Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Dec, 2017 12:59 PM
चुनाव कमीशन के निर्देशों को जहां राजनीतिक पाॢटयों ने दरकिनार किया हुआ है वहीं प्रशासन भी सो रहा है, जिस कारण जनता परेशान हो रही है। शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में हो रही बिना मंजूरी चुनाव रैलियों से जनता बेहद परेशान है।
पटियाला(जोसन): चुनाव कमीशन के निर्देशों को जहां राजनीतिक पाॢटयों ने दरकिनार किया हुआ है वहीं प्रशासन भी सो रहा है, जिस कारण जनता परेशान हो रही है। शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में हो रही बिना मंजूरी चुनाव रैलियों से जनता बेहद परेशान है।
यहीं बस नहीं शहर की सड़कों पर घूमते चुनाव प्रचार वाहनों के कारण लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं। इतना ही नहीं स्कूली वाहनों के जाम में फंसने से छोटे-छोटे बच्चे घर जाने से लेट होते हैं और भूख के कारण तड़पते नजर आते हैं। राजनीतिक लोगों और प्रशासन को बिल्कुल भी फिक्र नहीं। इस तरह लग रहा है कि जैसे कोई भी प्रशासनिकअधिकारी चुनावों पर नजर तक नहीं रख रहा। लोग स्पीकरों की ऊंची-ऊंची आवाज से बेहद दुखी हैं। यह बताना जरूरी है कि चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशी की हर गतिविधि सरकार की नजर में होनी चाहिए। इसलिए बाकायदा कानून बनाए
गए हैं।
चुनाव कमीशन ऐसे मामलों को लेकर सख्त कार्रवाई के लिए तैयार रहता है। चुनाव कमीशन के निर्देशानुसार प्रत्येक पार्टी या प्रत्याशी को प्रवानगी लेनी पड़ेगी कि उसने कहां मीटिंग या रैली करनी है और किस जगह पर दफ्तर का उद्घाटन करना है।यह भी खास ध्यान रखना पड़ता है कि रैलियों दौरान जनता को परेशानी न आए, परंतु ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा। इसके अलावा हरेक प्रत्याशी द्वारा छपवाए जाने वाले पोस्टरों, झंडों और फ्लैक्सों समेत अन्य सामग्री का हिसाब भी प्रत्याशी को रखना पड़ेगा और साथ ही इसकी प्रवानगी भी लेनी पड़ती है। जबकि इस बार अब तक ज्यादातर प्रत्याशियों ने किसी प्रकार की प्रवानगी नहीं ली है।
जानकारी के मुताबिक अब तक प्रत्याशियों ने अपने चुनाव प्रचार के लिए जितनी भी बैठकें की हैं या दफ्तरों का उद्घाटन किया है वह बिना मंजूरी के ही किया है। संबंधित रिटॄनग अफसरों से एकत्रित की जानकारी के मुताबिक अब तक केवल स्पीकरों या संबंधित वाहनों की मंजूरी ही ली गई है। एक-दो को छोड़ कर किसी भी प्रत्याशी ने अपनी चुनाव मीटिंग या दफ्तर के उद्घाटन की कोई प्रवानगी नहीं ली।