Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Nov, 2017 04:56 PM
गुरु नानक देव अस्पताल के डाक्टरों तथा स्टाफ की लापरवाही से एक मरीज मरते-मरते बचा है। अस्पताल के ब्लड बैंक द्वारा जहां बिना जांच-पड़ताल के ए-पॉजीटिव रक्त की जगह बी-पॉजीटिव खून दे दिया गया, वहीं मैडिसिन वार्ड के डाक्टरों ने भी बिना टैस्ट किए ब्लड बैंक...
अमृतसर(दलजीत):गुरु नानक देव अस्पताल के डाक्टरों तथा स्टाफ की लापरवाही से एक मरीज मरते-मरते बचा है। अस्पताल के ब्लड बैंक द्वारा जहां बिना जांच-पड़ताल के ए-पॉजीटिव रक्त की जगह बी-पॉजीटिव खून दे दिया गया, वहीं मैडिसिन वार्ड के डाक्टरों ने भी बिना टैस्ट किए ब्लड बैंक द्वारा भेजा गया खून मरीज को चढ़ा दिया।
डाक्टरों व स्टाफ ने मरीज को मार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी, परन्तु ‘जाको राखे साइयां मार सके न कोई’ वाली कहावत को मरीज ने सार्थक कर दिखाया। स्टाफ ने मामले को दबाने के लिए मरीज को इतना डराया है कि वह उच्च अधिकारियों तथा मीडिया के सामने कुछ भी बोलने से कतरा रहा है।
जानकारी के अनुसार रोहन (काल्पनिक नाम) आयु 28 वर्ष निवासी मजीठा रोड बीमार होने पर गुरु नानक देव अस्पताल की मैडिसिन वार्ड में दाखिल हुआ था। वार्ड के डाक्टरों ने मरीज के प्लाज्मा कम होने के कारण परिजनों को खून लाने के लिए कहा। परिजन जब अस्पताल में मौजूद सरकारी ब्लड बैंक में गए तो उन्होंने मरीज का रक्त टैस्ट करने पर पाया कि मरीज का ब्लड ग्रुप ए-पॉजीटिव है। उन्होंने रसीद नंबर 818, डोनर नंबर 12,509 तथा 12297 के अनुसार ए-पॉजीटिव खून दे दिया।
वार्ड के डाक्टरों ने उस खून को मरीज को चढ़ा दिया। उसके उपरांत अगले दिन दोबारा मरीज के प्लाज्मा पूरे न होने पर परिजनों को ब्लड बैंक से और खून लाने के लिए कहा गया। ब्लड बैंक के एक स्टाफ मैंबर द्वारा परिजनों को रसीद नंबर 3848, डोनर नंबर 12971 तथा 12978 के तहत ए-पॉजीटिव की जगह पर बी-पॉजिटव खून दे दिया गया। स्टाफ मैंबर ने तो खैर लापरवाही की ही, वार्ड के डाक्टरों ने भी बिना देखे तथा बिना जांच किए वही खून मरीज को चढ़ा दिया। इसके उपरांत दोबारा अगले दिन मरीज को ए-पॉजीटिव खून चढ़ाया गया। स्टाफ मैंबर की गलती का पता चलने पर मरीज को इस प्रकार डराया गया कि वह अब न तो अधिकारियों व न ही मीडिया के सामने कुछ बोल रहा है, परन्तु सरकारी दस्तावेजों में मौजूद रिकार्ड साफ तौर पर अस्पताल की गलती को दर्शा रहा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि चाहे मरीज की जान बच गई है, परन्तु आने वाले समय में मरीज को गलत दिए गए खून से नुक्सान हो सकता है।
विभाग करेगा कार्रवाई
मैडीकल कालेज के प्रिंसीपल डा. तेजबीर सिंह ने कहा कि मामला काफी गंभीर है। वह अभी ब्लड बैंक के इंचार्ज को जांच के आदेश देंगे। लापरवाही बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मामले की जांच जारी
इस संबंध में ब्लड बैंक के इंचार्ज डा. नीरजा शर्मा ने कहा कि मामला उनके ध्यान में है, जांच की जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद
ही लापरवाही करने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
स्टाफ मैंबर के हैं राजनीतिक नेताओं से संबंध
आर.टी.आई. एक्टीविस्ट पं. रजिन्द्र शर्मा राजू तथा जयगोपाल लाली ने कहा कि उक्त स्टाफ मैंबर को राजनीतिक नेताओं का आशीर्वाद प्राप्त है। उसने जहां मरीज को डराया-धमकाया, वहीं उच्च अधिकारी भी मामले से अवगत होते हुए भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। राजू व लाली ने कहा कि मरीज को मार डालने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई थी, परन्तु भगवान ने ही मरीज को बचाया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने पंजाब सरकार को भी शिकायत की है। यह तो एक ऐसा मामला है, जो सामने आ गया है, परन्तु कई ऐसे अन्य मामले हुए होंगे, जिनमें कई मरीजों की मौत हुई होगी। सरकार को इसकी जांच करवानी चाहिए।