सरकारी बसों में न फॉग लाइटें, न रिफ्लैक्टर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Nov, 2017 01:48 PM

government bus

राज्य की सरकारी बसों में सफर करना कहीं लोगों के लिए अंतिम सफर न साबित हो। धुंध व स्मॉग भरे वातावरण में जहां विजिबिलिटी कुछ मीटर की ही रह गई व निरंतर सड़क हादसों में लोगों की जान जा रही है, वहीं सरकारी बसें भगवान भरोसे ही चल रही हैं। सरकारी बसों में...

लुधियाना(सुरिन्द्र): राज्य की सरकारी बसों में सफर करना कहीं लोगों के लिए अंतिम सफर न साबित हो। धुंध व स्मॉग भरे वातावरण में जहां विजिबिलिटी कुछ मीटर की ही रह गई व निरंतर सड़क हादसों में लोगों की जान जा रही है, वहीं सरकारी बसें भगवान भरोसे ही चल रही हैं। सरकारी बसों में धुंध व स्मॉग के दौरान ड्राइविंग करने के लिए सरकार व सरकारी अधिकारियों ने कोई इंतजाम नहीं किए। आलम यह है कि बस स्टैंड में आवागमन करने वाली बसें सारे सरकारी आदेशों को मुंह चिढ़ाती नजर आईं। लुधियाना डिपो में करीब 135 बसों का बेड़ा है जो पंजाब रोडवेज, पनबस व पी.आर.टी.सी. के अधीन देश के विभिन्न रूटों पर चलती हैं। धुंध व स्मॉग भरे खतरनाक वातावरण में बसों में सफर करना खतरे से खाली नहीं। अधिकतर सरकारी बसों में न तो फॉग लाइटों का इंतजाम है और न ही कोई रिफ्लैक्टर लगवाए गए हैं। 

प्राइवेट बसों में हालात कुछ अच्छे
सरकारी के उलट बस स्टैंड से चलने वाली प्राइवेट कंपनियों की बसों में हालात कुछ अ‘छे हैं। प्राइवेट बसों के चालकों ने जहां रिफ्लैक्टर लगा रखे थे, वहीं अधिकतर ने हैड लाइटों के साथ विशेष तौर पर फॉग लाइटें भी लगाई हुई थीं लेकिन ये अच्छे हालात कुछ चुङ्क्षनदा कंपनियों की बसों में ही नजर आए। 

कई चालकों ने किया जुगाड़
लुधियाना के बस स्टैंड पर जाने के बाद पता चला कि धुंध से निपटने के लिए कई चालकों ने अपने स्तर पर जुगाड़ कर रखा है। चालकों ने बसों की हैड लाइटों पर पीला कागज चिपका रखा था ताकि धुंध भरे सफर में पीली लाइट से दूर तक देखा जा सके। यह एक सस्ता जुगाड़ है लेकिन रिफ्लैक्टर व टेप महंगी होने के कारण कई चालक अपनी जेब से खर्च करने में कतराते हैं। 

क्या हादसे होने के बाद जागेगा प्रशासन : खैहरा
वहीं वार्ड नंबर 62 से समाज सेवी व अकाली नेता रणजीत सिंह खैहरा का कहना है कि क्या प्रशासन सड़क हादसे होने के बाद जागेगा? खैहरा के अनुसार धुंध व कोहरे का पडऩा हर साल का रूटीन मैटर है। ऐसे में समय से पहले ही सरकारी विभागों को इसके लिए बजट अलाट करना चाहिए। 


सिंगल सड़कों पर अधिक समस्या
बिना फॉग लाइटों व रिफ्लैक्टर के चलाई जा रही बसों को लेकर जब कुछ चालकों से बात की गई तो उन्होंने इन हालात में काम करना अपनी मजबूरी बताई। चालकों का कहना था कि सिंगल सड़कों पर ड्राइविंग करने से खतरा कई गुणा बढ़ जाता है जहां आगे जा रहे वाहन यह पीछे से आ रहे वाहन का सही पता नहीं चलता। 

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