीट की।अमृतसर के बाद यह पंजाब की दूसरी ऐसी सीट होगी जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए दमदार चेहरा ढूंढने की चुनौती होगी।

पंजाब केसरी संवादाता नरेश कुमार बता रहे हैं कि इस सीट पर भाजपा के सांसद रहे विनोद खन्ना के निधन के बाद स्थानीय चेहरे स्वर्ण सिंह सलारिया पर दाव खेलने का भाजपा का सियासी पैंतरा इस साल हुए उपचुनाव में बुरी तरह से फेल हो गया है। लिहाजा पार्टी को इस सीट पर ऐसा चेहरा ढूंढना होगा जो उपचुनाव के दौरान चुने गए पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ के मुकाबले ज्यादा विश्वसनीय हो।

यह सीट वैसे तो कांग्रेस के प्रभाव वाली है लेकिन 1998 के बाद इस सीट पर भाजपा का दबदबा बन गया था। इस दौरान सिर्फ 2009 के चुनाव में ही विनोद खन्ना मामूली अंतर से चुनाव हारे थे जबकि 1998, 1999, 2004 और 2014 के चुनाव में गुरदासपुर की जनता ने खन्ना पर ही भरोसा जताया। हालांकि उनके ऊपर बाहरी होने का ठप्पा भी लगाया गया लेकिन बतौर सांसद पहली ही पारी में विनोद खन्ना द्वारा इलाके में बनाए गए पुलों के कारण उनका नाम पुलों वाला खन्ना के तौर पर चर्चित हो गया। 2014 के चुनाव में विनोद खन्ना ने इस सीट पर प्रताप सिंह बाजवा को हराया था। विनोद खन्ना को 4,82,255 वोट हासिल हुए थे जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार प्रताप सिंह  बाजवा को 3,46,190 मत मिले थे। विनोद खन्ना 
की जीत का अंतर 1,36,065 वोट रहा।

इस जीत के बाद विनोद खन्ना कुछ समय तक तो सक्रिय रहे लेकिन बाद में उनकी तबीयत बिगडऩे के कारण बतौर सांसद उनकी सक्रियता कम हो गई। इसका असर संसद में उनकी हाजिरी और बतौर सांसद उन्हें मिलने वाले फंड खर्च पर भी साफ नजर आया। लंबी बीमारी के बाद खन्ना का निधन हो गया और उनके निधन के बाद खाली हुई सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ को मैदान में उतार दिया।

उपचुनाव में जाखड़ को 4,99,752 वोट हासिल हुए और उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार स्वर्ण सिंह सलारिया को 1,93,219 मतों के अंतर से हराया। यह कांग्रेस की गुरदासपुर में अब तक की सबसे बड़ी जीत रही। पार्टी ने इस दौरान इस लोकसभा क्षेत्र के अधीन आते सारे 9 विधानसभा हलकों पर कब्जा कर लिया। 2014 के चुनाव में विनोद खन्ना ने भी सारे 9 विधानसभा हलकों पर लीड हासिल की थी। इस चुनाव की बड़ी बात यह रही कि आम आदमी पार्टी को इस सीट पर डेढ़ लाख वोट का नुक्सान हुआ और उसका उम्मीदवार 3 प्रतिशत वोट भी हासिल नहीं कर सका।अगले चुनाव में भी इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधे मुकाबले के आसार हैं लेकिन यह  भी देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस सीट पर सुनील  जाखड़ को ही बरकरार रखती है या उनकी जगह किसी स्थानीय चेहरे को मैदान में उतारा जाता है। 

संसद में विनोद खन्ना

हाजिरी 50
बहस में हिस्सा 07
सवाल पूछे 00

 ऐसे रही विनोद खन्ना की हाजिरी
 

पहला सत्र 100
दूसरा सत्र 96
तीसरा सत्र 73
चौथा सत्र   86
पांचवां सत्र  0
छठा सत्र 0
सातवां सत्र 75
आठवां सत्र 31
नौवां सत्र  10
दसवां सत्र 38
ग्यारहवां सत्र 0

 

फंड खर्च 
 

जारी फंड 10 करोड़
ब्याज सहित फंड    10.25 करोड़
खर्च फंड 6.33 करोड़़
बचा फंड    3.92 करोड़
कुल खर्च फंड      63.34 करोड़

    

 

 

 

 

 

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