Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Oct, 2017 12:16 PM
शिक्षा विभाग में पंजाब में लगभग 20 से कम बच्चों की संख्या वाले 800 सरकारी प्राइमरी स्कूलों को मर्ज करने का निर्णय लिया है। विभाग द्वारा इस संबंधी समूह जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी करके 25 अक्तूबर तक निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया है।
अमृतसर (दलजीत): शिक्षा विभाग में पंजाब में लगभग 20 से कम बच्चों की संख्या वाले 800 सरकारी प्राइमरी स्कूलों को मर्ज करने का निर्णय लिया है। विभाग द्वारा इस संबंधी समूह जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी करके 25 अक्तूबर तक निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया है।
विभाग द्वारा जारी 25 जिलों की सूची में सबसे ज्यादा होशियारपुर तथा गुरदासपुर के मर्ज होने वाले सरकारी स्कूल शामिल हैं। विभाग के फैसले से जहां अध्यापकों में बेचैनी है, वहीं आने वाले दिनों में विद्यार्थियों को भी शिक्षा ग्रहण के लिए जद्दोजहद करनी पड़ेगी। जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग ने राज्य के 800 सरकारी प्राइमरी स्कूलों को नजदीक वाले प्राइमरी स्कूलों में मर्ज करने का फैसला लिया है। विभाग द्वारा अक्तूबर के आखिर तक मर्ज करने की रूपरेखा इस संबंध में तैयार भी कर ली है।
विभाग ने जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मर्ज किए जाने वाले स्कूलों के अध्यापकों की जिला स्तर पर कमेटी बनाई जाए, उसके उपरांत अध्यापकों को जरूरतमंद स्कूलों में तैनात करते समय उनकी सीनियरता के अनुसार स्टेशन दिया जाए। मर्ज किए जाने वाले स्कूलों को जिस स्कूल में मर्ज किया जा रहा है उस स्कूल में विद्यार्थियों को मूलभूल सुविधाएं मुहैया करवाई जाएं। शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों को मर्ज तो किया जा रहा है, परन्तु उसके अध्यापकों को किन स्कूलों में भेजा जाएगा, इसको लेकर अध्यापकों में बेचैनी पाई जा रही है।
शहरी क्षेत्र के प्राइमरी स्कूलों में पहले से ही पद भरे हुए हैं व शहर के नजदीक के स्कूलों में भी पद खाली नहीं हैं। मर्ज किए जा रहे स्कूलों के अध्यापकों को ङ्क्षचता है कि अब उन्हें सरहदी क्षेत्र के स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ाना पड़ेगा। उधर, शिक्षा विभाग द्वारा नए स्कूलों में उक्त स्कूलों को मर्ज किया जा रहा है, उनमें से अधिकतर स्कूल संबंधित गांव से 1-2 कि.मी. की दूरी पर हैं। प्राइमरी स्कूलों में छोटे विद्यार्थी पढ़ते हैं।विद्यार्थियों को अब अपने गांव से नजदीक वाले गांव में जाकर शिक्षा लेनी पड़ेगी। इस दौरान उनको काफी जद्दोजहद करनी पड़ेगी। शिक्षा विभाग एक ओर सरकारी स्कूलों में प्राइमरी विंग स्थापित करने जा रहा है, दूसरी ओर स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने की बजाए कम संख्या वाले स्कूलों को ही बंद कर रहा है। अध्यापक संगठन भी विभाग के फैसले के विरुद्ध हैं, वे भी आने वाले दिनों में संघर्ष की रूपरेखा बना सकते हैं।
जिला अमृतसर की बात करें तो सरकारी प्राइमरी स्कूल मेहता खुर्द, सरकारी प्राइमरी स्कूल सिंगोके, सरकारी प्राइमरी स्कूल ढांगी, सरकारी प्राइमरी स्कूल कोटली म्यानखान, सरकारी प्राइमरी स्कूल माला खिरी, सरकारी प्राइमरी स्कूल मुगलानी कोट, सरकारी प्राइमरी स्कूल तारागढ़, सरकारी प्राइमरी स्कूल अवान लक्खा सिंह, सरकारी प्राइमरी स्कूल भुल्लर हंस, सरकारी प्राइमरी स्कूल कोट हृदय राम, सरकारी प्राइमरी स्कूल मान, सरकारी प्राइमरी स्कूल गोसल अफगाना, सरकारी प्राइमरी स्कूल बथूचक्क, सरकारी प्राइमरी स्कूल कोट मुगल, सरकारी प्राइमरी स्कूल नंदवाला, सरकारी प्राइमरी स्कूल अलकेर, सरकारी प्राइमरी स्कूल अब्बू सदैन, सरकारी प्राइमरी स्कूल बग्गेवाली, सरकारी प्राइमरी स्कूल कलोमाहल, सरकारी प्राइमरी स्कूल बुलारा, सरकारी प्राइमरी स्कूल सम्मोवाल, सरकारी प्राइमरी स्कूल नवान तनल, सरकारी प्राइमरी स्कूल कोटली, सरकारी प्राइमरी स्कूल चक्कफुला, सरकारी प्राइमरी स्कूल झलके, सरकारी प्राइमरी स्कूल कोटला खजान, सरकारी प्राइमरी स्कूल पनवान, सरकारी प्राइमरी स्कूल जोगा सिंह वाला, सरकारी प्राइमरी स्कूल कैरो नंगल, सरकारी प्राइमरी स्कूल मलिक नंगल के नाम शामिल हैं।