Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Nov, 2017 02:54 PM
स्मॉग के आतंक से पर्यावरण इस हद तक प्रदूषित हो चुका है कि अब तो भविष्य पर भी सवाल उठने लगे हैं। इसी गंभीर विषय पर आज पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी कैंपस में पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन काहन सिंह पन्नू ने यूनिवर्सिटी के उपकुलपति डा. बलदेव...
लुधियाना(सलूजा): स्मॉग के आतंक से पर्यावरण इस हद तक प्रदूषित हो चुका है कि अब तो भविष्य पर भी सवाल उठने लगे हैं। इसी गंभीर विषय पर आज पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी कैंपस में पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन काहन सिंह पन्नू ने यूनिवर्सिटी के उपकुलपति डा. बलदेव सिंह ढिल्लों, वैज्ञानिकों, किसानों व संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि आने वाले सीजन के दौरान इस तरह के हालात पैदा न हों। क्यों न पराली की संभाल को लेकर पहले से ही कोई ऐसी नीति या प्लानिंग कर ली जाए। कृषि माहिरों ने एक सुर में कहा कि यदि भविष्य को बचाना है तो फिर पराली को जलाने से किसी भी कीमत पर रोकना होगा। नहीं तो आने वाली पीढिय़ां माफ नहीं करेंगी।
किसान कम समय में पकने वाली फसलों का दें पहल
पी.ए.यू. के डायरैक्टर खोज डा. नवतेज सिंह बैंस ने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि पी.ए.यू. की कम समय में पकने वाली सिफारिशी किस्मों की ही बुआई करने को पहल दें। इससे न केवल उनको अगली फसल की तैयारी के लिए समय मिलेगा बल्कि वह धान की पराली को भी बेहतर ढंग से संभाल सकेंगे।
किसानों व माहिरों ने दिए सुझाव
कटाई वाली कंबाइनों के साथ सुपर स्टार मैनेजमैंट सिस्टम को लगाना जरूरी किया जाए ताकि किसान पराली के खर्चों को आसानी से सहन कर सके। कम लागत वाली मशीनों के इस्तेमाल के बारे में किसानों व कृषि माहिरों ने जानकारी देते हुए बताया कि आज इस मीटिंग में वह किसान भी आए हैं जिन्होंने पराली को जलाए बिना ही गेहूं की बुआई की है।
किसानों को करें गाइड, पराली न जलाने वाले होंगे सम्मानित
मीटिंग में यह बात सामने आई कि इस बार किसानों को पराली को जलाने के लिए एक साजिश के तहत भड़काया गया। पी.ए.यू. के उपकुलपति डा. बलदेव सिंह ढिल्लों ने कृषि विज्ञान केन्द्रों व खेतीबाड़ी विभाग को कहा कि बड़े स्तर पर कैंप व खेत दिवस लगाए जाएं और किसानों को ऐसे खेतों का दौरा करवाया जाए जहां किसानों ने बिना पराली को जलाए ही गेहूं की बुआई करते हुए पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया। उपकुलपति ने कहा कि जो किसान पराली को नहीं जलाएगा, उसको यूनिवॢसटी प्रशासन की तरफ से विशेष तौर पर सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने अपने वैज्ञानिक साथियों व प्रसार माहिरों से सहयोग मांगते हुए कहा कि फसली चक्कर व खेती वातावरण को ध्यान में रखते हुए ऐसा साहित्य तैयार करे जो फसलों की वेस्टेज को संभालने में सही मार्ग दर्शक कर सकें।
जलाने की बजाय खेती में ही मिक्स करें पराली : डा. सिद्धू
साऊथ एशिया की बोरलॉग संस्था के वैज्ञानिक डा. एच.एस.एस. सिद्धू ने इस बात पर जोर दिया कि पराली को बाहर लेकर जाने की जगह खेतों में मिक्स करना ही बेहतर होगा, नहीं तो आने वाले समय में भी इस तरह के नाजुक हालातों का सामना करना पड़ सकता है। सुपर स्टार मैनेजमैंट सिस्टम वाली कंबाइन को किसानी के लिए वरदान बताया। कृषि विभाग के ज्वाइंट डायरैक्टर मनमोहन कालिया ने इस बात का भरोसा दिलाया कि सरकार पी.ए.यू. द्वारा प्रमाणित मशीनरी पर सबसिडी अवश्य प्रदान करेगी।