Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Nov, 2017 09:41 AM
पूरे देश के व्यापारी वर्ग को हिला देने वाले गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स जी.एस.टी. लागू करने में अधिकारियों की तरफ से जमीनी स्तर पर काम नहीं किया गया है। इसका सबूत इसी बात से मिलता है कि सरकार ने अमीरों द्वारा प्रयोग की जाने वाली वस्तु किशमिश व काजू पर...
अमृतसर (नीरज): पूरे देश के व्यापारी वर्ग को हिला देने वाले गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स जी.एस.टी. लागू करने में अधिकारियों की तरफ से जमीनी स्तर पर काम नहीं किया गया है। इसका सबूत इसी बात से मिलता है कि सरकार ने अमीरों द्वारा प्रयोग की जाने वाली वस्तु किशमिश व काजू पर तो 5 प्रतिशत जी.एस.टी. लगा रखा है, जबकि गरीबों व मध्यमवर्गीय लोगों की तरफ से प्रयोग किए जाने वाले छुआरे पर 12 प्रतिशत टैक्स लगाया है, जिससे व्यापारियों के साथ-साथ आम जनता काफी परेशान है। इस संबंध में ऑल इंडिया ड्राईडेट्स एसोसिएशन के प्रधान अनिल मेहरा ने पी.एम. नरेन्द्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेतली के अलावा जी.एस.टी. कौंसिल को पत्र लिखकर मांग की है कि छुआरे पर लगाया गया 12 प्रतिशत जी.एस.टी. कम करके 5 प्रतिशत किया जाए। मेहरा ने कहा कि छुआरा पूजा के काम में, हवन यज्ञ, शुभ कार्यों जैसे विवाह व अन्य शुभ समागमों में प्रयोग किया जाता है लेकिन सरकार ने इस पर भी 12 प्रतिशत जी.एस.टी. लगा दिया, जो ठीक नहीं है। हिन्दू धर्म में शुभ कार्यों की शुरुआत छुआरे से ही की जाती है, यहां तक कि दूल्हा जब घोड़ी पर सवार होने लगता है तो उसे छुआरा लगाया जाता है।
आई.सी.पी. अटारी के जरिए पाकिस्तान से आयात होती है 23 लाख बोरी
भारतीय मंडियों में छुआरे की आमद पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि आई.सी.पी. अटारी बार्डर के रास्ते अमृतसर की मजीठ मंडी व दिल्ली के व्यापारियों की तरफ से पाकिस्तान के इलाके सक्खर से छुआरे का आयात किया जाता है। व्यापारियों के अनुसार लगभग छुआरे की 23 लाख बोरी हर वर्ष पाकिस्तान से आयात की जाती है और इसकी यू.पी., बिहार, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान आदि पूरे उत्तर भारत में सप्लाई की जाती है, लेकिन केन्द्र सरकार ने इस पर पहले से चल रहे 5 प्रतिशत टैक्स को दोगुना से ज्यादा बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया है, जिससे व्यापारी काफी परेशान हैं और पाकिस्तान से इसका आयात भी कम हो गया है।
औषधियों में भी प्रयोग किया जाता है छुआरा
शुभ कार्यों में तो छुआरे का प्रयोग किया ही जाता है वहीं इसे प्राचीनकाल से ही एक औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद में बहुत सारी ऐसी देसी दवाएं हैं जिसमें छुआरे का मिश्रण किया जाता है। विशेष रूप से सर्दी के दिनों में गरीब व मध्यमवर्गीय लोग इसको दूध में मिलाकर पीते हैं। खांसी, नजला, जुकाम व बुखार आदि में भी छुआरे का प्रयोग किया जाता है। फिलहाल पूरे देश में आलोचना का सामना कर रहे जी.एस.टी. ने छुआरे को भी अपनी चपेट में ले लिया।