बैंक के दीवालिया होने पर जमाकत्र्ता को कितने पैसे वापस करने हैं बैंक ही तय करेगा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Dec, 2017 12:45 PM

economic crisis

केंद्र सरकार देश में आर्थिक संकट के भय से नया कानून लाना चाहती है जिससे कार्पोरेट सैक्टर के बिल्कुल डिफाल्टर (एन.पी.ए.) का पैसा जनता से वसूल सके। जबकि हम और आप सभी लोग पैसा जमा करने के लिए बैंकों पर बहुत ज्यादा भरोसा करते हैं। यह भरोसा तब भी कायम...

लुधियाना(सेठी): केंद्र सरकार देश में आर्थिक संकट के भय से नया कानून लाना चाहती है जिससे कार्पोरेट सैक्टर के बिल्कुल डिफाल्टर (एन.पी.ए.) का पैसा जनता से वसूल सके। जबकि हम और आप सभी लोग पैसा जमा करने के लिए बैंकों पर बहुत ज्यादा भरोसा करते हैं। यह भरोसा तब भी कायम रहता है जब किन्हीं कारणों के चलते बैंक खुद ही दीवालिया हो जाए।


क्या है एफ.आर.डी.आई. बिल
अगर बैंक डूबे तो जमा धन का कितना हिस्सा आपको मिलेगा? नए बैंक डिपॉजिट बिल के एक प्रावधान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को यह अधिकार दिया जा सकता है कि बैंक के दीवालिया होने की स्थिति में बैंक ही यह तय करेगा कि जमाकत्र्ता को कितने पैसे वापस करने हैं। गुजरात चुनाव की राजनीतिक गहमागहमी के बीच बैंकों को लेकर एक नया बिल इस समय मीडिया में काफी चर्चा में है। इस बिल का नाम है फाइनांशियल रैजुलेशन एंड डिपॉजिट इंश्योरैंस बिल (एफ.आर.डी.आई.)। यानी की अगर बैंक डूबता है तो जमाकत्र्ता के सारे पैसे भी डूब सकते हैं। इस बिल की खबर फैलने के बाद ऑनलाइन पटीशन का दौर शुरू हो गया है। इसके बाद वित्तमंत्री अरुण जेतली की सफाई आई है कि इससे बिल से कम रकम जमा करने वाले उपभोक्ताओं को कोई नुक्सान नहीं होगा। मालूम हो कि जब हम बैंक में पैसा जमा करते हैं तो उसके बदले में हमें बैंक से किसी भी प्रकार की गारंटी नहीं मिलती है। इस तरीके से हम एक असुरक्षित जमाकत्र्ता हैं। यह बिल अभी संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। यह बिल तैयार करके अगस्त माह में ही संसद की संयुक्त समिति के पास भेज दिया गया है। बता दें कि सरकारी बैंकों का एन.पी.ए. यानी कि बैड लोन इस समय बढ़कर 6 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का हो गया है। भारत की सबसे बड़ी सार्वजनिक बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का एन.पी.ए. इस साल के जून माह में 1 लाख 88 हजार करोड़ रुपए का हो चुका है। यह आंकड़े बैंकों की बदहाली की स्थिति को दर्शाते हैं। ऐसी स्थिति में अगर बैंक डूबते हैं तो वे खुद को दीवालियापन से उबारने के लिए आम जनता के पैसों का इस्तेमाल करेंगे और नए बिल के मुताबिक उन्हें यह अधिकार मिल सकता है कि वे जमाकत्र्ता को कितना पैसा वापस करेंगे। 

क्या है मौजूदा नियम
वर्तमान नियम भी कम जनता विरोधी नहीं है। मौजूदा नियम के मुताबिक अगर बैंक में आपकी 10 लाख रुपए तक की राशि जमा है और अगर बैंक डूबे तो केवल 1 लाख रुपए तक की राशि वापस मिलेगी बाकी पैसा बैंक खुद को संभालने के लिए आपका पैसा निगल जाएगा। हां आप किसी कोर्ट-कचहरी में केस भी नहीं कर पाएंगे, क्योंकि सरकार ने बैंक को यह अधिकार पहले ही दे रखा है। दरअसल, अभी बैंक हरेक जमाकत्र्ता को 1 लाख रुपए तक की गारंटी देता है। गारंटी डिपॉजिट इंश्योरैंस एंड क्रैडिट गारंटी कार्पोरेशन (डी.आई.सी.जी.सी.) के तहत यह गारंटी मिलती है यानी अगर जमाकत्र्ता ने 50 लाख रुपए भी जमा कर रखे हैं और अगर बैंक डूबता है कि सिर्फ 1 लाख रुपए ही मिलने की गारंटी है बाकी रकम असुरक्षित क्रैडिटर्स के क्लेम की तरह डील किया जाता है। यानी मौजूदा नियम में यह प्रावधान है कि दीवालिया होने की स्थिति में बैंक को एक निश्चित राशि जमाकत्र्ता को वापस करनी होगी, लेकिन नए नियम को लेकर अफवाह यह है कि बैंक खुद तय करेंगे कि आपको कोई रकम दी भी जाए या नहीं और अगर दी जाए तो कितनी रकम दी जाए। 

सरकार बिना सोच-विचार के दिए जा रहे लोन पर लगाए अंकुश
पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान प्यारे लाल सेठ, महासचिव सुनील मेहरा व सचिव महिन्द्र अग्रवाल ने कहा कि केंद्र सरकार इस बिल को लाने की बजाए बिल्कुल डिफाल्टर पर शिकंजा कसे। उनकी प्रॉपर्टी को बेचकर घाटे को पूरा करे और बिना सोच-विचार के दिए जा रहे भारी-भरकम लोन पर अंकुश लगाए। अन्यथा जनता और देश गंभीर स्थिति में आ सकता है। इन नेताओं ने कहा कि सरकार ने यह कदम उठाया तो लोग बैंकों से पैसा निकालकर घरों में रखने के लिए मजबूर हो जाएंगे जिससे देश की स्थिति भयंकर हो सकती है।

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