GST कौंसिल ने देश के कारोबारियों को फिर बनाया मूर्ख

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Sep, 2017 02:54 PM

goods and service tax

जी.एस.टी. कौंसिल की 21वीं बैठक पूरी तरह असफल सिद्ध हुई है, क्योंकि इसमें 40 के लगभग वस्तुओं की कीमतों में थोड़ी-बहुत कमी की गई है

लुधियाना (सेठी): जी.एस.टी. कौंसिल की 21वीं बैठक पूरी तरह असफल सिद्ध हुई है, क्योंकि इसमें 40 के लगभग वस्तुओं की कीमतों में थोड़ी-बहुत कमी की गई है, लेकिन इस बैठक में देश के निर्माता उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। 

दुख की बात तो यह है कि इस बैठक में अधिकतर राज्यों के वित्त मंत्री चुप्पी साधे रहे। किसी ने भी अपने प्रदेश के उद्योग व व्यापार के विकास के लिए मुंह नहीं खोला। केवल वित्त मंत्री अरुण जेतली के भाषण को ही सुनते रहे। सरकार का तर्क है कि 84 लाख जी.एस.टी. डीलरों में से 70 फीसदी ने रिटर्न फाइल कर दी है, जबकि असल में 33 लाख डीलरों द्वारा रिटर्न फाइल करने का डाटा सामने आया है। वैट में भी पूरे देश में 84 लाख ही डीलर थे और सरकार के दावों के अनुसार जी.एस.टी. में नई रजिस्ट्रेशन हो रही है। इन्हीं असफलताओं के कारण कौंसिल को जी.एस.टी. आर-1 रिटर्न भरने की तारीख में 1 महीने की वृद्धि करनी पड़ी है। जी.एस.टी. आर-1 को भरने कि आखिरी तारीख 10 सितम्बर थी, जो अब 10 अक्तूबर कर दी गई है। टैक्स माहिरों के अनुसार सरकार की इन गलतियों से जी.डी.पी. में 2 फीसदी की गिरावट आई है और अगर यही हाल रहा तो जी.डी.पी. और नीचे आ सकती है, जिसका कारण देश के अलग-अलग हिस्सों में कौंसिल की बैठकों का आयोजन कर टैक्स के पैसे को बर्बाद करना है, क्योंकि बैठकों में वही बात मानी जाती है, जो वित्त मंत्री अरुण जेतली कहते हैं। 

गौरतलब है कि जी.एस.टी. भारत सहित 133 देशों में लग चुका है और उनमें से 85 फीसदी देशों की जी.डी.पी. पहले वर्ष बहुत तेजी से नीचे की ओर गया, जिसके कारण वहां पर नई सरकार बनने के पश्चात यह प्रणाली सही ढंग से चल पाई है। यही कारण है कि केन्द्र सरकार को इस बात का ज्ञान था कि जी.एस.टी. लगने से देश की आॢथक स्थिति गड़बड़ाएगी और उसे 2 वर्षों में स्थिर करना होगा, ताकि इसका असर 2019 के लोकसभा चुनावों पर न पड़े इसलिए सरकार इस प्रणाली को लागू करने में नर्मी दिखा रही है। कौंसिल की बैठक सदा सही फैसलों से रहती है दूर : पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान प्यारे लाल सेठ, सुनील मेहरा, मोहिंद्र अग्रवाल व समीर जैन ने कहा कि कौंसिल की बैठकों में अब सही फैसले नहीं हो रहे हैं।  केवल देश के कारोबारियों के टैक्स का पैसा खर्च किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि धागा कारोबारियों को इस बैठक से आस थी कि मैनमेड धागे को 5 फीसदी के दायरे में लाया जाएगा परंतु ऐसा नहीं हुआ। इससे स्पष्ट है कि सरकार देश के कारोबार का विकास नहीं चाहती। उन्होंने पंजाब के वित्त मंत्री और वित्त कमिश्नर पर आरोप लगाया कि वे कारोबारियों के हित में जी.एस.टी. कौंसिल के आगे मुंह नहीं खोलते हैं, जबकि किसानों के हित के लिए कई बार केन्द्र के आगे गुहार लगा चुके हैं।  
 

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