राजनीतिक दलों को मिलने वाले  चंदे में पारदर्शिता लाएगा चुनावी बांड

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Dec, 2017 09:51 AM

electoral bonds will bring transparency in the funds received by parties

जनीतिक दलों को चंदा उपलब्ध करवाने की व्यवस्था में पारदॢशता लाने के लिए सरकार द्वारा प्रस्तावित चुनावी बांड की वैध अवधि को 15 दिन रखा जा सकता है। कम अवधि के लिए जारी करने से बांड के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलेगी।

जालंधर  (पाहवा): राजनीतिक दलों को चंदा उपलब्ध करवाने की व्यवस्था में पारदॢशता लाने के लिए सरकार द्वारा प्रस्तावित चुनावी बांड की वैध अवधि को 15 दिन रखा जा सकता है। कम अवधि के लिए जारी करने से बांड के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलेगी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार चुनावी बांड के लिए दिशा-निर्देश करीब तैयार कर लिए गए हैं। वित्त मंत्रालय इन्हें देख रहा है और अंतिम रूप दे रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चुनावी बांड की घोषणा वर्ष 2017-18 के बजट में की है। जिस किसी के भी पास ये बांड होंगे वह इन्हें एक निर्धारित खाते में जमा करवाने के बाद भुना सकता है। हालांकि यह काम तय अवधि के भीतर करना होगा।

 

सूत्रों के अनुसार हर राजनीतिक दल का एक अधिसूचित बैंक खाता होगा। उस राजनीतिक दल को जो भी बांड मिलेंगे उनको उसी खाते में जमा करवाना होगा। यह एक प्रकार की दस्तावेजी मुद्र्रा होगी और उसे 15 दिन के भीतर भुनाना होगा वर्ना इसकी वैधता समाप्त हो जाएगी। सूत्रों का कहना है कि बांड को कम अवधि के लिए वैध रखे जाने के पीछे उद्देश्य इसके दुरुपयोग को रोकना है। साथ ही राजनीतिक दलों को वित्त उपलब्ध करवाने में कालेधन के उपयोग पर अंकुश रखना है। सूत्रों के अनुसार चुनावी बांड के लिए नियमों को जल्द ही जारी कर दिया जाएगा और इस तरह के बांड से जुड़ी कुछ अन्य जानकारी इस काम के लिए प्राधिकृत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा जारी की जाएगी।किसने चंदा दिया, पता चलेगा चुनावी बांड एक प्रकार के प्रॉमिसरी नोट यानी वचनपत्र होंगे और इन पर किसी तरह का ब्याज नहीं दिया जाएगा। चुनावी बांड में राजनीतिक दल को दान देने वाले के बारे में कोई जानकारी नहीं होगी।

 

 

ये बांड 1,000 और 5,000 रुपए मूल्य के होंगे। वित्त मंत्री ने बजट में चुनावी बांड की घोषणा करते हुए कहा था कि भारत में राजनीतिक चंदे की प्रक्रिया को साफ सुथरा बनाने की आवश्यकता है। चंदा देने वाले राजनीतिक दलों को चैक के जरिए अथवा अन्य पारदर्शी तरीकों से दान देने से कतराते हैं, क्योंकि वे अपनी पहचान नहीं बताना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि किसी एक राजनीतिक दल को चंदा देने पर उनकी पहचान सार्वजनिक होने का अंजाम उन्हें भुगतना पड़ सकता है। वित्त मंत्री ने तब कहा था कि  सभी राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श कर वह चुनावी बांड के लिए नियम तैयार करेंगे।

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