Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Dec, 2017 11:05 AM
विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा पंजाब के किसानों पर चढ़े कर्जे पर लकीर मारने का वायदा किया गया था। इसी वर्ष जनवरी में चुनाव प्रचार दौरान कैप्टन के अलावा प्रत्येक बड़े-छोटे कांग्रेसी नेता ने कर्जा माफी का राग...
जीरा/फिरोजपुर(अकालियांवाला): विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा पंजाब के किसानों पर चढ़े कर्जे पर लकीर मारने का वायदा किया गया था। इसी वर्ष जनवरी में चुनाव प्रचार दौरान कैप्टन के अलावा प्रत्येक बड़े-छोटे कांग्रेसी नेता ने कर्जा माफी का राग अलापा था। कांग्रेस सरकार सत्ता पर काबिज हुई तो किसानों में कर्जा माफी की उम्मीद जगी थी लेकिन सरकार के सत्ता में आने के उपरांत सब कुछ ही बदल गया। कर्जा माफी को लेकर नई योजनाबंदियां की गईं। 2017 का यह वर्ष किसानों तथा किसान जत्थेबंदियों की ओर से सारा कर्जा माफी को लेकर उठाई जा रही मांग से समाप्त होने जा रहा है। इस माफी को लेकर सरकारी प्रशासन लिस्टें बनाने में व्यस्त है। चुनाव से पहले पंजाब के किसान के सिर लगभग 73 हजार करोड़ रुपए का कर्जा था, जिसमें 59 हजार करोड़ रुपए फसली कर्जा है। इस कर्जे में से फिलहाल 5 हजार करोड़ रुपए तक का कर्जा माफ होने की संभावना है। सरकार की ओर से विधानसभा में अढ़ाई से 5 एकड़ की मालकी वाले 10.22 लाख किसानों के 2-2 लाख रुपए कर्जे माफ करने की घोषणा की गई थी। इस कर्जा माफी को लेकर संबंधित अधिकारी फाइलें तैयार करने में जुटे हुए हैं।
सीमावर्ती जिले के किसानों पर है 2404 करोड़ 43 लाख रुपए का कर्जा
बैंक अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक सीमावर्ती जिले फिरोजपुर के किसानों पर 2404 करोड़ 43 लाख रुपए का कर्जा है, जो कि किसानों ने फसली कर्जे के साथ-साथ सहायक धंधों के लिए लिया हुआ है। राष्ट्रीय किरत बैंकों का 1835 करोड़, पी.ए.डी.बी. 3 करोड़ 33 लाख, पंजाब ग्रामीण बैंक 317 करोड़, सहकारी बैंकों का 247 करोड़ 60 लाख रुपए कर्जा किसानों ने लिया हुआ है।
कर्जा माफी संबंधी नया सॉफ्टवेयर हो रहा है तैयार
पंजाब सरकार की ओर से कर्जा माफी संबंधी नया सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है, जिस द्वारा यह सब कुछ पता लग जाएगा कि किसान की जमीन कितनी है तथा अलग-अलग बैंकों से कर्जा कितना लिया गया है। इस विधि के माध्यम से उन किसानों के नाम सामने आएंगे, जिनके बैंक खाते आधार कार्ड से लिंक होंगे। यहां तक कि जमीन का रिकार्ड भी आधार कार्ड से ङ्क्षलक होने पर सामने आ जाएगा। फिलहाल जो सहकारी सभाओं के कर्मचारियों की ओर से लिस्टें बनाई गई हैं, उसकी जांच माल विभाग से करवाई जा रही है।