Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jun, 2017 09:40 AM
पंजाब सरकार की वित्तीय तंगहाली का खमियाजा पंजाब पावरकॉम को भुगतना पड़ रहा है। राज्य के किसानों के साथ-साथ समाज के अन्य वर्गों को प्रदान की जा रही बिजली की सबसिडी की अदायगी सरकार द्वारा लंबे समय से नहीं की जा रही। उलटा राज्य में किसानों द्वारा भू-जल...
चंडीगढ़(शर्मा): पंजाब सरकार की वित्तीय तंगहाली का खमियाजा पंजाब पावरकॉम को भुगतना पड़ रहा है। राज्य के किसानों के साथ-साथ समाज के अन्य वर्गों को प्रदान की जा रही बिजली की सबसिडी की अदायगी सरकार द्वारा लंबे समय से नहीं की जा रही। उलटा राज्य में किसानों द्वारा भू-जल के स्तर में कमी के चलते हाई रेटिंग के सबमर्सिबल पंप लगाने से बिजली मंजूर लोड के मुकाबले गैर-अधिकृत रूप से अधिक खपत की जा रही है। इससे पावरकॉम को वित्तीय नुक्सान हो रहा है।
पावरकॉम ने इस नुक्सान से बचने के लिए गत वर्ष किसानों के इस गैर-अधिकृत बिजली लोड को नियमित करने के लिए ‘स्वैच्छिक घोषणा योजना’ का प्रस्ताव तैयार कर रैगुलेटरी कमीशन के पास मंजूरी के लिए भेजा था। इस प्रस्ताव में पावरकॉम ने योजना के तहत किसानों से जांच के दौरान या किसानों द्वारा स्वयं घोषित किए जाने वाले गैर-अधिकृत बिजली लोड पर सर्विस कनैक्शन के रूप में 4500 रुपए प्रति बी.एच.पी. की जगह 3000 रुपए प्रति बी.एच.पी. वसूल किए जाने का प्रस्ताव किया था।
रैगुलेटरी कमीशन ने गत वर्ष अप्रैल माह में सुनवाई के दौरान पावरकॉम से पूछा था कि सर्विस कनैक्शन के रूप में 1500 रुपए प्रति बी.एच.पी. के इस अतिरिक्त खर्च को कौन उठाएगा। मामले की सुनवाई के दौरान गत वर्ष मई माह में कमीशन को पावरकॉम की ओर से जानकारी दी गई कि इस मामले को लेकर पंजाब सरकार के समक्ष मांग रखी है कि सरकार इस अतिरिक्त खर्च का वहन कर पावरकॉम को इसकी अदायगी मुफ्त बिजली के बदले दी जा रही सबसिडी के साथ करे।
इसके बाद गत जनवरी माह तक कमीशन ने मामले की सुनवाई 7 बार इस आधार पर टाली कि पावरकॉम पंजाब सरकार से इस खर्च को उठाने की सहमति प्राप्त नहीं कर सकी थी। पावरकॉम की ओर से हर बार दलील दी गई कि इस मामले को सरकार के समक्ष उठाया गया है लेकिन अभी तक सरकार की सहमति लंबित है, इससे साफ पता चलता है कि मामले में बादल सरकार ने चुप्पी साध रखी थी।
इस दौरान राज्य में विधानसभा के चुनाव हो गए व अकाली-भाजपा की जगह कांग्रेस की सरकार आ गई। इस दौरान गत मार्च माह में रैगुलेटरी कमीशन ने पावरकॉम को आदेश दिए कि वह वर्ष 2016-17 के दौरान इसके अधिकारियों द्वारा जांच किए गए किसानों के कनैक्शन की विस्तृत जानकारी प्रदान करे और सुनवाई 9 मई के लिए टाल दी लेकिन इस दौरान पंजाब सरकार
के ओ.एस.डी./पावर रिफॉर्म्स ने पावरकॉम व रैगुलेटरी कमीशन को सूचित किया कि सरकार योजना के तहत 1500 रुपए प्रति बी.एच.पी. के राजस्व अंतर का खर्च उठाने के लिए तैयार नहीं है। इससे प्रतीत होता है कि कैप्टन सरकार ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं।