365 दिनों में महिलाओं से दुष्कर्म, छेड़छाड़, किडनैपिंग व हमलों की 3.38 लाख FIR दर्ज

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Dec, 2017 12:46 PM

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नारी पूजन वाले देश में महिलाएं अभी भी सुरक्षित नहीं हैं और अपराध दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। एन.सी.आर.बी. (नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो) द्वारा जारी किए गए वर्ष 2016 के चौंकाने वाले तथ्यों के अनुसार 365 दिनों में महिलाओं के साथ दुष्कर्म, छेड़छाड़,...

लुधियाना (ऋषि): नारी पूजन वाले देश में महिलाएं अभी भी सुरक्षित नहीं हैं और अपराध दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। एन.सी.आर.बी. (नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो) द्वारा जारी किए गए वर्ष 2016 के चौंकाने वाले तथ्यों के अनुसार 365 दिनों में महिलाओं के साथ दुष्कर्म, छेड़छाड़, किडनैपिंग, हमले व दहेज प्रताडऩा और अन्य क्राइम अगेंस्ट वूमैन की 3 लाख 38 हजार 954 एफ.आई.आर. दर्ज हुई हैं। इनमें से 20 प्रतिशत को भी अदालत सजा नहीं सुना पाई। 

ञमहिला से क्रूरता से पेश आने के 30 प्रतिशत केस 
महिलाओं से हो रहे क्राइम में सबसे ’यादा क्राइम आई.पी.सी. 498-ए का है। पत्नी से पति और ससुराल पक्ष के लोगों की तरफ से क्रूरता से पेश आने की 1 लाख 10 हजार एफ.आई.आर. हुई हैं, जो वर्ष भर की कुल एफ.आई.आर. का &0 प्रतिशत है और इसमें सबसे कम मात्र 12.2 प्रतिशत को अदालत से सजा हुई है। 

9688 मामले दहेज की मांग को लेकर तंग करने के 
दहेज की मांग को लेकर तंग करने के भी 9683 मामले सामने आए हैं। इन मामलों में पुलिस की तरफ से दहेज निषेध एक्ट के अधीन ससुरालियों पर एफ.आई.आर. तो दर्ज की गई है लेकिन 15 प्रतिशत को ही अदालत से सजा हुई है। 

दुष्कर्म, किडनैपिंग और हमले की एफ.आई.आर. भी ज्यादा
कू्ररता और दहेज प्रताडऩा के अलावा बात करें तो देश में एक वर्ष में दुष्कर्म, किडनैपिंग और हमले की एफ.आई.आर. भी बहुत ’यादा दर्ज हुई हैं और इनमें सजा मात्र 25.5 प्रतिशत, 21.4 प्रतिशत व 21.8 प्रतिशत को हुई है। 

19 मैट्रो शहरों में सजा न के बराबर 
पत्नी से हो रही कू्ररता और दहेज की मांग को लेकर तंग करने के मामलों में देश के 19 मैट्रो शहरों में दर्ज हो रहे मामलों में सजा न के बराबर हो रही है। कू्ररता के मामलों में मात्र 9.5 प्रतिशत और दहेज को लेकर परेशान करने के मामलों में मात्र 1.6 प्रतिशत को सजा का सामना करना पड़ा है।

गृह मंत्रालय ने 498-ए में संशोधन के लिए वर्ष 2015 में लिखा पत्र
धारा 498-ए को लेकर केंद्र में काफी समय से बहस चल रही है। वर्ष 2015 में सरकार की तरफ से इस धारा में संशोधन करने का प्रयास करते हुए कम्पाऊंडेबल धारा बनाने के लिए (समझौते के अधिकार क्षेत्र में लाने के लिए ताकि दोनों पक्षों में समझौता होने पर धारा तोड़ी जा सके) कानून मंत्रालय को लिखकर भी भेजा था। लॉ कमिशन और मालीनथ कमेटी ने भी इसे स्वीकार किया था।

टै्रफिकिं ग इमोरल एक्ट और एसिड अटैक में सबसे ज्यादा सजा
तथ्यों के अनुसार देह व्यापार का धंधा करते पकड़ी जाने वाली महिलाओं पर दर्ज ट्रैफिकिंग इमोरल एक्ट के मामलों में पुलिस 38.5 प्रतिशत तक सजा, जबकि एसिड अटैक के मामले में 37 प्रतिशत को सजा हुई है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी माना 498-ए का होता है दुरुपयोग 
वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से माना गया था कि महिलाओं की तरफ से 498-ए का दुरुपयोग किया जा रहा है और इसमें संशोधन किया जाना चाहिए लेकिन इस बात का विरोध किया गया। विरोध करने वालों का कहना था कि महिलाओं के पास मात्र 1 ही ऐसी कानूनी धारा है, जिसके तहत उन्हें इंसाफ मिलता है। देश में ऐसे कई और कानून हैं जिनका दुरुपयोग हो रहा है। उन्होंने बताया कि मात्र 10 प्रतिशत ही 498-ए के केस गलत साबित होते हैं जबकि धोखाधड़ी, फौजदारी के गलत केसों की गिनती इससे काफी ’यादा है। 


 

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