Edited By Updated: 10 Dec, 2016 10:12 AM
फाजिल्का सड़क हादसे के दौरान 13 अध्यापकों की मौत की खबर ने सबका दिल दहला दिया है। सभी के मन में यही प्रश्न उठ रहा है कि आखिरकार इस हादसे का कारण क्या हो सकता है?
अमृतसर(नीरज): फाजिल्का सड़क हादसे के दौरान 13 अध्यापकों की मौत की खबर ने सबका दिल दहला दिया है। सभी के मन में यही प्रश्न उठ रहा है कि आखिरकार इस हादसे का कारण क्या हो सकता है? पिछले 2 दिनों से सुबह के समय घनी धुंध पड़ रही है। जीरो दृश्यता हादसोंं का कारण बन रही है। इन हालात में एक बार फिर से सेफ स्कूल वैन अभियान की याद आ जाती है। इसको मुहावा स्कूल वैन दुर्घटना के बाद जितनी तेजी से चलाना चाहिए था। उतनी तेजी से नहीं चलाया जा रहा है। एक सामान्य दिन की तुलना में धुंध व सर्दी के मौसम में सेफ स्कूल वैन के नियमों का पालन करना और ज्यादा जरूरी हो जाता है, लेकिन महानगर में कुछ स्कूलों को छोड़ कर ज्यादातर स्कूलों के वैन चालक सेफ स्कूल वैन नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। ‘पंजाब केसरी’ की तरफ से अभिभावकों को अपील की जाती है कि वे अपने बच्चों की स्कूल वैन में सेफ स्कूल वैन के सभी नियमों का पालन करवाएं, ताकि आप के बच्चे सुरक्षित रहें। जिला प्रशासन को जरूरत है कि परिवहन विभाग व ट्रैफिक पुलिस की तरफ से दोबारा सेफ स्कूल वैन अभियान को एक्टिव किया जाए, ताकि इस प्रकार की दुर्घटना भविष्य में दोबारा न हो सके।
हाईकोट ने दिए कार्रवाई की आदेश
स्कूल वैन दुर्घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए सेफ स्कूल वैन अभियान के तहत सख्त कार्रवाई करते हुए माननीय हाई कोर्ट ने डिप्टी कमिश्नर के जरिए परिवहन विभाग व ट्रैफिक पुलिस को कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं। स्कूलों में चलने वाली वैन व अन्य वाहनों का ब्यौरा देने के लिए निर्देश जारी किए हैं। सेफ स्कूल वैन पॉलिसी का उल्लंघन करने वाली स्कूल वैन को बंद करने की कार्रवाई के लिए कहा गया। स्कूलों की तरफ से दिए गए ब्यौरे के आधार पर ही प्रशासन स्कूल वैन की चैकिंग करेगा, ऐसा प्रक्रिया में शामिल है। स्कूलों को 3 कैटेगरी में अपना-अपना ब्यौरा देना है, जो चाइल्ड प्रोटैक्शन डिपार्टमैंट की तरफ से भेजा गया। पहली कैटेगरी में लिखना होगा कि संबंधित स्कूल वैन का मालिक स्कूल है और संबंधित वैन स्कूल ने खरीदी है। दूसरी कैटेगरी में लिखकर देना होगा कि स्कूल ने कांट्रैक्ट पर स्कूल वैन रखी हुई हैं, यह दूसरा प्रोफोर्मा इसलिए बनाया गया है।
पेरैंट्स की जिम्मेदारी
1. पेरैंट्स बच्चे को 10 मिनट पहले तैयार करें। समय पर बच्चे के जाने पर जल्दबाजी में होने वाला हादसा टलेगा।
2. खुद बस के ड्राइवर के संपर्क में रहें।
3. बच्चे को छोड़ते वक्त खुद भी बस के विंडो चैक करें, क्या इसमें हवा तो नहीं आ रही।
4. अपने बच्चे को बस में हैंडल को पकड़ कर बैठने की ट्रेनिंग दें।
5. जो पेरैंट्स बच्चे को कार में स्कूल छोडऩे जाते हैं, वे समय से पहले निकलें।
6. ओवरटेक न करें, ऐसी स्थिति में हादसा हो सकता है।
इन बातों की जांच करें स्कूल
1. बस का ड्राइवर सड़क के बीच बस न रोके, धुंध के चलते पिछले वाहन से टक्कर हो सकती है।
2. क्या स्कूल बस के रिफ्लैक्टर और फॉग लाइट्स पूरी तरह से काम कर रही हैं।
3. क्या ड्राइवर की आई साइट पूरी तरह से ठीक है, क्या वह धुंध में देख पाता है।
4. कोहरे के कारण देरी की संभावना के चलते बस स्कूल से जल्दी निकले।
5. क्या बस के सारे शीशे ठीक हैं, बस से हवा अंदर तो नहीं जा रही।
6. क्या बस में आपातकालीन दरवाजा वक्त पर खुल सकेगा।
7. क्या बस के फ्रं ट शीशे का वाइपर ठीक है।