Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jul, 2017 12:31 AM
गांव मानांवाला (चौगावां) व गांव संगूआना के 2 नौजवान करीब....
अजनाला(फरियाद): गांव मानांवाला (चौगावां) व गांव संगूआना के 2 नौजवान करीब 4 वर्ष पहले रोजी-रोटी कमाने के लिए ईराक गए परंतु अब तक वापस नहीं आए हैं। उनके इंतजार में इनके परिजनों की रो-रो कर आंखें थक चुकी हैं और अब तो आंखों से आंसू भी नहीं निकल रहे हैं।
सोमवार को जब पत्रकार ईराक के शहर मौसुल में आतंकवादी संगठन आई.एस.आई.एस. द्वारा काबू किए गए 40 भारतीयों में से एक के गांव मानांवाला के नौजवान रणजीत सिंह पुत्र बलविन्दर सिंह के घर पहुंचे तो वहां रणजीत सिंह की बहन जसबीर कौर ने बताया कि वे 2 बहनें व एक भाई रणजीत सिंह हैं। आज से 4 वर्ष पहले 2014 में रोजी-रोटी की खातिर बाहर ईराक के मौसुल शहर में गया था। उनके पिता की मौत होने पर उक्त भाई के बाहर जाने उपरांत एक बहन का विवाह भी बहुत मुश्किल के साथ किया। अगर हमारी सरकारें नौजवानों के लिए रोजगार के मौके पर पैदा करें तो नौजवान विदेशों में जा कर अपनी जिंदगियों को मौत के मुंह में क्यों डालें।
गत 3 वर्षों से उनके भाई के साथ उनकी बातचीत नहीं हुई। उनके साथ उनके भाई ने 15 जून 2014 को फोन करके बताया था कि वह आतंकवादी संगठन आई.एस. की गिरफ्त में है। इस उपरांत वह देश के राजनीतिज्ञों व उच्च प्रशासनिक अधिकारियों से अपने भाई को छुड़वा कर भारत लाने की गुहार लगा चुकी है। भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा पहले तो यह भरोसा दिया जाता रहा कि उक्त 40 नौजवानों को जल्द रिहा करवा लिया जाएगा, पर अभी तक ऐसा हो नहीं पाया है। दूसरी तरफ गांव संगूआना के नौजवान निशान सिंह पुत्र गुरमेज सिंह के घर गए तो वहां उसकी माता सविन्द्र कौर, पिता गुरमेज सिंह और भाई ने बताया कि निशान सिंह काम की खातिर मौसुल (ईराक) गया था परन्तु आज तक उसका कोई पता नहीं है। उन की निशान सिंह के साथ 15 जून 2014 के बाद कोई बातचीत नहीं हो सकी।
इस संबंध में उनकी गृह मंत्रालय की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मीटिंग भी हुई थी। मीटिंग में सुषमा ने आश्वासन दिया था कि निशान सिंह को सुरक्षित भारत ले आएंगी परन्तु ऐसा अभी तक हो नहीं पाया है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा इस मसले का कोई हल न किए जाने के कारण उनकी आशाएं केवल परमात्मा पर टिकी हैं कि उनका भाई सही-सलामत अपने घर आ जाएगा।