Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Jul, 2017 11:53 AM
इस समय पंजाब के 22 जिलों के विभिन्न विभागों में कार्य कर रहे हजारों कर्मचारियों को अभी तक सरकार ने सरकारी मुलाजिम का दर्जा नहीं दिया तथा वे अभी तक कच्चे मुलाजिम के तौर पर ही कार्य कर रहे है।
श्री मुक्तसर साहिब(तनेजा): इस समय पंजाब के 22 जिलों के विभिन्न विभागों में कार्य कर रहे हजारों कर्मचारियों को अभी तक सरकार ने सरकारी मुलाजिम का दर्जा नहीं दिया तथा वे अभी तक कच्चे मुलाजिम के तौर पर ही कार्य कर रहे है। इन मुलाजिमों को बहुत कम वेतन देकर सरकार कार्य करवा रही है व न ही इनको बाकी सरकारी विभागों के मुलाजिमों की भांति कोई सुविधाएं मिल रही हैं।
भले ही पूर्व अकाली-भाजपा सरकार ने 27 हजार कच्चे मुलाजिमों को पक्का करने का वायदा किया था परंतु वह कार्य अधर में ही है। अगर देखा जाए तो विभिन्न विभागों में कार्य कर रहे कच्चे मुलाजिमों की संख्या का आंकड़ा लाखों में हो जाएगा। जो इसी उम्मीद पर ही कार्य कर रहे है कि शायद उन्हें सरकारी मुलाजिम का दर्जा मिल जाए और वह भी सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें।
एन.आर.एच.एम. स्टाफ नर्सिज इम्प्लाइज यूनियन संघर्ष के रास्ते पर
स्वास्थ्य विभाग में कार्य कर रही एन.आर.एच.एम. स्टाफ नर्सिज इम्प्लाइज यूनियन रैगुलर होने की मांग कर रही हैं। यूनियन की राज्याध्यक्ष नवनीत कौर श्री मुक्तसर साहिब, उपाध्यक्ष मनप्रीत कौर भटिंडा व वित्त सचिव रणजीत कौर ने बताया कि उन्हें विभाग में कार्य करते 17 वर्ष बीत चुके है। उनकी भर्ती पूरी शर्तों व मापदंडों के तहत मैरिट के आधार पर की गई थी। उन्हें ठेका आधार पर सिर्फ 10 हजार रुपए माह पर रखा गया था जबकि उनकी योग्यता वाले स्वास्थ्य विभाग में भर्ती हुई स्टाफ नर्सें उनसे 5 गुना अधिक वेतन ले रही है जबकि ड्यूटी एक जैसी है।
सेवाएं रैगुलर करवाने के लिए वह पंजाब सरकार के अधिकारियों व मंत्रियों से अनेक बार मिल चुके हैं परंतु मामला जस का तस बना हुआ है। अब विभाग में स्टाफ नर्सों को भर्ती की जानी है। इसलिए एन.आर.एच.एम. अधीन कार्य करती स्टाफ नर्सों को विभाग के कर्मचारी बनाकर रैगुलर किया जाए।
42 वर्षों से इंतजार कर रही हैं आंंगनबाड़ी वर्कर्ज व हैल्पर
आई.सी.डी.एस. योजना के अधीन सामाजिक सुरक्षा स्त्री व बाल विकास विभाग पंजाब में 1975 से कार्य कर रही राज्य भर की 53 हजार 400 आंगनबाड़ी वर्करों व हैल्परों को सरकारी मुलाजिम का दर्जा नहीं दिया गया व उनको क्रमश: 5600 रुपए व 2600 रुपए प्रति माह वेतन देकर अपने विभाग के अतिरिक्त अन्यों विभागों का कार्य भी करवाया जा रहा है।
उक्त वर्कर व हैल्पर गत 42 वर्षों से इंतजार कर रही हैं कि सरकार उन्हें कब पक्का करेगी। ऑल पंजाब आंगनबाड़ी मुलाजिम यूनियन की राज्याध्यक्ष हरगोङ्क्षबद कौर ने बताया कि वर्करों व हैल्परों को सरकारी मुलाजिम का दर्जा दिलाने के लिए संगठन द्वारा सरकार के खिलाफ जोरदार संघर्ष किया जा रहा है। समय की सरकारों ने वर्करों व हैल्परों से हमेशा ही सौतेली मां जैसा सलूक किया है।
1700 रुपए में गुजारा कर रहीं मिड-डे मील वर्कर्ज
राज्य भर के सरकारी स्कूलों में बच्चों को दिए जाने वाले मिड-डे मील की योजना के अधीन दोपहर का खाना बनाने वाली मिड-डे मील वर्करों से सरकार कौन सा मजाक कर रही है। उन्हें हर माह सिर्फ 1700 रुपए ही वेतन दिया जा रहा है। मिड-डे मील वर्कर यूनियन की राज्याध्यक्ष लखविंद्र कौर ने बताया कि पूरे पंजाब के सरकारी स्कूलों में 40 हजार मिड-डे मील वर्कर कार्य कर रही हैं। संगठन की मुख्य मांग है कि सरकार उन्हें पक्का करे या कम से कम उजरत के घेरे में लाकर उन्हें 18 हजार रुपए वेतन दिया जाए। उन्होंने बताया कि मिड-डे मील वर्कर्ज सरकार के खिलाफ राज्य भर में अपनी मांगों के संबंध में संघर्ष कर रही हैं।
वन विभाग के कच्चे कर्मियों ने भी उठाईं मांगें
पंजाब के वन विभाग में कार्य कर रहे कच्चे कर्मी भी अपना हक लेने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी मांग है कि सरकार अपने वायदे के अनुसार कच्चे मुलाजिमों को सरकारी मुलाजिम का दर्जा दे। वन विभाग में इस समय 3 हजार के करीब कच्चे मुलाजिम कार्य कर रहे हैं। वन मुलाजिम यूनियन के राज्याध्यक्ष बलवीर सिंह ने बताया कि पिछली सरकार ने 2370 वन कर्मियों को पक्का करने का नोटिफिकेशन जारी किया था परंतु अभी उन्हें पक्का नहीं किया व उन्हें सिर्फ 7500 रुपए प्रति माह देकर ही कार्य करवाया जा रहा है।
वैटर्नरी ए.आई. वर्करों को सरकार पक्का करे
पशु पालन विभाग अधीन कार्य कर रहे वैटर्नरी ए.आई. वर्करों की मांग है कि सरकार उन्हें सरकारी मुलाजिम का दर्जा दे। वैटर्नरी ए.आई. वर्कर यूनियन जिला मुक्तसर के अध्यक्ष मुकंद सिंह भागसर व जिला प्रैस सचिव जसविंद्र सिंह ने बताया कि वह 8 वर्षों से पशु पालन विभाग में कार्य कर रहे हैं। भैंसों व गायों की नस्ल सुधारने के लिए उक्त वर्कर सरकार से टीके लेकर पशु पालकों तक लेकर जाते हैं। सरकार को प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपए कमाई होती है परंतु बदले में वैटर्नरी ए.आई. वर्करों को कुछ नहीं दिया जा रहा।