Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Nov, 2017 07:29 AM
जिला प्रशासन के दो-दो चेहरे हैं। एक तरफ कुछ को प्रोमोट किया जा रहा है तो दूसरी तरफ अन्य को दरकिनार किया जा रहा है। कुछ ऐसा ही मामला डी.सी. दफ्तर में सामने आया है। एक पटवारी को रिटायरमैंट वाले दिन दी गई एप्लीकेशन पर ही डी.सी. वरिंद्र शर्मा ने एक साल...
जालंधर(अमित): जिला प्रशासन के दो-दो चेहरे हैं। एक तरफ कुछ को प्रोमोट किया जा रहा है तो दूसरी तरफ अन्य को दरकिनार किया जा रहा है। कुछ ऐसा ही मामला डी.सी. दफ्तर में सामने आया है। एक पटवारी को रिटायरमैंट वाले दिन दी गई एप्लीकेशन पर ही डी.सी. वरिंद्र शर्मा ने एक साल की एक्सटैंशन दे दी, जबकि दूसरी तरफ ऐसे ही मामले में एक अन्य पटवारी की एप्लीकेशन को साफ मना कर दिया गया था।
इसके पीछे कहीं न कहीं कुछ गोलमाल अवश्य है, क्योंकि नीचे से लेकर ऊपर तक दिखाई गई फुर्ती रूटीन में नहीं दिखाई जाती। सूत्रों का कहना है कि पटवारी ने एक बेहद तगड़ा सिफारिशी फोन डी.सी. को करवाया था, जिसके चलते उसे सुपरफास्ट एक्सटैंशन मिल गई। पंजाब सिविल सेवाएं नियमावली के अनुसार अगर कोई भी कर्मचारी अपने सेवाकाल की समाप्ति के पश्चात एक्सटैंशन के लिए आवेदन देना चाहता है तो उसके लिए अपनी रिटायरमैंट से पहले 3 महीने के अंदर-अंदर एक्सटैंशन का आवेदन देना अनिवार्य है।
सस्पैंड हुआ था पटवारी, कानूनगो के पद से भी किया था रिवर्ट
अपनी सजा के तथ्यों को छिपा कर तरक्की लेने वाले पटवारी हरमेल चंद को तत्कालीन डी.सी. कमल किशोर यादव ने अप्रैल, 2016 में तुरंत प्रभाव से सस्पैंड करने का आदेश जारी किया था। अपने आदेश में उन्होंने सबसे पहले पटवारी की बतौर कानूनगो की गई तरक्की के आर्डर को रिवर्ट किया था। उसे मेजर पैनल्टी लगाते हुए चार्जशीट भी जारी की गई थी।
पटवारी की फाइल स्टडी करने और गहन विचार-विमर्श के पश्चात पाया गया था कि उसको सजा हुई थी व उसकी सजा पर अदालत द्वारा स्टे भी जारी हुआ था, जिसमें अपील अभी भी अदालत में लंबित थी। मगर यह बात तय पाई गई थी कि पटवारी ने जान-बूझकर सही तथ्यों से प्रशासन को अवगत नहीं करवाया था, जिसके कारण उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करना बनता था।
क्या था मामला, क्यों प्रोमोशन हुई थी रिवर्ट?
तहसील फिल्लौर से संबंधित पटवारी हरमेल चंद को गांव मिठड़ा से संंबंधित सरकारी रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ के मामले में अदालत द्वारा 2015 में आई.पी.सी. की धारा-465 के तहत 2 साल, धारा-468 और 466 के तहत एक साल की सजा सुनाई गई थी तथा 600 रुपए का जुर्माना भी किया गया था। उक्त पटवारी ने फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी, जिस पर उस समय फिलहाल फैसला आना बाकी था। इस दौरान पटवारी ने डी.सी. को धोखे में रख कर अपनी तरक्की के लिए रिफ्रैशर कोर्स किया। कोर्स पास कर वह बतौर कानूनगो प्रोमोट भी हो गया। प्रशासन से तथ्य छिपा कर प्रोमोशन लेने की वजह से उसे रिवर्ट किया गया था।
पटवारियों की कमी और स्पैशल केस की वजह से डिसक्रीशनरी पावर से दी एक्सटैंशन : डी.सी.
डी.सी. वरिंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि हमारे पास पहले ही पटवारियों की काफी कमी चल रही है। यह केस स्पैशल था, क्योंकि पटवारी काफी देर से एक केस में उलझा हुआ था। कुछ देर पहले ही वह सैशन कोर्ट से बरी हुआ था। उसकी दोबारा बहाली हुई थी।
उसने कुछ दिन पहले आवेदन दिया था। रिटायरमैंट वाले दिन वह निजी तौर पर मिला था। डिसक्रीशनरी पावर का इस्तेमाल करते हुए उसे एक्सटैंशन दी गई है, क्योंकि अगर कोई पटवारी रिटायरमैंट के बाद काम करना चाहता है तो यह बहुत अच्छी बात है। इससे प्रशासन को मदद ही मिलती है।