GST बिलों की कालाबाजारी सरकार के लिए बन सकती है बड़ी चुनौती

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Sep, 2017 01:10 PM

goods and service tax

जी.एस.टी. को लागू हुए अभी मात्र 2 महीने हुए हैं लेकिन दो नम्बर का कारोबार करने वालों ने इस टैक्स प्रणाली की खामियों को पूरी तरह

लुधियाना(बहल): जी.एस.टी. को लागू हुए अभी मात्र 2 महीने हुए हैं लेकिन दो नम्बर का कारोबार करने वालों ने इस टैक्स प्रणाली की खामियों को पूरी तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इस नई प्रणाली में टैक्स की दरें ऊंची होने के कारण इसके बिलों की कालाबाजारी शुरू हो चुकी है। 

कई उत्पाद जिनमें से निर्माण क्षेत्र मुख्य है, में मात्र 10 फीसदी बिल ही कंज्यूमर तक पहुंच पा रहे हैं। ज्यादा बिल जी.एस.टी. का कुछ प्रतिशत लेकर बाजार में ही बेच दिए जाते हैं। अधिकतर उत्पादों पर जी.एस.टी. उत्पाद की लागत में ही शामिल रहता है। फिर भी दुकानदार ग्राहकों से दोबारा जी.एस.टी. देने की मांग करते हैं, जिसकी वजह से उपभोक्ता बिल लेने से कतराने लगे हैं। ऐसे दुकानदार जहां सरकार को अरबों रुपए का चूना लगा रहे हैं, वहीं दूसरे निर्माताओं को भी दो नम्बर में माल सप्लाई करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। जी.एस.टी. प्रणाली में जटिल प्रक्रिया होने के कारण अब भी बहुत से दुकानदार समानान्तर व्यवस्था में काम कर रहे हैं। सरकार द्वारा घोषित 20 लाख की छूट का दुष्प्रभाव भी जी.एस.टी. प्रणाली पर पड़ रहा है, जिसकी वजह से छोटे दुकानदार बिना बिल के माल खरीदते हैं, क्योंकि उत्पाद की बिक्री पर वे ग्राहक से जी.एस.टी. नहीं वसूल सकते हैं। 

हाल ही में केन्द्र सरकार ने जुलाई माह की जी.एस.टी. की आमदनी को एक रिकार्ड बताते हुए जी.एस.टी. प्रणाली की भरपूर सराहना की थी और यह भी कहा था कि इससे सरकार को 92,283 करोड़ रुपए की आमदनी हुई है, जोकि टारगेट से कहीं अधिक है। फैडरेशन ऑफ पंजाब स्मॉल इंडस्ट्रीज संघ के अध्यक्ष बदीश जिंदल ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर आगाह किया है कि जी.एस.टी. प्रणाली को सरल बनाया जाए और टैक्स दरों को भी कम किया जाए, क्योंकि जिस रफ्तार से बाजार में जी.एस.टी. बिलों की कालाबाजारी हो रही है, उससे आने वाले समय में ईमानदार उद्योगपतियों के लिए कारोबार करना नामुमकिन हो जाएगा। उपभोक्ताओं को जी.एस.टी. बिलों पर कुछ लाभ दिए जाएं, जिससे वे दुकानदारों से बिल वसूल कर अपने रिकार्ड में रख सकें। निर्माताओं की बजाय खपतकारों की चैकिंग हो, ताकि नई प्रणाली सुचारू रूप से चल सके। जिंदल ने कहा कि अगस्त और नवम्बर माह में सरकार की जी.एस.टी. की आमदनी बड़े स्तर पर गिर सकती है, क्योंकि टैक्स व्यवस्था में भरपूर खामियां हैं। अधिकारियों का यह कहना है कि जी.एस.टी. प्रणाली के अंतर्गत उन्हें चैकिंग के अधिक अधिकार नहीं मिले हैं, जिस कारण बहुत से लोग इसका अनुचित लाभ ले सकते हैं।

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