Edited By Updated: 21 Jan, 2017 10:17 AM
आबकारी एवं कराधान विभाग महानगर के 64 हजार के लगभग वैट डीलरों को जी.एस.टी. के पोर्टल लाने का प्रयास कर रहा है।
लुधियाना (स.ह.): आबकारी एवं कराधान विभाग महानगर के 64 हजार के लगभग वैट डीलरों को जी.एस.टी. के पोर्टल लाने का प्रयास कर रहा है। बावजूद इसके विभाग द्वारा 60 फीसदी के लगभग प्रोवीजनल जी.एस.टी. आई.डी. पासवर्ड दिए गए हैं। अभी तक विभाग के जिला-1 को 17,900 आई.डी. पासवर्ड मिले थे, जिसमें से 10,500 दिए जा चुके हैं, जबकि 7400 बकाया हैं। इसी प्रकार जिला-2 को 17,377 मिले, 11,016 बंटे तथा 6361 बकाया हैं। वहीं जिला-3 को 13,866 मिले, 8302 बंटे तथा 5564 विभाग के पास बकाया हैं।
विभाग के पास वर्तमान में 40 फीसदी के लगभग बकाया पड़े हैं, जिन्हें वैट डीलरों को 31 दिसम्बर तक जारी करना अनिवार्य था। यह डैडलाइन जी.एस.टी. कौंसिल ने दी थी, जिसे सफल बनाने के लिए विभाग ने भरसक प्रयास किए। इसके लिए उन्होंने कैम्पों का आयोजन किया और एम.एस. द्वारा मैसेज भी किए गए हैं। विभाग चाहता है कि ये सभी आई.डी. पासवर्ड डीलरों तक पहुंच जाएं, ताकि उनको जी.एस.टी. के दायरे में लाया जा सके।
भारत के वित्त मंत्री अरुण जेतली के अनुसार जी.एस.टी. कानून अब 1 अप्रैल की जगह 1 जुलाई से शुरू होगा, जिसका कारण है कि राज्य सरकारें इसे लागू करने में असमर्थता जाहिर कर रही हैं। महानगर के 22 फीसदी वैट डीलरों ने अभी तक जी.एस.टी. आई.डी. पासवर्ड नहीं लिए हैं। राज्य के 2.37 लाख वैट डीलरों में से 1.80 लाख आई.डी. पासवर्ड तैयार हुए हैं, जबकि 57 हजार के बनने अभी बाकी हैं। इन्हें देने के लिए विभाग ने फरवरी 2017 की डैडलाइन दी हुई है।
यहां सवाल यह उठता है कि जो चीज विभाग नि:शुल्क देना चाहता है, डीलर उसे क्यों नहीं ले रहे। यह बात भी अटल है कि जो व्यक्ति वैट डीलर है, उसे जी.एस.टी. कानून के दायरे में आना ही होगा परंतु यहां एक समस्या है कि बड़ी संख्या में वैट डीलर खुद पढ़े-लिखे नहीं हैं, जबकि जी.एस.टी. का पूरा सिस्टम ऑनलाइन है। यही कारण है कि जो अभी तक जी.एस.टी. आई.डी. पासवर्ड नहीं ले रहे उन्हें ऐसा ही डर बना हुआ है कि कहीं इसे लेने के बाद धंधा खत्म तो नहीं हो जाएगा।
जी.एस.टी. के दायरे में आना व्यापारियों के हित में : भूपिंद्र गुप्ता
सहायक आबकारी एवं कराधान कमिश्नर जिला-3 भूपिन्द्र गुप्ता ने कहा कि जी.एस.टी. के दायरे में आना हर व्यापारी के हितकर है, क्योंकि जी.एस.टी. के आने के बाद कारोबार करना सरल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जिन वैट डीलरों के आई.डी. पासवर्ड विभाग के पास पड़े हैं, वे तत्काल ले जाएं। इसके लिए हर समय अधिकारी ड्यूटी पर होगा और विभाग इसके लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं ले रहा है।