70 साल से एक बिछुड़े परिवार को फेसबुक ने मिलाया

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Nov, 2017 01:18 PM

families met on facebook

1947 में भारत-पाक बंटवारे के दौरान पाकिस्तान में रह गए राहों के सुंंदर सिंह काहलों पुत्र बिशन सिंह की पाकिस्तान में रहती 2 बेटियों ने 70 साल बाद फेसबुक के माध्यम से अपने परिवार को ढूंढ लिया। उनके इस मिलाप से दोनों घरों में शादी जैसा माहौल...

नवांशहर : 1947 में भारत-पाक बंटवारे के दौरान पाकिस्तान में रह गए राहों के सुंंदर सिंह काहलों पुत्र बिशन सिंह की पाकिस्तान में रहती 2 बेटियों ने 70 साल बाद फेसबुक के माध्यम से अपने परिवार को ढूंढ लिया। उनके इस मिलाप से दोनों घरों में शादी जैसा माहौल है। 

पाकिस्तान से आया फोन
नवांशहर कोर्ट में प्रैक्टिस करते एडवोकेट तेजिंद्र पाल सिंह काहलों ने बताया कि 12 अगस्त को जब वह अपने खेतों में काम कर रहा था तो उसके मोबाइल फोन पर पाकिस्तान से फोन आया। वहां से बात करने वाली महिला ने उसे पूछा कि आप साधु सिंह के लड़के हो जिस पर उसने उन्हें कहा कि नहीं, वह उनके भाई सुविंद्र सिंह का बेटा है। इतना सुनते ही मोबाइल पर बात करने वाली महिला ने खुशी के लहजे में कहा कि वह पाकिस्तान से उसकी बुआ बोल रही है। 

इस्लाम अपनाकर दीन मोहम्मद बन गया था सुंदर सिंह
एडवोकेट काहलों ने बताया कि उनके पिता ने उन्हें बताया था कि 1947 में भारत-पाक बंटवारे के दौरान उनका एक चाचा सुंदर सिंह पाकिस्तान में ही रह गया था। उस समय उसकी आयु 40 वर्ष के करीब थी और उसने शादी नहीं की थी। इसके बाद उसने इस्लाम अपनाकर अपना नाम दीन मोहम्मद रख लिया, जबकि उनका परिवार 1950 में राहों में बसने लगा। बताया गया कि 1947 में नूरमहल से गए एक मुसलमान परिवार की लड़की शरीफां से उसकी शादी हो गई। दीन मोहम्मद उर्फ सुंदर सिंह की 2 बेटियों रिकावत बीबी काहलों तथा साजिदा प्रवीन काहलों का जन्म हुआ। काहलों ने अपनी इन दोनों बुआओं की पंजाब केसरी के प्रतिनिधि से फोन पर बात करवाई, जिन्होंने बताया कि उनके पिता कि 1970 में मौत हो गई थी। उसके बाद उनकी माता की 1994 में मौत हो गई। उन दोनों बहनों की शादी गांव सीहोवाल, लाहौर में बाजवा परिवार में हो गई लेकिन उन्होंने भारत में रहते परिजनों को ढूंढने का प्रयास नहीं छोड़ा। 

नया जन्म लेने जैसा महसूस कर रही हैं दोनों बहनें
रिकावत बीबी ने बताया कि 1970 में किसी तरह अपने परिवार का पता ढूंढकर उसने राहों में एक पत्र भेजा था, जिसका जवाब नहीं आया। दोनों बहनों ने बताया कि उनके पिता दीन मोहम्मद उर्फ सुंदर सिंह अपने भाइयों को मिलने के लिए तड़पते रहे। अब बिछुड़े परिवार को मिलने पर उन्हें ऐसा महसूस हो रहा है कि हमारा नया जन्म हुआ है। उन्होंने सोशल मीडिया का धन्यवाद करते हुए कहा कि इसने कई बिछुड़ों को आपस में मिलाया है। एडवोकेट काहलों ने कहा कि उनके पिता अपनी बहनों को मिलकर फूले नहीं समा रहे और उन्होंने मन बनाया है कि वह पाकिस्तान में जाकर उन दोनों को जल्द ही मिलकर आएंगे। 

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