Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Oct, 2017 10:05 AM
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की हिदायतों मुताबिक पंजाब सरकार की ओर से धान की पराली को आग न लगाने संबंधी 2015 में जारी किए दिशा-निर्देशों को चाहे पिछले 2 वर्षों दौरान सरकार ने बनती तवज्जो नहीं दी है लेकिन अब वातावरण के प्रदूषित होने के कारण पंजाब सरकार ने...
मोगा (पवन ग्रोवर): नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की हिदायतों मुताबिक पंजाब सरकार की ओर से धान की पराली को आग न लगाने संबंधी 2015 में जारी किए दिशा-निर्देशों को चाहे पिछले 2 वर्षों दौरान सरकार ने बनती तवज्जो नहीं दी है लेकिन अब वातावरण के प्रदूषित होने के कारण पंजाब सरकार ने पराली जलाने से रोकने के लिए सख्ती का रुख अपना लिया है।
पंजाब सरकार ने जहां जिला प्रशासन समेत निचले अन्य अधिकारियों समेत पंचायतों पर भी पराली जलाने से रोकने की जिम्मेदारी डाल दी है, वहीं राज्य भर की किसान हितैषी पक्षों का तर्क है कि किसानों के पास पराली जलाने के बिना और कोई रास्ता नहीं है, इसलिए हर हाल में किसान पराली को जलाएंगे। इस तरह की बनी स्थिति के कारण पंजाब सरकार तथा किसान आमने-सामने हो गए हैं।‘पंजाब केसरी’ की ओर से हासिल की जानकारी अनुसार मालवा में भी आम किसान वर्ग इस फैसले को लेकर दुविधा की स्थिति में पड़ गया है।
आने वाले 15-20 दिनों तक जब फसल की कटाई का कार्य जोर पकड़ लेगा तो किसानों की ओर से हाड़ी की फसलें बीजने के लिए पराली को खत्म करने का पैदा होने वाला गंभीर खदशा अभी से ही दिखाई दे रहा है। सरकार ने पावरकॉम, शिक्षा विभाग तथा पेंडू पंचायत विकास विभाग के अधिकारियों को लिखित पत्रों द्वारा यह स्पष्ट कर दिया है कि वे पराली को आग लगाने वाले किसान की सूचना तुरंत तौर पर जिला प्रशासन तक पहुंचाने की व्यवस्था करें। विभागीय सूत्रों का कहना है कि पंजाब सरकार ने इस मामले संबंधी किसानों को सुचेत करने के लिए खेतीबाड़ी विभाग के अधिकारियों को हिदायतें जारी की थीं। इसके तहत चाहे विभाग ने कुछेक स्थानों पर लगाए खेतीबाड़ी कैंपों दौरान किसानों को सरकार हिदायतों प्रति सुचेत तो किया है, किंतु असलियत यह है कि विभाग की जागरूकता मुहिम सफल नहीं हुई।