पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा वित्त मंत्री के बीच होगी कांटे की टक्कर,दिलचस्प रहेगा मुकाबला

Edited By Updated: 24 Jan, 2017 11:42 AM

former chief minister and current finance minister will be between competition

हरियाणा की सीमा के साथ लगते हलका लहरागागा में भी मुकाबला दिलचस्प है। लगातार 5 बार चुनाव जीतने वाली पूर्व मुख्यमंत्री राजिंद्र कौर भट्ठल को कांग्रेस ने 7वीं बार मैदान में उतारा है।

चंडीगढ़(भुल्लर): हरियाणा की सीमा के साथ लगते हलका लहरागागा में भी मुकाबला दिलचस्प है। लगातार 5 बार चुनाव जीतने वाली पूर्व मुख्यमंत्री राजिंद्र कौर भट्ठल को कांग्रेस ने 7वीं बार मैदान में उतारा है। दूसरी तरफ वरिष्ठ अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा के बेटे व वित्त मंत्री परमिंद्र सिंह ढींडसा उन्हें टक्कर दे रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि शिअद उम्मीदवार ढींडसा लहरागागा के साथ लगते हलके सुनाम से तीन चुनाव जीत चुके हैं परंतु इस बार पार्टी ने उनका हलका बदल दिया है जिससे यहां चुनावी लड़ाई दिलचस्प बन गई है। बेशक भट्ठल और ढींडसा परिवार के बीच संबंध अच्छे रहे हैं परंतु इस बार सियासी तौर पर वे एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। अब दोनों उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। तीसरे प्रमुख उम्मीदवार के तौर पर आम आदमी पार्टी के जसबीर सिंह कुडणी भी मैदान में हैं। कुडणी के संबंध जहां पिछले समय में भट्ठल परिवार से रहे हैं, वहीं वह ज्यादा समय ढींडसा परिवार के साथ भी जुड़े रहे हैं।

बाहरी उम्मीदवार व हलके की बेटी बता मांग रहे हैं वोट 

जहां कांग्रेसी परमिंद्र सिंह ढींडसा को बाहरी उम्मीदवार बता रहे हैं, वहीं राजिंद्र कौर भट्ठल को हलके की बेटी बताकर वोट मांग रहे हैं। कै. अमरेंद्र द्वारा अभियान के दौरान सरकार बनने पर उन्हें उप-मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा का भी कांग्रेसी प्रचार करके लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि भट्ठल का विवाह लहरागागा हलका के गांव चंगाली में ही हुआ था। ढींडसा कांग्रेस द्वारा उन्हें बाहर का उम्मीदवार बताए जाने के आरोप को पूरी तरह हास्यास्पद बताते हुए कहते हैं कि उनके पिता सुखदेव सिंह ढींडसा संगरूर लोकसभा हलके से सांसद रह चुके हैं। इस समय भी राज्यसभा सदस्य हैं जिस कारण उनके परिवार का लंबे समय से लहरागागा हलके समेत सभी क्षेत्रों में बराबर काम रहा है। सुनाम और लहरा के गांव भी साथ-साथ ही लगते हैं जिस कारण उन्हें बाहरी नहीं कहा जा सकता।

बादल अभी तक पार्टी अभियान से दूर
अगर प्रमुख पार्टियों के प्रचार अभियान पर नजर डालें तो अभी तक ढींडसा के समर्थन में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बड़ी चुनाव रैलियां करने नहीं आए हैं। दूसरी तरह कांग्रेस इस मामले में आगे दिखाई देती है। भट्ठल के समर्थन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कै. अमरेंद्र के अलावा परनीत, मनप्रीत बादल व राजा वङ्क्षडग़ जैसे नेता आ चुके हैं। भगवंत मान को छोड़ ‘आप’ का भी कोई बड़ा नेता अभी तक इस क्षेत्र में नहीं पहुंचा है।

आयोग की सख्ती का असर 
नोटबंदी व चुनाव आयोग की सख्ती का भी चुनाव प्रचार अभियान में साफ असर दिखाई दे रहा है। प्रत्याशी बहुत सोच-समझकर खर्चा कर रहे हैं। पोस्टर, बैनर व झंडियां आदि नाममात्र ही दिखाई पड़ती हैं। उम्मीदवार गांवों के अलावा मंडियों में भी मोहल्लों आदि में छोटी-छोटी जनसभाएं करने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

पार्टियों की हार-जीत में तीन मंडियों के वोट बैंक की अहम भूमिका 
बेशक हलके में ग्रामीण वोटरों की संख्या ज्यादा है परंतु बावजूद इसके इसे पूरी तरह ग्रामीण वोटरों के प्रभाव वाला हलका नहीं माना जा सकता। क्षेत्र में 3 मंडियां लहरा, मूनक और खन्नौरी पड़ती हैं। इनका वोट बैंक ही उम्मीदवार की हार-जीत में अहम भूमिका निभाता है। इन मंडियों में कांग्रेस का ही ज्यादा प्रभाव रहा है। हलके में 72 गांव पड़ते हैं जिनमें वोटरों की संख्या 1,19,217 है जबकि तीनों मंडियों की वोटर संख्या 35,809 है। ग्रामीण क्षेत्र में तो कांग्रेस और शिअद दोनों को अच्छी वोट मिलेगी जबकि ‘आप’ उम्मीदवार भी पिछले चुनाव रिकॉर्ड के अनुसार ज्यादा वोट खींचने के प्रयास में है क्योंकि यह हलका संसदीय क्षेत्र संगरूर में आता है और क्षेत्र से ‘आप’ सांसद भगवंत मान को अच्छे वोट मिले थे। हलके से भट्ठल दो चुनाव कम अंतर से ही जीती हैं जिस कारण ढींडसा के आने से कांटे का मुकाबला माना जा रहा है।

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