गट्टू डोर को कड़ी टक्कर दे रहा है भारतीय कारीगर गैंदी का देसी मांझा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jan, 2018 06:41 PM

gatu door is giving a tough fight to the indian artisan

पतंगबाजी का मजा तभी आता है, जब आपस में पेंच लड़ाया जाए तथा आकाश में शोर गूंजे ‘आई बो आई बो का’। पतंगों के पेंच लड़ाने में सबसे अहम मांझा (डोर) होता है, ये वो डोर होती है जो जब से पतंगबाजी का प्रचलन शुरू है तब से ही पतंग काटने के काम आ रही है, लेकिन...

पठानकोट(शारदा): पतंगबाजी का मजा तभी आता है, जब आपस में पेंच लड़ाया जाए तथा आकाश में शोर गूंजे ‘आई बो आई बो का’। पतंगों के पेंच लड़ाने में सबसे अहम मांझा (डोर) होता है, ये वो डोर होती है जो जब से पतंगबाजी का प्रचलन शुरू है तब से ही पतंग काटने के काम आ रही है, लेकिन अब इस मांझे (डोर) की लड़ाई में डै्रगन (चीन) ने भारतीय मांझे से कहीं ऊपर अपनी बढ़त परन्तु घातक पहचान बना ली है। बेशक चाइनीज डोर (गट्टू) मनुष्य व पशु-पक्षियों के लिए जानलेवा है व आए दिन हादसे घटित हो रहे बावजूद इसके अगर यह कहा जाए कि गट्टू डोर भारतीय मांझे से प्रतिस्पर्धा के मामले कहीं आगे निकल गई है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

हालांकि लाख पाबंदियों के बावजूद पतंगबाजी के मौसम में चाइनीज डोर का प्रचलन प्रयोग व बिक्री धड़ल्ले से होती है। इसके बावजूद क्षेत्र में एक कारीगर ऐसा है जो देसी मांझे से चाइनीज मांझे को कड़ी टक्कर व प्रतिस्पर्धा दे रहा है। देसी मांझे से तैयार कर रहे डोर के बारे में जानकारी देते हुए गैंदी ने कहा कि पिछले 20 वर्षों से इसी देसी मांझे से निर्मित डोर को तैयार कर रहे हैं। पठानकोट के युवा उसके मांझे से निर्मित डोर को तो खरीदते हैं, साथ ही आसपास के क्षेत्र से भी पतंगबाजी के शौकीन युवा उससे विशेष रूप से देसी मांझे से डोर बनवा रहे हैं। उनका कहना है कि जहां चाइनीज डोर की शहर में रोक होने के बावजूद चोरी छुपे 400 से ऊपर बिक रहा है। वहीं देशी मांझे को वह 200 और 300 रुपए प्रति रोल के हिसाब से बेच रहे हैं। जो चाइनीज डोर के मुकाबले काफी किफायती है। 

देसी मांझा था लोगों की पसंद 
कई सालों से बरेली का मांझा लोगों के दिलों पर राज करता रहा है। अलग-अलग रंगों में डोर से बने माझें पर बारीक कांच लगा कर तैयार किया जाता है और पतंग लड़ाने वालों की ये पहली पसंद रहा है, लेकिन बरेली के मांझे को देसी मांझा भी कड़ी टक्कर दे रहा है, क्योंकि बरेली का मांझा पठानकोट में महंगे दाम में मिलता था जिसके चलते देसी मांझे की मांग काफी बढ़ती थी। 

गला कटने के रहता है भय 
कुछ वर्षो से ड्रैगन मांझा डोर से बने मांझे ने देश में तेजी से अपने पैर पसार लिए है, लेकिन उसके बाबजूद देसी मांझा मजबूत होने के साथ-साथ सस्ता भी है, यही वजह है की लोग इस देसी मांझे को खरीदते हैं। लेकिन जहां चाइनीज मांझा खतरनाक है, वहीं देसी मांझा भी खतरनाक है क्योंकि इस पर शीशे से निर्मित पाऊडर से पुताई की जाती है और जब यह मांझा तैयार हो जाता है और इससे बनी डोर से राहगीर के गले को काट सकती है। 

        


 

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