Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Jul, 2017 04:52 PM
1 जुलाई से देश भर में लागू अधूरी जी.एस.टी. कर प्रणाली जहां व्यापारियों के लिए सिरदर्द बनी हुई है वहीं इसके सख्त प्रावधानों के अनुपालन के लिए राज्यों के कर विभाग एवं केंद्र सरकार के
जालंधर (धवन): 1 जुलाई से देश भर में लागू अधूरी जी.एस.टी. कर प्रणाली जहां व्यापारियों के लिए सिरदर्द बनी हुई है वहीं इसके सख्त प्रावधानों के अनुपालन के लिए राज्यों के कर विभाग एवं केंद्र सरकार के एक्साइज विभाग व्यापारियों की कमर कसने के लिए तैयार हो रहे हैं। सैंकड़ों मोबाइल दस्ते एवं अधिकारी इस प्रकार तैयार किए जा रहे हैं जैसे कि व्यापारियों के साथ कोई युद्ध की शुरूआत होने वाली है। पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान प्यारे लाल सेठ, महामंत्री समीर जैन, सुनील मेहरा, सचिव एस.के. वधवा, एल.आर. सोढी ने सरकार द्वारा जी.एस.टी. में इंस्पैक्टरी राज को बढ़ावा देने की बात कही और देश के व्यापारियों को कमजोर मूल ढांचे पर जटिल जी.एस.टी. से जूझने हेतु मजबूर करने के लिए सरकार द्वारा तानाशाह रवैया अपनाने की बात कही।
सरकार द्वारा निम्नलिखित जी.एस.टी. की त्रुटियों से व्यापारी परेशान हैं। पहला आज भी हजारों व्यापारी जी.एस.टी. नंबर के इंतजार में हैं और वे सामान्य रूप से व्यापार न कर पाने को विवश हैं। दूसरा जी.एस.टी. में बिलिंग के लिए कोड हर आइटम के लिए डालना अनिवार्य है जिसे एक्साइज के 98 चैप्टरों से खोज कर डालना है। अच्छा होता अगर सरकार हर चैप्टर का एक रेट तय कर देती क्योंकि व्यापारियों का चैप्टर ढूंढ लेने के बाद जी.एस.टी. की 4 दरों 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत, 28 प्रतिशत में अपनी आइटम की दर निर्धारित करने में परेशानी हो रही है। तीसरा एक भारत एक टैक्स, बिना किसी स्टेट बैरियर, स्टेट परमिट से मुक्त वायदा की गई जी.एस.टी. प्रणाली की कई स्टेट्स ने अपने ई-वे बिल जारी कर जी.एस.टी. के मूलभूत वायदों पर अपने हितों के लिए प्रहार करना शुरू कर दिया है जिससे व्यापारियों की दिक्कतें और बढ़ गई हैं। यू.पी., पश्चिम बंगाल, केरल, बिहार, ओडिशा, आंध्र प्रदेश ने अपने स्टेट परमिट इस्तेमाल करने की परमिशन ले ली है। सरकारें अपनी सुविधा के अनुसार जी.एस.टी. के नियमों को तोड़-मरोड़ कर व्यापारियों के लिए हर दिन नया फरमान जारी कर रही हैं।
चौथा जी.एस.टी. में सरकार का सॉफ्टवेयर ढांचा बेहद कमजोर है जिसका कारगर न होना व्यापारियों के लिए बेहद ङ्क्षचता का विषय है। 5वां 1 जुलाई से पुराने स्टॉक को अप्लोड करने हेतु फार्म अभी तक ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है। छठा जी.एस.टी. में एक माह में 3 रिटर्न भरना व्यापारियों के लिए बेहद सिरदर्द। 7वां जी.एस.टी. में सरकार ने अधिकारियों की कोई भी अकाऊंटेबिलिटी तय नहीं की है जिससे व्यापारी खफा हैं। सरकार को तुरंत जी.एस.टी. के सरलीकरण के लिए कदम उठाने चाहिएं नहीं तो आने वाले सरकार एवं व्यापारों में गतिरोध बढऩे से देश में लॉ एंड आर्डर, बेरोजगारी एवं आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हो जाएगी जिससे सरकार एवं व्यापारियों का भारी नुक्सान होना स्वाभाविक है। व्यापार मंडल से महिंद्र अग्रवाल, राधे श्याम आहूजा, संतोष गुप्ता, वीरेंद्र रत्न, प्रमोद गुप्ता, ओ.पी. गुप्ता, पवन गुजरन, आनंद बांसल, राकेश गुप्ता, निर्मल मल्होत्रा ने सरकार से मांग की है कि तुरंत व्यापारियों एवं जी.एस.टी. कौंसिल की बैठक कर जी.एस.टी. के सरलीकरण पर विचार कर अमलीजामा पहनाया जाए ताकि व्यापारियों को राहत दी जा सके। व्यापारियों ने बताया कि अगर सरकार ने सरलीकरण पर कदम नहीं उठाए तो 9 अगस्त को दिल्ली में देश भर से व्यापारी एकत्र होने जा रहे हैं जहां सरकार के रवैये के खिलाफ रणनीति तय की जाएगी।