Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Aug, 2017 03:19 PM
विकास कार्यों के नए एस्टीमेटों को मंजूरी न मिलने के विरोध में कांग्रेस द्वारा एफ. एंड सी.सी. में पास हुए एजैंडे पर एतराज जताने को लेकर तकनीकी
लुधियाना (हितेश): विकास कार्यों के नए एस्टीमेटों को मंजूरी न मिलने के विरोध में कांग्रेस द्वारा एफ. एंड सी.सी. में पास हुए एजैंडे पर एतराज जताने को लेकर तकनीकी पेंच फंस गया है। इसमें अकाली-भाजपा के मैंबर तो कांग्रेस सदस्य द्वारा मौके पर सभी प्रस्तावों के लिए सहमति देने के बाद अगले दिन विरोध दर्ज करवाने की बात कह रहे हैं। जबकि कांग्रेस मैंबर ने मीटिंग के दौरान व फिर लिखित में एतराज देने का दावा किया है।
यहां बताना उचित होगा कि 27 जुलाई को हुई एफ. एंड सी.सी. की मीटिंग यह कहकर रद्द कर दी गई थी कि जब फंड ही नहीं तो नए प्रस्ताव पास करने का क्या फायदा। उसके बाद 24 अगस्त को फिर से मीटिंग बुलाई गई, जिसमें पुराने एजैंडे के अलावा कुछ सप्लीमैंटरी प्रस्ताव भी शामिल किए गए। उन पर चर्चा के दौरान पहले से लगे टैंडरों पर वर्क आर्डर जारी करने, जोन सी के इलाकों में सुपर सक्शन मशीनों से सीवरेज की सफाई करवाने तथा फेल ट्यूबवैलों का दोबारा निर्माण करने के प्रस्ताव पास करने के अलावा एंटीसिपेशन के तहत मंजूर फाइलों पर मोहर लगा दी गई। लेकिन जब विकास कार्यों के नए एस्टीमेटों पर टैंडर लगाने की बारी आई तो एक बार फिर से फंड की कमी का हवाला देते हुए अकाली-भाजपा के मैंबरों ने मंजूरी नहीं दी।
इसका कांग्रेस के बलकार संधू ने यह कहकर विरोध किया कि जब फंड नहीं आए तो मीटिंग क्यों बुलाई गई। हालांकि संधू ने फिलहाल एस्टीमेट पास करने के बाद टैंडर लगने व वर्क आर्डर जारी करने में काफी समय बीतने के दौरान पैसा आने का हवाला भी दिया। फिर भी जब मेयर या दूसरे मैंबर नहीं माने तो बलकार ने पहले से पास घोषित किए गए प्रस्तावों पर अपना एतराज जता दिया। अब कांग्रेस मैंबर ने कमिश्नर को भेजी लिखित शिकायत में कुछ प्रस्तावों पर एतराज दर्ज करवा दिया है। उनके मुताबिक कांग्रेस पार्षदों के वार्डों में होने वाले कामों पर जानबूझ कर रोक लगाई गई। जबकि अकाली-भाजपा मैंबरों ने सैटिंग वाले प्रस्तावों को पास करने का दावा किया है। जिसे लेकर बाकी मैंबरों का कहना है कि सारे प्रस्ताव बहुमत के साथ पास किए गए थे और फंड की कमी के कारण एस्टीमेट पास न करने का फैसला भी कांग्रेस को छोड़कर बाकी मैंबरों की सहमति के साथ ही लिया गया है। इसके अगले दिन संधू द्वारा दिए गए एतराज के कोई मायने नहीं रह जाते।