GST के चक्कर में फिर लटकी मुलाजिमों की तनख्वाह

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Nov, 2017 11:35 AM

goods and service tax

केन्द्र से जी.एस.टी. का शेयर न मिलने के चक्कर में नगर निगम मुलाजिमों की तनख्वाह एक बार फिर लटक गई है।यहां बताना उचित होगा कि चुंगी की वसूली बंद होने के बाद से निगम की आमदनी के विकल्प के रूप में सरकार द्वारा वैट के शेयर में से हर महीने किस्तें भेजी...

लुधियाना(हितेश): केन्द्र से जी.एस.टी. का शेयर न मिलने के चक्कर में नगर निगम मुलाजिमों की तनख्वाह एक बार फिर लटक गई है।यहां बताना उचित होगा कि चुंगी की वसूली बंद होने के बाद से निगम की आमदनी के विकल्प के रूप में सरकार द्वारा वैट के शेयर में से हर महीने किस्तें भेजी जाती रही हैं। लेकिन जुलाई में जी.एस.टी. लागू होने के बाद सारा सिस्टम ही गड़बड़ा गया, क्योंकि इसकी सारी कलैक्शन पहले केन्द्र के पास जाने के बाद राज्यों को शेयर मिलना है। यह पैसा न आने कारण राज्य सरकार द्वारा भी निगम को वैट का विकल्प बने जी.एस.टी. के शेयर में से कोई किस्त नहीं भेजी गई। जबकि इसी पैसे पर मुलाजिमों को वेतन देने का दारोमदार टिका हुआ है। इस कारण निगम कर्मियों को अगस्त व सितम्बर की तनख्वाह के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। इस चक्कर में दशहरा तो खाली जेब के साथ मना लिया, जबकि काली दीवाली के मुद्दे पर हंगामा होने के मद्देनजर सरकार ने किसी तरह जुगाड़ करके निगम को पैसा भेजा। इसमें रूटीन कलैक्शन को जोड़कर एक बार तो मुलाजिमों को एक बार तो वेतन दे दिया गया। लेकिन अक्तूबर के वेतन को लेकर फिर से पेंच फंस गया है और अब न तो सरकार ने कोई मदद भेजी है और न ही निगम को इस हालात से निपटने के लिए कोई रास्ता नजर आ रहा है।  

अभी 15 करोड़ की है और जरूरत
निगम को वेतन देने के लिए हर महीने करीब 22 करोड़ रुपए चाहिए। इसके अलावा बिजली के बिलों का भुगतान करना भी सबसे जरूरी है। इसके पहले चरण में तो किसी तरह जुगाड़ करके 3 करोड़ दे दिए गए हैं जबकि महीने के आखिरी दौर में 5 करोड़ चाहिए। इसी तरह लोन की किस्त देने के लिए 3.5 करोड़ की जरूरत होती है। यहां तक कि कूड़े की लिङ्क्षफ्टग के 5 करोड़ तथा तेल के बिलों व मैकेनिकल स्वीपिंग के एक-एक करोड़ के बकाया खड़े हैं।

बिल पास न करने का अपनाया फार्मूला
निगम द्वारा पेमैंट न देने के विरोध में पैट्रोल पंप मालिकों द्वारा अक्सर तेल की सप्लाई बंद कर जाती है। यही फार्मूला ए-टू-जैड कम्पनी द्वारा बकाया बिलों की अदायगी न होने के विरोध में कूड़े की लिफ्टिंग बंद करने की चेतावनी देकर अपनाया जाता है। इसके मद्देनजर निगम ने अब इन कम्पनियों के बिल ही जल्द पास न करने का रास्ता निकाला है। 


सरकार की तरफ खड़ा हो गया 70 करोड़ बकाया
सरकार द्वारा चुंगी की वसूली के बदले वैट शेयर में से निगम को हर महीने 5.86 करोड़ की 5 किस्तें भेजी जाती थीं लेकिन अगस्त से यह पैसा आना बंद है। अगर अक्तूबर में तनख्वाह देने के लिए की गई कुछ मदद को जोड़ भी लिया जाए तो निगम के सरकार की तरफ 70 करोड़ बकाया खड़े हो गए हैं। जिनके मिलने को लेकर भी असमंजस का माहौल बना हुआ है।

ब्याज माफी के बावजूद ठप्प हुई रूटीन कलैक्शन
सरकार से वैट या जी.एस.टी. का शेयर न मिलने के दौर में मुलाजिमों को जो वेतन दिया गया। उसकी बड़ी वजह पानी-सीवरेज व प्रापर्टी टैक्स डिफाल्टरों पर शिकंजा कसने के कारण हुई रिकवरी को बताया जाता है लेकिन अब सरकार ने इन दोनों शाखाओं से संबंधित बकाया देने पर ब्याज-पैनल्टी माफ करने सहित रिबेट देने का फैसला किया हुआ है तो रूटीन कलैक्शन ठप्प होकर रह गई है। 

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