Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Oct, 2017 04:57 PM
राज्य सरकार द्वारा 20 छात्रों से कम संख्या वाले 800 के करीब प्राइमरी स्कूलों को बंद करने के आदेश का चाहे विपक्षी पार्टियां तथा अध्यापक यूनियन विरोध कर रही हैं।
जालंधरःराज्य सरकार द्वारा 20 छात्रों से कम संख्या वाले 800 के करीब प्राइमरी स्कूलों को बंद करने के आदेश का चाहे विपक्षी पार्टियां तथा अध्यापक यूनियन विरोध कर रही हैं। पर किसी ने भी छात्रों की इन स्कूलों में कम संख्या होने के कारणों पर ध्यान नहीं दिया है।
पिछले 7 सालों में 5 लाख छात्र सरकारी स्कूल छोड़ चुके हैं। पंजाब में प्राइमरी स्कूलों में 2010 में छात्रों की संख्या 14.5 लाख थी जो 2017 में कम होकर 9.5 लाख रह गई है। इसका मुख्य कारण सुविधाओं के अभाव में अभिभावकों द्वारा सरकारी की जगह प्राइवेट स्कूलों को तरजीह देना है।
सरकारी स्कूलों में कम हो रही छात्रों की संख्या का मुख्य कारण राज्य सरकार द्वारा शिक्षा स्तर की तरफ ध्यान न देना है। इसके लिए न तो पूर्व अकाली-भाजपा सरकार ने कुछ किया न ही तत्कालीन सरकार कुछ कर रही है। इस संबंधी पूर्व अकाली-भाजपा सरकार में शिक्षा मंत्री रहे दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि छात्रों की संख्या सरकारी स्कूलों में अवश्य कम हुई है। पर यह संख्या 5 लाख नहीं है। उन्होंने कहा कि छात्रों की कम हो रही संख्या पर तब अध्यापकों और उनकी यूनियनों ने आवाज क्यों नहीं उठाई। वह अपने स्तर पर भी छात्रों को सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए प्रोत्साहित कर सकते थे।