Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jun, 2017 07:24 AM
एक तरफ जहां पंजाब सरकार तथा राज्य के खेतीबाड़ी विभाग की ओर से किसानों को रिवायती फसलों को छोड़ कर कृषि विविधता अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ पिछले 6 महीनों से कृषि विविधता के तहत खेती करने वाले किसान दुविधा में फंस गए हैं।
मोगा (पवन ग्रोवर): एक तरफ जहां पंजाब सरकार तथा राज्य के खेतीबाड़ी विभाग की ओर से किसानों को रिवायती फसलों को छोड़ कर कृषि विविधता अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ पिछले 6 महीनों से कृषि विविधता के तहत खेती करने वाले किसान दुविधा में फंस गए हैं।
मूंग के भाव गिरने से किसानों की उम्मीद पर फिरा पानी
पहले आलुओं के मंद भाव के कारण अपनी फसल को फैंकने वाले किसानों ने इस उम्मीद से 3 महीने पहले मूंग की फसल आलुओं वाले खेतों में लगाई थी कि वे आलुओं की फसल से हुआ घाटा मूंग की होने वाली बम्पर फसल से पूरा कर लेंगे, लेकिन अब मूंग के भाव भी गिरने के कारण किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। जानकारी के अनुसार पिछले दिनों दौरान पड़ी बारिश के कारण खेतों में खड़ी मूंग की फसल का नुक्सान होने के साथ-साथ फसल के कम भाव के कारण किसानों ने मूंग की फसल को खेतों में ही दबाना शुरू कर दिया है।
फसल का खर्चा निकालना हो रहा मुश्किल
जिले के गांव भिंडर कलां के किसान जसविन्द्र सिंह का कहना है कि पिछले वर्ष मूंग की फसल का प्रति क्विंटल 5600-5700 रुपए भाव था, लेकिन इस बार यह कम होकर 3600-3700 रुपए तक पहुंच गया, जिसके कारण फसल का पूरा खर्च निकाल कर किसानों के हाथ कुछ भी नहीं लगता है। इस कारण किसानों के पास अब और कोई रास्ता बाकी नहीं बचा है। गांव भिंडर कलां के किसान गुरभिन्द्र सिंह मान ने बताया कि सरकार को कृषि विविधता अपनाने वाले किसानों की मुश्किल के समय सहायता करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य की आॢथकता की रीढ़ की हड्डी पंजाब की किसानी को आर्थिक पक्ष से पैरों पर खड़े किए बिना पंजाब की तरक्की संभव नहीं है।