1971 युद्ध दौरान लापता सैनिकों के परिवारों ने उनके जिंदा होने की जताई उम्मीद

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Dec, 2017 02:38 PM

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बठिंडाः 1971 युद्ध दौरान लापता सैनिकों के परिवारों ने उनके जिंदा होने की उम्मीद पर पंजाब एडं हरियाणा हार्ईकोर्ट को हस्तक्षेप करने की मांग की है। उनका कहना है कि ये जवान पाक जेलों में बंद हैं। कई अधिकारियों के पास जानें के बाद, चार परिवारों ने अब पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का रुख किया है। इस मामले पर इन परिवारों ने भारत सरकार को पाकिस्तान के साथ बातचीत करने का निवेदन किया है।  उच्च न्यायालय द्वारा 21 जनवरी को इस पर फैसला किया जाएगा।


इस याचिका को बठिंडा के लेहरा धुरकोट गांव के हवलदार धरम पाल सिंह के परिवार ने स्थानांतरित किया है। इनके साथ-साथ बी.एस.एफ. के कांस्टेबल फरीदकोट में तहना गांव के कांस्टेबल सुरजीत सिंह और मनसा में खैला खुर्द गांव के हवलदार वीर सिंह के बॉम्बे सपर्स सीपॉय जुगराज सिंह भी हैं। धरम पाल को पूर्वी पाकिस्तान सीमा के पास तैनात किया गया था और 1971 में पाकिस्तान सेना ने कब्जा कर लिया था। 


बता दें कि भारत सरकार और सेना ने उन्हें 5 दिसंबर, 1971 को लापता होने के कारण शहीद मान लिया था। इतना ही नहीं तत्कालीन प्रधान मंत्री स्व.इंदिरा गांधी ने धर्मपाल सिंह की पत्नी पाल कौर को  पति के निधन के लिए एक व्यक्तिगत पत्र भेज शोक व्यक्त किया था।


 
पाल कौर (79) और उनके पुत्र अर्शिंदर पाल सिंह ने बताया कि फिरोजपुर के पूर्व सेना अधिकारी सतीश कुमार,जो पाकिस्तान में कैद रहे ने उन्हें  2015 में मुलाकात दौरान बताया था कि वह 1974 से 1976 तक कोट लखपत राय जेल, लाहौर सैंट्रल जेल में धर्मपाल के साथ रहे।


पाल कौर ने कहा कि इस उम्मीद पर  हमने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है कि भारत सरकार को पाकिस्तान के साथ बीतचीत कर मुद्दा उठाया जाना चाहिए।

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