प्रति एकड़ 16 से 20 हजार रुपए घाटा सहन कर रहा किसान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Jun, 2017 01:09 PM

farmers suffering losses

किसानों की खुदकुशियों का सबसे बड़ा कारण बनकर उभरा कर्ज असल में लगातार बढ़ रही कृषि लागत तथा कम हो रही आमदन का ही परिणाम है।

भटिंडा (परमिंद्र): किसानों की खुदकुशियों का सबसे बड़ा कारण बनकर उभरा कर्ज असल में लगातार बढ़ रही कृषि लागत तथा कम हो रही आमदन का ही परिणाम है। खेती लागत लगातार बढ़ रही है जबकि फसलों के मूल्य उस रफ्तार से नहीं बढ़ रहे। यही कारण है कि किसान खर्च तो भारी भरकम कर देता है लेकिन उसके हाथ में कुछ नहीं आ पाता बल्कि उसे प्रति फसल लाखों रुपए का घाटा ही सहन करना पड़ता है। आंकड़ों को देखें तो पंजाब के किसान को प्रति एकड़ 16 से 20 हजार रुपए घाटा हर फसल पर सहन करना पड़ता है व ऐसे में उसकी आमदन के बारे में तो सोचा ही नहीं जा सकता। उक्त आंकड़े भाकियू एकता (सिद्धूपुर) की ओर से जारी किए गए हैं जिनमें किसानों के खर्च तथा आमदन का हिसाब दिया गया है। 

हर फसल पर हजारों का घाटा 
यूनियन की ओर से निकाले गए आंकड़ों को देखा जाए तो किसान को गेहूं पर प्रति एकड़ घाटा 20,087 रुपए तथा धान की फसल पर प्रति एकड़ 16,612 रुपए घाटा सहना पड़ता है। ऐसे में किसानों को गेहूं पर प्रति क्विंटल 1,052 रुपए व धान पर प्रति क्विंटल 615 रुपए घाटा होता है। किसान यूनियन के आंकड़ों के अनुसार ट्रैक्टर, पानी, खेत तैयारी, बीज, खाद, कीटनाशक, नदीननाशक, कटाई, ढुलाई, स्प्रे औजार, ठेका प्रति एकड़, गेहूं की तूड़ी बनाने, संभाल आदि पर किसान का प्रति एकड़ 52,449 रुपए का खर्च होता है जबकि धान की खेती में किसानों को प्रति एकड़ 57,328 रुपए खर्च करने पड़ते हैं लेकिन किसानों को गेहूं से प्रति एकड़ आमदन 32,362 व धान से आमदन 40,770 रुपए ही हो पाती है। 

लागत 300 गुना बढ़ी, फसलों के मूल्य 22 गुना 
यूनियन द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले 50 सालों के दौरान कृषि वस्तुओं के दाम 300 गुना तक बढ़ गए हैं लेकिन फसलों के दाम मात्र 22 गुना ही बढ़ पाए हैं। 1966-67 में गेहूं का मूल्य 76 रुपए प्रति क्विंटल था जो 2016-17 में 1,625 रुपए तक ही पहुंचा है। दूसरी ओर डीजल कर मूल्य 63 पैसे प्रति लीटर से 53 रुपए प्रति लीटर हो गया है। इसी प्रकार मोबिल ऑयल का मूल्य 1.25 रुपए लीटर के बजाए 220 रुपए पर पहुंच गया है। खाद का रेट 25 रुपए बोरी से 1,935 रुपए बोरी, ईंटों का मूल्य 45 रुपए प्रति हजार के मुकाबले 4,500 रुपए प्रति हजार हो गया है। यही नहीं मैसी ट्रैक्टर की कीमत भी 14,600 से बढ़कर 7.25 लाख हो गई है। ऐसे में अन्य वस्तुओं के दाम 300 गुना तक बढ़ गए लेकिन फसलों का मूल्य उस रफ्तार से नहीं बढ़ सका। 


 

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