जातीय वोट बैंक की खास भूमिका रहेगी लोकसभा उपचुनाव में

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Sep, 2017 12:49 PM

ethnic vote bank will play a special role in lok sabha by elections

जैसे-जैसे लोकसभा हलका गुरदासपुर का उपचुनाव नजदीक आता जा रहा है, उसके साथ ही यह चुनाव कांग्रेस, भाजपा तथा आम आदमी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनता जा रहा है, जबकि अभी आम आदमी पार्टी को छोड़ कर कांग्रेस व भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं...

गुरदासपुर (विनोद): जैसे-जैसे लोकसभा हलका गुरदासपुर का उपचुनाव नजदीक आता जा रहा है, उसके साथ ही यह चुनाव कांग्रेस, भाजपा तथा आम आदमी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनता जा रहा है, जबकि अभी आम आदमी पार्टी को छोड़ कर कांग्रेस व भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। इस बार के  गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव में जातीय वोट बैंक की खास भूमिका रहेगी।

गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव में हर राजनीतिक दल के उम्मीदवार तथा बड़े नेता बहुत ही सूझबूझ से चुनाव मैदान में उतरते हैं तथा हर इलाके में जिस जाति या धर्म का बोलबाला होता है, उसके अनुसार ही चतुराई से मुद्दे उठाते हैं, क्योंकि इस लोकसभा हलके में शुरू से ही हर चुनाव में जाति आधारित मतदाताओं को रिझाने के लिए उसी जाति या धर्म के नेताओं का प्रयोग होता रहा है। इस लोकसभा हलके में हिन्दू-सिखों का अनुपात लगभग बराबर है, जबकि क्रिश्चियन समुदाय तथा कुछ हद तक मुस्लिम समुदाय के मतदाता भी चुनाव में अपना प्रभाव जरूर बनाने में सफल हो जाते हैं।

लोकसभा हलके में हिन्दू-सिख अनुपात
यदि देखा जाए तो गुरदासपुर, कादियां, श्री हरगोबिन्दपुर, बटाला, फतेहगढ़ चूडिय़ां तथा डेरा बाबा नानक सिख बहुमत वाले इलाके हैं परंतु गुरदासपुर विधानसभा हलके में सिखों की संख्या हिन्दू समुदाय से मात्र 50,000 अधिक है जबकि अन्य इलाकों में सिख मतदाताओं की संंख्या बहुत अधिक है। इसी कारण इन इलाकों में भाजपा का अधिक बोलबाला नहीं है। सदा ही अकाली दल व कांग्रेस में टक्कर रही है जबकि पठानकोट, दीनानगर, भोआ तथा सुजानपुर विधानसभा हलकों में हिन्दू मतदाताओं की संख्या बहुत अधिक है तथा सिख समुदाय के मतदाता नाममात्र ही हैं।

इस कारण दीनानगर (आरक्षित), भोआ, पठानकोट तथा सुजानपुर में भाजपा तथा कांग्रेस के बीच टक्कर होती रही है। यदि भाजपा इन हलकों में बहुत अधिक वोट तथा गुरदासपुर, कादियां, श्री हरगोबिन्दपुर, बटाला, फतेहगढ़ चूडियां तथा डेरा बाबा नानक में अकाली व कांग्रेस बराबर-बराबर भी रहते हैं तो भी भाजपा उम्मीदवार को लाभ होगा। यदि इन हलकों में कांग्रेस बहुत अधिक वोट ले जाती है तो निश्चित रूप में कांग्रेस को लाभ होगा।इस समय गुरदासपुर, कादियां, श्री हरगोबिन्दपुर, फतेहगढ़ चूडिय़ां, डेरा बाबा नानक हलकों से विधायक कांग्रेस पार्टी के हैं, जबकि बटाला से अकाली दल का है। इसी तरह दीनानगर, भोआ तथा पठानकोट विधानसभा हलकों से विधायक कांग्रेस के हैं, जबकि सुजानपुर से विधायक भाजपा का है।

क्रिश्चियन समुदाय की स्थिति
लोकसभा हलका गुरदासपुर में क्रिश्चियन समुदाय के मतदाता चुनाव में बहुत प्रभाव डालते हैं। गुरदासपुर, कादियां, बटाला, डेरा बाबा नानक तथा फतेहगढ़ चूडिय़ां हलकों में क्रिश्चियन मतदाता काफी संख्या में हैं। इन सभी हलकों में लगभग 10 प्रतिशत मतदाता क्रिश्चियन हैं, जो चुनाव में अपना प्रभाव डालते हैं, परंतु कुछ समय से क्रिश्चियन समुदाय 2 हिस्सों में विभाजित है। क्रिश्चियन समुदाय इस लोकसभा हलके में अकाली दल तथा कांग्रेस में विभाजित है, जबकि भाजपा के साथ नाममात्र ही क्रिश्चियन हैं।

यदि बीते समय का इतिहास देखा जाए तो क्रिश्चियन मतदाता कांग्रेस तथा अकाली दल के उम्मीदवारों को तो वोट डाल देता है या कांग्रेस व अकाली दल के उम्मीदवार के लिए चुनाव प्रचार भी कर लेता है, परंतु भाजपा के पक्ष में यह प्रचार नहीं करता। विधानसभा चुनाव में क्रिश्चियन मतदाता अकाली दल के उम्मीदवार को वोट डालता है, जबकि लोकसभा चुनाव में इस हलके में क्रिश्चियन कांग्रेस पार्टी को वोट डालते हैं। इस तरह के मतदाताओं का प्रतिशत बहुत कम है जो अकाली नेताओं के कहने पर भाजपा के पक्ष में प्रचार करते हैं या वोट डालते हैं।

मुस्लिम मतदाताओं की स्थिति

गुरदासपुर लोकसभा हलका अधीन आने वाले 9 विधानसभा हलकों में से कुछ में मुसलमान वोटर अधिक हैं, जबकि कुछ में नाममात्र ही हैं। कादियां में मुस्लिम वोटों की संख्या बहुत अधिक है जबकि अन्य हलकों में 2 से 10 हजार तक मुस्लिम मतदाता हैं। ये मुस्लिम मतदाता अपनी आत्मा की आवाज पर अपने मताधिकार का प्रयोग करने को प्राथमिकता देते हैं। कादियां हलके में यह अकाली व कांग्रेस के साथ बराबर-बराबर प्रतिशत से जुड़े हुए हैं।

अनुसूचित जाति के मतदाताओं की स्थिति

शुरू से ही कांग्रेस अनुसूचित जाति के मतदाताओं को अपना वोट बैंक मानती रही है। कहा जाता है कि लम्बे समय तक यह वर्ग हाथी या हाथ को प्राथमिकता देता था, परंतु अब स्थिति में बहुत अंतर आ चुका है। बीते 10 साल पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार का शासन रहा तथा अधिकतर सरपंच व पंच अकाली दल व भाजपा के साथ जुड़ चुके हैं। बेशक ये सरपंच व पंच कामकाज या ग्रांट लेने के चक्कर में अकाली -भाजपा गठबंधन के पक्ष में चले गए थे,परंतु अब ये वापस कांग्रेस या बसपा में आने को तैयार नहीं हैं। 

दूसरा विनोद खन्ना वर्ष 1998 में जब गुरदासपुर लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए पहली बार आए थे तो अनुसूचित जाति के नेताओं ने विनोद खन्ना का दिल से साथ दिया था परंतु समय के साथ कुछ परिवर्तन आए तथा कुछ प्रतिशत ये सरपंच वापस कांग्रेस में चले गए परंतु अब स्थिति यह है कि यह वर्ग कांग्रेस का शत-प्रतिशत वोट बैंक नहीं कहा जा सकता। इस वर्ग के नौजवान बहुत ही शिक्षित हैं तथा वे अब सोच-समझ कर तथा उम्मीदवार के गुण देख कर मताधिकार का प्रयोग करते हैं। इस कारण इस वर्ग पर अब किसी एक दल का प्रभाव नहीं रह गया।

हार-जीत पर क्रिश्चियन, मुस्लिम तथा अनुसूचित जाति के मतदाता डालते हैं असर 
गुरदासपुर में आने वाले विधानसभा हलकों में से कुछ हलकों में हिन्दू मतदाताओं का बोलबाला है जबकि कुछ में सिख मतदाताओं का बोलबाला है परंतु यदि लोकसभा हलके का सर्वे किया जाए तो इस लोकसभा हलके में हिन्दू व सिख मतदाताओं का प्रतिशत लगभग बराबर है। इस कारण हार-जीत पर असर क्रिश्चियन, मुस्लिम तथा अनुसूचित जाति के मतदाता डालते हैं, इसलिए हर लोकसभा चुनाव में इस वर्ग के मतदाताओं पर अधिक जोर डाला जाता है तथा हर राजनीतिक दल इन वर्गों का समर्थन प्राप्त करने की कोशिश करता है। कई बार तो उम्मीदवार भी इस वर्ग के मतदाताओं को देख कर पार्टियां निश्चित करती हैं, परंतु अब स्थिति इस हलके में कुछ भिन्न दिखाई देती है। तीनों ही प्रमुख राजनीतिक दल हिन्दू उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारने की योजना बनाकर काम कर रहे हैं तथा ये तीनों दलों के उम्मीदवार क्रिश्चियन, मुस्लिम तथा अनुसूचित जाति के मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में कितना सफल होते हैं, यह समय बताएगा।

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