जी.एस.टी. लागू होने के बादःटैक्स पूर्ति का लक्ष्य टूटा,केन्द्र पर आश्रित रहेगा पंजाब

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Sep, 2017 02:26 PM

g s t  after implementation  the target of tax filling will be broken

जी.एस.टी. लागू होने के बाद जहां केन्द्र सरकार द्वारा दावे किए जा रहे थे कि इससे व्यापार में वृद्धि होगी और केन्द्र व प्रदेश दोनों की आमदन बढ़ेगी, जबकि इसके उलट यदि इसका पंजाब में असर देखा जाए तो जी.एस.टी. के बाद पंजाब में व्यापार 25 से 30 प्रतिशत कम...

अमृतसर (इन्द्रजीत): जी.एस.टी. लागू होने के बाद जहां केन्द्र सरकार द्वारा दावे किए जा रहे थे कि इससे व्यापार में वृद्धि होगी और केन्द्र व प्रदेश दोनों की आमदन बढ़ेगी, जबकि इसके उलट यदि इसका पंजाब में असर देखा जाए तो जी.एस.टी. के बाद पंजाब में व्यापार 25 से 30 प्रतिशत कम हो चुका है।  इससे जहां व्यापारी परेशान हैं, वहीं पंजाब सरकार का रैवेन्यू पहले दौर में 800 करोड़ रुपए कम हो चुका है। 

रैवेन्यू की इस गिरावट के कारण पंजाब प्रदेश में जी.एस.टी. विभाग में भी हड़कंप मचा हुआ है और इस घाटे को पूरा करने के लिए विभाग के अधिकारी सीधे तौर पर सड़कों पर उतर आए हैं। इसमें देखने वाली बात है कि जी.एस.टी. की रोड चैकिंग में भी विभागीय अधिकारियों के पल्ले इसलिए भी कुछ नहीं पड़ रहा, क्योंकि दूसरे प्रदेशों से आने वाला माल बिल के साथ ही आ रहा है।

हैरानीजनक बात है कि बिल से आने वाले माल के बावजूद  रैवेन्यू में बढ़ौतरी क्यों नहीं हुई, क्योंकि इसमें पिछले वैट सिस्टम की अपेक्षा एक तो टैक्स की दरों में वृद्धि हुई है और दूसरी ओर बिना बिल के आने वाले माल को लगभग ब्रेक लग चुकी है। पंजाब केसरी टीम द्वारा इस संबंध में किए गए आकलन और विश्लेषण के बीच एक ही बात सामने आई है कि जी.एस.टी. लागू होने के बावजूद पंजाब में टैक्स में गिरावट आने का कारण पहले चरण पर टैक्स की अदायगी है, जो बेचने वाले प्रदेश को तो लाभांवित कर रही है, लेकिन प्राप्त करने वाले प्रांत को डुबो रही है। 

जी.एस.टी. की अदायगी में अंतर
जी.एस.टी. लागू होने के बाद टैक्स की अदायगी में पूरी तरह उलट-पुलट हो गया है, इसमें टैक्स की अदायगी तो मंगवाने वाले प्रदेश का व्यापारी करता है, किन्तु अपने प्रदेश की बजाय उस प्रदेश को अदा करता है, जहां से माल डिस्पैच होता है। उदाहरण के तौर पर नई प्रणाली में यदि कोई पंजाब का व्यापारी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार अथवा किसी अन्य प्रांत से माल मंगवाता है तो माल भेजने के साथ ही दूसरा व्यापारी माल की रकम के साथ 5 से 28 प्रतिशत की विभिन्न धाराओं में जो लगती हैं, जोड़कर व्यापारी को भेजता है। इसमें आधा टैक्स भेजने वाले प्रदेश को जाता है और आधी अदायगी केन्द्र सरकार को की जाती है, जबकि पहले के सिस्टम में पूरी की पूरी टैक्स की देनदारी माल प्राप्त करने वाले प्रदेश को मिलती थी। 

प्रदेश के  लिए आय में जी.एस.टी. का कितना हिस्सा 
अब यदि आने वाले माल में पंजाब के लिए जी.एस.टी. के हिस्से का आकलन किया जाए तो प्रदेश को केवल उतना ही जी.एस.टी. मिलेगा, जो कुल माल की कीमत और बेचने के बीच छोटा-सा अंतर जिसे बेचने वाले का लाभ कहते हैं, ही होगा। उदाहरण के तौर पर यदि बाहर के प्रदेश से कोई वस्तु 100 रुपए की आती है यदि व्यापारी इसे 110 के करीब बेचता है तो सिर्फ 110 से 100 को निकाल कर मात्र 10 रुपए के ऊपर जी.एस.टी. यदि 18 प्रतिशत की धारा पर है तो सरकार को 1.80 रुपए मिलेंगे, जबकि दूसरे प्रदेश में इस टैक्स की अदायगी 18 रुपए होगी। ऐसे मामूली लाभ को लेकर सरकार टैक्स का लक्ष्य पूरा नहीं कर सकती जबकि दूसरी ओर निर्यात की कम अंतर प्रदेशीय टर्न-ओवर सरकार के लिए और पेचीदा हो जाएगी। 

हिमाचल, जम्मू-कश्मीर व पंजाब पर असर 
जी.एस.टी. लागू होने के उपरांत देश में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, एन.सी.आर., हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडु, वैस्ट बंगाल, महाराष्ट्र जैसे विकसित प्रदेशों को अधिक लाभ पहुंचेगा क्योंकि वहां पर अंतर प्रदेशीय निर्यात की चेन पहले ही बहुत मजबूत है और बदलते घटनाक्रम में टैक्स भी उन्हीं प्रांतों के बीच रह जाएगा। दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और पंजाब जैसे प्रदेश जहां अंतर प्रदेशीय निर्यात पहले ही कमजोर था, में और अधिक मार पड़ेगी। 

टैक्स के वितरण में बंदर बांट 
यदि टैक्स के वितरण को गौर से देखा जाए तो इसमें टैक्स प्रणाली पूरी तरह से भ्रामक है। मिसाल के तौर पर यदि किसी वस्तु के कच्चे माल की कीमत को आंका जाए तो बना हुआ माल कच्चे माल की कीमत से अढ़ाई गुना अधिक हो जाता है। यदि मैटीरियल की कीमत जिसमें लोहा, एल्यूमीनियम आदि 100 रुपए किलो है तो इससे बने हुए माल की कीमत 250 से 300 रुपए किलो होगी। इसमें माल तैयार करने में लेबर अथवा कमाई भी उसी प्रांत की हो जाएगी, जहां पर माल बनता है, इसके ऊपर यदि बने हुए माल पर भारी-भरकम जी.एस.टी. लगाया जाए तो 300 से कीमत उठकर 400 से करीब आ जाएगी और यह अंतर भी प्रदेश की सरकार को टैक्स के तौर पर जाएगा। दूसरी ओर जब प्राप्त करने वाले प्रदेश की हालत देखी जाए तो 100 रुपए रॉ-मैटीरियल की वस्तु 4 गुना कीमत पर पहुंचेगी। ऐसी स्थिति में यदि प्रदेश को टैक्स की 

वसूली भी न हो तो प्रदेश की हालत क्या होगी? 
जी.एस.टी. से किसी प्रदेश को हुए नुक्सान की भरपाई करेगा केन्द्र  जी.एस.टी. लागू होने के बाद केन्द्र सरकार द्वारा इस बात के संकेत दिए गए थे कि जी.एस.टी. में हर प्रदेश को फायदा होगा, किन्तु यदि किसी प्रदेश को नुक्सान होता है तो इसकी पूॢत केन्द्र करेगा। अब देखना है कि केन्द्र सरकार हानि उठाने वाले प्रदेश को इसकी पूॢत कैसे करती है, यह अभी रहस्य का विषय है। इसमें केन्द्र प्रदेश को किन शर्तों पर हानि पूॢत करवाता है और विपक्षी सरकार होने के कारण पंजाब को इसका कितना लाभ मिलता है अथवा नहीं यह पंजाब के भाग्य पर निर्भर है, किन्तु फिलहाल जिस प्रकार प्रदेश की अर्थव्यवस्था में पहले चरण पर जी.एस.टी. लागू होने के बाद नुक्सान का भारी आंकड़ा सामने आया है और प्रदेश की सरकार में घबराहट पैदा हो गई है इससे आने वाले समय में विभागीय सख्ती और बढ़ेगी, जिसे पंजाब का पहले से ही टूट चुका व्यापारी और उद्योगपति पलायन को मजबूर होगा।

पंजाब से निर्यात व टैक्स वसूली के स्रोत 
यदि पंजाब से निर्यात का आकलन किया जाए तो पंजाब से बने हुए सामान में मात्र लुधियाना के लोहे के कुछ सामान के उद्योगपति शामिल हैं, जिसमें नट-बोल्ट, गेयर पार्ट्स, ऑटो स्पेयर पार्ट्स के कुछ भाग के अलावा हौजरी अमृतसर से निटिंग, बर्तन, स्टील स्क्रू, पेपर कटिंग मशीनें, प्लांट की मशीनों के हिस्से, राइस शैलर व खेतीबाड़ी शामिल है, किन्तु 50 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल के इस छोटे से प्रदेश में निर्यात इतना दम नहीं भरता जितना पंजाब को बाहर से माल मंगवाना पड़ता है।  व्यापारिक अनुपात के अनुसार पंजाब से निर्यात 18 से 21 प्रतिशत है जबकि 79 से 82 प्रतिशत माल दूसरे प्रदेशों को मंगवाना पड़ता है, किन्तु दूसरे प्रदेशों से आने वाली वस्तुएं अधिक कर से लबालब होती हैं, जबकि पंजाब की खेतीबाड़ी व कपड़ा से अब तक के समय तक टैक्स की वसूली नाममात्र है। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!