Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Oct, 2017 01:57 PM
इस बार जी.एस.टी. का असर महिलाओं के विशेष त्यौहार पर साफ तौर पर देखने को मिला।
निहाल सिंह वाला/बिलासपुर(बावा/ जगसीर): इस बार जी.एस.टी. का असर महिलाओं के विशेष त्यौहार पर साफ तौर पर देखने को मिला। कुछेक स्थानों को छोड़कर इस बार न तो बाजारों में ज्यादा रौनक देखने को मिली तथा न ही सुहागिनों में पिछले सालों की तरह नए तथा महंगे सूट पहनने का चाव देखने को मिला। ज्यादातर दुकानदारों ने माना कि प्रत्येक त्यौहार इस बार जी.एस.टी. की मार के नीचे आर्थिक मंदहाली का शिकार है।
कई दुकानदारों का कहना था कि प्रत्येक त्यौहार से पहले उनको खुशी होती थी तथा वह दुकान के अलावा दुकानों के आगे भी पंडाल लगाकर वस्तुओं की बिक्री करते थे लेकिन इस बार उनकी खुशी छीन ली गई है। दूसरी ओर करवाचौथ के दिन रौनक गायब होने का कारण यह भी है कि गांवों में करवाचौथ के लिए पहले बुजुर्ग महिलाएं जो बातें सुनाने के लिए प्रमुख मानी जाती थीं, उनकी गिनती भी नाममात्र रह गई है क्योंकि युवा पीढ़ी इन बातों में विश्वास न रखती हुई वैज्ञानिक युग के साथ जुड़ चुकी है।
जिक्रयोग्य है कि बात सुनाने वाली महिलाओं को बदले में दाने तथा अन्य पकवान दिए जाते थे लेकिन आजकल नई पीढ़ी की महिलाएं बात सुनाने बदले दाने तथा अन्य पकवान लेने को अपनी हेठी समझती हैं, जिस कारण आने वाले समय में लगता है कि यह बात की रस्म दम तोड़ जाएगी।