खैहरा की सुखबीर बादल को सलाह, पहले अपने बुजुर्ग पिता की बात सुनो फिर मांगो मेरा इस्तीफा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Nov, 2017 01:10 AM

first listen to your elderly father ask again my resignation

पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैहरा ने अकाली दल के प्रधान व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को सलाह दी है कि फाजिल्का कोर्ट द्वारा उन्हें सम्मन जारी करने व हाईकोर्ट द्वारा उनकी पटीशन रद्द करने के मामले में जूनियर बादल को...

चंडीगढ़(शर्मा): पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैहरा ने अकाली दल के प्रधान व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को सलाह दी है कि फाजिल्का कोर्ट द्वारा उन्हें सम्मन जारी करने व हाईकोर्ट द्वारा उनकी पटीशन रद्द करने के मामले में जूनियर बादल को विधानसभा में विपक्ष के नेता के पद से त्याग पत्र देने की मांग करने से पहले अपने बुजुर्ग पिता एवं पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के विचार सुन लेने चाहिएं। 

उन्होंने प्रकाश सिंह बादल द्वारा एक टी.वी. चैनल को दिए उस बयान के बारे जिक्र किया जिसमें सीनियर बादल ने कहा था कि सिर्फ अदालत की ओर से सम्मन भेजने का मतलब दोषी होना नहीं होता। क्लिपिंग मीडिया को जारी करते हुए खैहरा ने कहा है कि जूनियर बादल न सिर्फ मामले में दोगली नीति अपना रहे हैं बल्कि अपने पिता के विचारों को भी नजरअंदाज कर रहे हैं। 

खैहरा ने कहा कि उन्हें जहां ट्रायल कोर्ट ने महज सम्मन भेजे हैं वहीं सुखबीर बादल के विरुद्ध न सिर्फ एक पत्रकार को पीटने के मामले में चार्जशीट दायर है बल्कि वह इस मामले में जमानत पर हैं। खैहरा ने सुखबीर बादल को याद दिलाया कि उनके पिता प्रकाश सिंह बादल ने जब 2007 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो वह आय से अधिक संपत्ति के मामले में जेल भी गए थे, वह भी जमानत पर थे। उन्होंने कहा कि जब इतने गंभीर कलंक के बावजूद सीनियर बादल मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं तो सिर्फ उनसे मात्र सम्मन जारी होने पर त्याग पत्र मांगे जाने का क्या औचित्य है। 

खैहरा ने कहा कि प्रकाश सिंह बादल ने सजायाफ्ता जागीर कौर व तोता सिंह का न सिर्फ बचाव किया बल्कि उन्हें मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया। उन्होंने कहा कि सुखबीर बादल पर वह कहावत कि ‘सौ मन चूहे खाकर बिल्ली हज को चली’ पूरी तरह चरितार्थ होती है। सुखबीर सिंह बादल को उनके माऊथपीस पी.टी.सी. चैनल पर राजनीति में आचार संहिता व नैतिकता के मामले में किसी भी दिन किसी भी समय खुली बहस की चुनौती देते हुए खैहरा ने कहा कि यदि वह इस चुनौती को स्वीकार नहीं करते हैं तो उन्हें राजनीति में नैतिकता की बात कहने का कोई अधिकार नहीं।

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