अमरेन्द्र पर व्यक्तिगत हमले को लेकर जनरल सिंह पर रिटायर्ड अधिकारियों का सियासी प्रहार

Edited By Updated: 14 Jan, 2017 03:38 PM

general jj singh

शिरोमणि अकाली दल द्वारा पटियाला शहरी सीट से चुनावी मैदान में उतारे थलसेना के पूर्व प्रमुख जनरल जे.जे. सिंह द्वारा पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कै. अमरेन्द्र सिंह पर व्यक्तिगत हमले करने के मामले में सेवानिवृत्त सैनिकों ने जनरल के खिलाफ सियासी...

जालंधर (धवन) : शिरोमणि अकाली दल द्वारा पटियाला शहरी सीट से चुनावी मैदान में उतारे थलसेना के पूर्व प्रमुख जनरल जे.जे. सिंह द्वारा पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कै. अमरेन्द्र सिंह पर व्यक्तिगत हमले करने के मामले में सेवानिवृत्त सैनिकों ने जनरल के खिलाफ सियासी प्रहार शुरू कर दिए हैं। आल इंडिया एक्स-सर्विसमैन ज्वाइंट एक्शन फ्रंट सांझा मोर्चा ने अमरेन्द्र के खिलाफ अनुचित व निराधार टिप्पणियों को लेकर जनरल जे.जे. सिंह की निन्दा करते हुए कहा कि वह सेना तथा राज्यपाल स्तर के ऊंचे पद छोडऩे के बाद छोटे सियासी हितों की खातिर राजनीति में कूदे हैं। पूर्व सैनिकों के सांझा मोर्चे के चीफ पैटर्न लैफ्टि. जनरल जे.एस. धालीवाल,  लैफ्टि. जनरल एस.एस. बराड़, लैफ्टि. जनरल के.एस. डोगरा, मेजर जनरल एस.पी.एस. ग्रेवाल, ब्रिगेडियर इंद्रमोहन सिंह, कर्नल आर.एस. बोपाराय (प्रधान सांझा मोर्चा), कर्नल सी.एस. खेड़ा (महासचिव), कर्नल भाग सिंह तथा मेजर अमरदीप सिंह ने आरोप लगाया कि जनरल जे.जे. सिंह एक अवसरवादी व्यक्ति हैं, जो हमेशा पब्लिसिटी के भूखे रहे तथा इस विषय में अपने पद को शर्मसार करते हुए उन्होंने अपने गोल्फ बैग व कार्ट पर भी अपने जनरल रैंक के 4 सितारों को लगा दिया था।

उन्होंने कहा कि जनरल ने विधानसभा चुनाव लडऩे का निर्णय लेकर न सिर्फ सेना प्रमुख के कद को छोटा कर दिया है, बल्कि राज्यपाल के पद की गरिमा को भी कम किया है। इन सेवानिवृत्त अधिकारियों ने कहा कि बतौर पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल सिंह को राजनीति से दूर रहना चाहिए। अगर वह अपने विशेष अवसरवादी राजनीतिक हितों की पूर्ति करना चाहते हैं तो उन्हें अमृतसर लोकसभा सीट का उपचुनाव लडऩा चाहिए परंतु वह तो विधानसभा का चुनाव लडऩे के लिए आ गए हैं। उन्होंने कहा कि कै. अमरेन्द्र सिंह की विश्वसनीयता व सेना की उनकी भूमिका पर सवाल लगाने वाले जनरल जे.जे. सिंह मात्र एक विधानसभा सीट के लिए निम्र स्तर की राजनीति पर उतर आए हैं। कै. अमरेन्द्र सिंह ने 1965 के युद्ध में अपने सभी राजशाही आराम त्याग कर दोबारा सेना में शामिल होकर मोर्चा संभाला था, जबकि जनरल जे.जे. सिंह ने कभी किसी युद्ध की कमान नहीं संभाली और वह खुद ही जवानों के जनरल बन गए थे। उन्होंने कहा कि जो जनरल स्वयं फील्ड में न गया हो, उन्हें कै. अमरेन्द्र सिंह के खिलाफ टिप्पणियां करने का कोई अधिकार नहीं है।

सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों ने कहा कि यू.पी.ए. सरकार के दौरान जनरल जे.जे. सिंह ने सेना प्रमुख तथा अरुणाचल प्रदेश के गवर्नर जैसे अहम पद स्वीकार किए, जबकि अब जनरल सिंह कह रहे हैं कि वह अकाली दल में इसलिए शामिल हुए हैं क्योंकि वह आप्रेशन ब्ल्यू स्टार व बाद की घटनाओं के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार मानते हैं। अगर वह कांग्रेस को दोषी मानते हैं तो फिर उन्होंने यू.पी.ए. सरकार के समय महत्वपूर्ण पद क्यों लिए थे। सैन्य अधिकारियों ने कहा कि जनरल जे.जे. सिंह की कोई कुर्बानी नहीं है, जबकि कै.अमरेन्द्र सिंह ने तो आप्रेशन ब्ल्यू स्टार के चलते लोकसभा व कांग्रेस से भी इस्तीफा दिया था। पूर्व सैनिकों ने कहा कि जनरल सिंह ने नैशनल डिफैंस अकाडमी तथा इंडियन मिलिट्री अकादमी में बेहतर प्रदर्शन नहीं किया था तथा उनसे कम उम्र के कैंडीडेटों ने बढिय़ा प्रदर्शन किया था, लेकिन जनरल सिंह को इसलिए फायदा मिला क्योंकि वह बहुत युवा थे। उन्होंने कहा कि जनरल सिंह कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की तरह जमीन से जुड़े राजनेता नहीं हैं। कै. अमरेन्द्र सिंह ने तो 30 वर्षों तक अपने सियासी करियर के दौरान लोगों के बीच रह कर काम किया।

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