Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Nov, 2017 12:16 PM
आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जिनको चाचा नेहरू के नाम से पुकारा जाता है, को सबसे पहले जैतो में अंग्रेज सरकार ने 1923 में गिरफ्तार किया था। नेहरू की यह सबसे पहली गिरफ्तारी थी। नेहरू को गिरफ्तार करके थाना जैतो में बनी हुई एक...
जैतो (जिन्दल): आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जिनको चाचा नेहरू के नाम से पुकारा जाता है, को सबसे पहले जैतो में अंग्रेज सरकार ने 1923 में गिरफ्तार किया था। नेहरू की यह सबसे पहली गिरफ्तारी थी। नेहरू को गिरफ्तार करके थाना जैतो में बनी हुई एक अंधेरी काल कोठरी में रखा गया था। इस कोठरी में सिर्फ एक ही दरवाजा था, लाइट या हवा का कोई प्रबंध नहीं था। यह कोठरी आज भी उसी तरह सुरक्षित है और इस काल कोठरी को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और राहुल गांधी भी अपनी जैतो फेरी के दौरान इस काल कोठरी को देखने के लिए विशेष तौर पर गए थे। रियासत नाभा के राजा रिपुदमन सिंह को अंग्रेजों द्वारा जबरदस्ती गद्दी से उतार देने के विरोध में सिखों की तरफ से जोरदार संघर्ष आरंभ किया गया था। इसी संघर्ष को जैतो का मोर्चा कहा जाता था। इस मोर्चे ने उस समय जोर पकड़ा था, जब अंग्रेजों ने गुरुद्वारा श्री गंगसर साहिब जैतो में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के चल रहे श्री अखंड पाठ साहिब को खंडित कर दिया था।
उस समय कांग्रेस के नेता पंडित जवाहर लाल स्थिति का जायजा लेने के लिए जैतो पहुंचे थे, तब अंग्रेजी हुकूमत ने नेहरू पर फौजदारी केस दर्ज करके उनको जैतो पहुंचने पर गिरफ्तार करके काल कोठरी में बंद कर दिया। नारायण सिंह स्पैशल पुलिस रियासत नाभा ने जांच की और माननीय ईशर सिंह ने 3 अक्तूबर 1923 को नेहरू को 2 साल की कैद की सजा सुनाई। नेहरू के खिलाफ दर्ज एफ.आई.आर. की कापी आज भी थाना जैतो में सुरक्षित रखी हुई है। इस कोठरी पर विभाग की तरफ से एक सूचना बोर्ड लगाया था परन्तु अब यह बोर्ड इस जगह से गायब है।
नेहरू की याद को ताजा रखने के लिए सरकार की तरफ से इस जगह पर एक पार्क भी बनाया है जो अभी तक लोगों के सुपुर्द नहीं किया गया। इलाके के प्रसिद्ध नेता सतपाल डोड, पवन गोयल, रणबीर पवार, सुरजीत सिंह बाबा, राजदीप औलख, जगदीश गर्ग घनिया, मुनीष गोयल, टोनी डोड, मदन बांसल, समाज सेवक मुकेश गोयल, बाबा ऋषि राम ने पंजाब सरकार से मांग की कि इस जगह पर नेहरू की याद में एक उपयुक्त यादगार बनाई जाए।