अडवानी खुद को तन्हा क्यों महसूस करने लगे?, पार्टी उनके गिले-शिकवे सुने: मा. मोहन लाल

Edited By Updated: 16 Dec, 2016 11:17 AM

former bjp minister mohan lal

भाजपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री मा. मोहन लाल ने कहा कि पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण अडवानी स्वयं को इतना तन्हा क्यों महसूस कर रहे हैं कि उन्होंने इस्तीफा देने की बात कह डाली।

जालंधर (धवन) : भाजपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री मा. मोहन लाल ने कहा कि पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण अडवानी स्वयं को इतना तन्हा क्यों महसूस कर रहे हैं कि उन्होंने इस्तीफा देने की बात कह डाली। आज यहां बातचीत करते हुए मा. मोहन लाल ने कहा कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को अडवानी की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए। अडवानी तथा अटल बिहारी वाजपेयी जैसे शीर्ष नेताओं की बदौलत भाजपा जीरो से हीरो बनी है। मा. मोहन लाल ने कहा कि भाजपा नेताओं को यह नहीं भूलना चाहिए कि अडवानी ने पार्टी की मजबूती के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। उनके योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।

उन्होंने कहा कि आयु के इस पड़ाव में अडवानी से पार्टी नेताओं को शिक्षा लेने की जरूरत है। अडवानी की सीख व उनके अनुभव पार्टी के लिए अंतत: लाभकारी सिद्ध होंगे। बढ़ती आयु अडवानी का कोई दोष नहीं है। आयु के इस दौर में से सभी भाजपाइयों को एक न एक दिन गुजरना है। स्वयं को तीस मारखां समझने वाले भाजपाई यह समझ लें कि आज वे जिन पदों पर बैठे हैं, उसके पीछे अडवानी व वाजपेयी का पसीना बहा हुआ है। मा. मोहन लाल ने कहा कि संसद न चलने का भी अडवानी के मन पर बोझ है। सत्तापक्ष व विपक्ष दोनों को मिलकर अडवानी से बातचीत करनी चाहिए व उनके विचारों को सुनना चाहिए। उन्होंने कहा कि अडवानी स्वयं को आहत महसूस कर रहे हैं। उनकी नाराजगी के कारणों को जानकर दूर करने की कोशिश होनी चाहिए।

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