Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jan, 2018 05:26 AM
अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान हुए बिजली समझौते को लेकर प्रदेश सरकार के भीतर ही अलग-अलग सुर उभरने लगे हैं। बिजली समझौते को लेकर ऊर्जा मंत्री राणा गुरजीत सिंह व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ के बोल एक-दूसरे के खिलाफ ही जा रहे हैं। एक तरफ...
जालंधर(रविंदर शर्मा): अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान हुए बिजली समझौते को लेकर प्रदेश सरकार के भीतर ही अलग-अलग सुर उभरने लगे हैं। बिजली समझौते को लेकर ऊर्जा मंत्री राणा गुरजीत सिंह व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ के बोल एक-दूसरे के खिलाफ ही जा रहे हैं।
एक तरफ कांग्रेस सरकार बनने से पहले ही सुनील जाखड़ प्रत्येक प्लेटफार्म पर अकाली दल की ओर से बिजली समझौते में करोड़ों रुपए डकारने के आरोप लगाते रहे और कांग्रेस सरकार आने पर सी.बी.आई. जांच व कैग से इंक्वायरी करवाने की बात कहते रहे। मगर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री राणा गुरजीत सिंह का साफ कहना है कि अभी तक बिजली समझौते में कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई है, जिस कारण इस समझौते को रद्द किया जा सके।
राणा गुरजीत सिंह का कहना है कि राज्य में निवेश करने कंपनियां आती रहती हैं और अगर इस तरह के समझौते रद्द करने की सिफारिश की गई तो पंजाब में कोई कंपनी निवेश करने नहीं आएगी। ऊर्जा मंत्री का यह बयान साफ संकेत देता है कि पिछली सरकार की तरफ से बिजली समझौते में कोई घपला नहीं किया गया। वहीं, जनता के सामने यह भी साफ हो गया है कि सिर्फ राजनीतिक मुद्दा बनाने के लिए ही सुनील जाखड़ ने सरकार आने से पहले ऐसे आरोप लगाए थे या फिर सरकार बनने पर कांग्रेस के सारे तेवर इस मामले में फीके पड़ चुके हैं।
मामला चाहे कुछ भी हो, सुनील जाखड़ ने सरकार आने से पहले यह मुद्दा उठाकर खुद वाहवाही लूटी थी और अकाली सरकार की किरकिरी करवाई थी, वहीं अब कांग्रेस सरकार जो खेल चल रही है, उससे आने वाले दिनों में जनता की कचहरी में कांग्रेस की किरकिरी होना तय है।