नोटिसों तक सिमटी चुनाव आयोग की कार्रवाई

Edited By Updated: 23 Jan, 2017 02:23 AM

ec notices tucked up action

चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता में कई नए पहलू शामिल करके उन्हें सख्ती से लागू करवाने का दावा तो ....

लुधियाना(हितेश): चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता में कई नए पहलू शामिल करके उन्हें सख्ती से लागू करवाने का दावा तो किया जा रहा है लेकिन कार्रवाई के नाम पर अभी तक सिर्फ नोटिस ही जारी हुए हैं। चुनावी गतिविधियों पर नजर डालें तो सबसे अहम पहलू प्रचार का है। आयोग ने प्रचार को लेकर गाइड लाइन्स जारी की हैं कि सरकारी प्रॉपर्टी पर किसी भी तरह का बैनर, पोस्टर, झंडा, वॉल पेंटिंग या होॄडग नहीं लगाया जा सकता। 


आयोग ने इन्हें हटाने के लिए काफी पहले आदेश जारी किए थे। इसमें संबंधित विभागों को जवाबदेह भी बनाया गया था लेकिन आदेशों पर अमल के नाम पर खानापूॢत से ज्यादा कुछ नहीं हुआ। कई जगह सरकारी प्रॉपॢटयों पर चुनाव प्रचार सामग्री लगी हुई है। ‘डिफेसमैंट ऑफ पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट’ के तहत पर्चे दर्ज करवाने की संख्या नाममात्र ही है। 


जहां तक चुनावों में प्राइवेट प्रॉपर्टी पर प्रचार सामग्री लगाने का सवाल है उसके लिए प्रॉपर्टी मालिक की मंजूरी लेनी जरूरी है। अगर बैनर या होॄडग लगाया जाए तो उसके एरिया के हिसाब से नगर निगम के पास विज्ञापन टैक्स भी जमा करवाना पड़ेगा। इन आदेशों की पालना हेतु चैकिंग के नाम पर बाकायदा टीमें बनाई गई हैं जिनकी कार्रवाई मेन सड़कों तक ही सीमित है जबकि असलियत यह है कि जितनी बड़ी संख्या में उम्मीदवारों ने प्राइवेट प्रॉपॢटयों पर होॄडग या बैनर लगाए हुए हैं उस हिसाब से न तो प्रॉपर्टी मालिक से अंडरटेकिंग लेकर रिटॄनग अफसर को जमा करवाई गई है और न ही निगम के पास विज्ञापन टैक्स अदा करके रसीद ली गई है। ऐसे मामलों में सिर्फ शिकायत आने पर ही उम्मीदवार का विज्ञापन उतारने की कार्रवाई होती है। 


पास करवाए बिना बंट रही प्रचार सामग्री 
आयोग ने साफ निर्देश दे रखे हैं कि उम्मीदवार जो भी प्रचार सामग्री छपवाएगा उसे पहले रिटॄनग अफसर से पास करवाना जरूरी है ताकि उसमें कुछ भी आपत्तिजनक न हो लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हो रहा। उम्मीदवार अपनी मर्जी से ही होॄडग, पोस्टर, बैनर, पर्चे बनवाकर बांट रहे हैं। इसमें कुछ प्रचार सामग्री ऐसी है जो दूसरे उम्मीदवारों या पाॢटयों पर सीधे अटैक करती है जिन पर उन्हें छपवाने वाले व पिं्रटर का नाम तक नहीं लिखा होता। 


खर्च के नाम पर किया जा रहा गुमराह
चुनाव आयोग ने उम्मीदवार के प्रचार से जुड़ी लगभग सारी आइटमों के रेट तय कर दिए हैं जिसके हिसाब से उम्मीदवारों को खर्च का ब्यौरा देने को कहा गया है। अगर कोई उम्मीदवार खर्च की गलत जानकारी देता है या उसका खर्च दिखाए गए ब्यौरे से ज्यादा पाया जाए तो उसका नामांकन रद्द होने के अलावा आगे से चुनाव लडऩे के लिए भी अयोग्य ठहराया जा सकता है लेकिन उम्मीदवारों पर इसका कोई असर नहीं है। वे प्रचार सामग्री के रूप में जितने होॄडग, बैनर, झंडे, पोस्टर, स्टिकर, बैज आदि छपवाकर बांट रहे हैं उसके मुकाबले नाममात्र जानकारी चुनाव आयोग को देकर गुमराह कर रहे हैं। 

 

बिना मंजूरी के हो रही बैठकें
चुनाव आयोग का साफ आदेश है कि उम्मीदवार जहां कहीं भी मीटिंग करने जाए, उसकी सूचना रिटॄनग अफसर को पहले देने के साथ ही मंजूरी भी ली जाए लेकिन उम्मीदवारों द्वारा सिर्फ उन मीटिंगों की जानकारी ही चुनाव अधिकारी को दी जा रही है जिसमें टैंट, कुॢसयां, माइक आदि लगता है जबकि अधिकतर बैठकों की जानकारी नहीं दी जा रही ताकि उनका खर्च उम्मीदवार के खाते में न जुड़ जाए। उम्मीदवार प्राइवेट परिसरों में मीटिंगें कर रहे हैं और  परिसर के अंदर से ही कुॢसयां, टेबल का प्रबंध करने का दावा करता है। 

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